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Babaji Ka Thullu ( बाबाजी का ठुल्लू )

                                                           बड़े बड़े लोगोने कहा हैं की लालच करना बुरी बात हैं,लालच के वजह से बहोत से लोगोने अपना सब कुछ गवाया हैं. पर क्या करे भगवान ने इन्सान का और उसका स्वभाव ऐसा बनाया हैं की वो कितनी भी चाहे कोशिश कर ले पर उसके मन में लालच आ ही जाता हैं और उसके साथ भगवान ने उसे control करने की शक्ति इंसानों में दी हैं पर कुछ इन्सान उस शक्ति का उपयोग करते हैं तो कुछ इन्सान लालच मैं सब कुछ गवा देते हैं. जैसे इस कहानी मैं हुआ

“एक गाव मैं एक आदमी बन्दर पकड़ने आया उसने वहापे कुछ बन्दर पकडे तो गाव के लोगोने उसे पूछा की भाई, ‘तुम ये बन्दर क्यों पकड रहे हो.’ तो उस आदमी ने कहा,’इन बंदरो की जरुरत शहर के कम्पनी मैं हैं. वहासे इन बन्दरो के अच्छे दम मिलते हैं वो इन बन्दरो के बालो का उपयोग कुछ product बनाने मैं करते हैं.और उसी टाइम उसने गाव के लोगो को एक offer दिया. की अगर आप लोग मुझे बन्दर लाकर दोंगे तो अं आपको एक बंदे के 10 रूपए दूंगा. तो लोगोने सोचा की गाव मैं बन्दर बहुत हैं और वैसे भी दूसरा कम नहीं हैं अगर हम बन्दर पकड़कर इस आदमी को तो कम भी मिलेंगा,पैसे भी और इन बंदरो से छुटकारा भी. तो लोगोने उसे बन्दर पकड़कर बेचना सुरु किया. कुछ दिनों बाद लोगोने उस आदमी को कहा की बन्दर अब कम होते जा रहे हैं तो पकड़ना मुश्किल हो रहा हैं तो उस आदमी ने बन्दरो के दम बढाकर 20रूपए कर दिया.लोगोने एक बन्दर का 20 रूपए मिलने की वजह से फिरसे उत्साह में बन्दर पकड़ने का कम सुरु किया. ये बात पड़ोस के गावो में फ़ैल गई तो वहा के लोगो ने भी पकड़कर बेचने लाये लेकिन जैसे जैसे दिन बढते गये तो वैसे वैसे बन्दर भी कम होते रहे पर उस आदमी ने बन्दर के दम बढाकर 40 रूपए कर दिया. लोगोने बचे हुए बन्दर भी पकड़ना सुरु कर दिया तभी उसने बन्दरो के दम 40 रूपए से 100 रूपए कर दिए तो लोगोने बचे हुए 6-7 बन्दर 100 रूपए के दम से बेच दिए पर उस आदमी ने लोगो को बोला के अगली बार मैं बन्दर के 200 रूपए दूंगा क्योकी कम्पनी बन्दर कम पड़ रहे हैं .200 रूपए सुनकर लोग बन्दरो को ढूड़ने लगे पर गाव मैं बन्दर ख़तम होने के वजह से मिल नहीं रहे थे लेलिन अचानक से कुछ लोगो को एक आदमी गाव के बाहर बहोत बन्दर लेकर दिखा तो लोगोने उसे पूछा की तुम ये बन्दर कहा से लाये तो वो बोला की मैं इन बन्दरो को पकडके बेचने बड़ी दूर से आया हु सुना हैं यहाँ पे कुछ कम्पनीयोके लोग इन्हे 100-150 रूपए में खरीदते हैं. तो लोगोने सोचा उस कम्पनी वाले आदमीने अगली बार एक बन्दर के 200 रूपए देने का बोला हैं तो क्यू ना इस आदमी से एक बन्दर 150 रूपए में लेकर उस कम्पनी वाले आदमी को 200 रूपए में बेच देंगे गाव के लोगोने उस आदमी को कुछ घंटो का time मांगा और अपने पास की पूरी जमा पूंजी, संपती, गहने, यहाँ वहा से पैसे लेकर उस आदमी से बन्दर खरीद लिए और कम्पनी वाले आदमी का इंतजार करते रहे लेकिन कई महीने गुजर जाने के बाद वह आदमी नहीं आया तो लोगो के समझ में आया की 10,20,40,और 100 रूपए में जिस आदमी ने उनसे बन्दर ख़रीदे थे उसी के आदमी ने उन्हें उल्लू बनाकर वाही बन्दर 150 रूपए में बेचे.

       ज्यादा की लालच की वजह से उन्हें अपना सबकुछ गवाना पड़ा. और मिल गया babaji ka thullu                           

“लालच बुरी बला”

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