क्षत्राणी हीरादे का बलिदान
जब अलाउद्दीन खिलजी जालौर के किले को जीते बिना ही वापस लौट रहा था तब वीरभद्र दहिया नाम के एक शख्स ने उसे जालौर किले के कमजोर भाग कि गुप्त सूचना अलाउद्दीन खिलजी को दी। इस से खुश होकर अलाउद्दीन खिलजी ने उसे पारितोषिक दिया।
उस पारितोषिक धन की गठरी लेकर अपने घर की ओर बढ़ा,वह मन ही मन बहुत खुश था कि वह जब अपनी पत्नी को यह सब धन सौंपेगा तो वह कितना खुश होगी, वह इससे अपने गहने बनवाएगी, और उसने जाकर यह गठरी अपनी पत्नी को थमा दी।
उसकी पत्नी का नाम हीरादे था
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हीरा दे ने जब इस पारितोषिक गठरी को देखा तब उसके मन में विचार आया कि जालौर से लौट रही अलाउद्दीन खिलजी की सेना वापस किले की ओर क्यों मुड़ गई!
इस बात से वह समझ गई कि उसके पति ने ही अलाउद्दीन खिलजी को सूचना दी है और उसने तुरंत अपने पति से पूछा यह धन आपको अलाउद्दीन खिलजी से मिला है जालौर के साथ गद्दारी करने के लिए।
वीरभद्र दहिया एकदम चुप हो गया और वह राष्ट्रभक्त वीरांगना गुस्से से आग बबूला हो गई।
हीरादे ने अपने पति वीरभद्र को कहां कि पापी तुझे शर्म नहीं आई अपने राज्य के स्वामी के साथ और अपने देश के साथ गद्दारी करते हुए। क्या इस दिन के लिए तुझे माँ ने बड़ा किया था?
क्या यही ऋण चुकाएगा मातृभूमि का?
आज मुझे शर्म महसूस होरही है के मै तेरी पत्नी हूँ
उसके मन में विचार आने लगा क्योंकि राज्य के स्वामी कान्हड़देव के साथ छल कर के उसके पति ने उसके धर्म को अपमानित किया है। तब उसके मन में क्रोध आने लगा था वह सोचने लगी कि इस देशद्रोही के साथ क्या किया जाए एक तरफ उसका पत्नीधर्म था दूसरी तरफ से राष्ट्रप्रेम उसे पुकार रहा था।
अंत में उसने अपनी अंतरात्मा की सुनी और निर्णय लिया कि ऐसे देशद्रोही का अंत जरूरी है और पलक झपकते ही उसने पास में पड़ी तलवार से अपने पति का सर काट दिया और उस सर को लेकर कान्हड़देव के दरबार में पहुंची और वहां पहुंचकर पूरा व्याख्यान बताया,जब दरबार में बैठे हर राजपूत ने यह व्याख्यान सुना तो वह दंग रह गए।।।। कान्हड़देव ने उस वीरांगना को नमन किया इसके बाद सभी राजपूत वीरों ने केसरिया बाना पहनकर युद्ध की तैयारी करी और हीरादे ने सभी रानियों के साथ जोहर में सम्मिलित हो स्वयं को अग्नि को समर्पित कर दिया।
ऐसी देशभक्त वीरांगनाओं के साहस को इतिहासकारों ने भुला दिया और चंद पैसों के लालच में फिल्मी भांडों ने एक नीच को बढ़ावा दिया।
काश भ्रष्टाचारी अधिकारियों और नेताओं की पत्नियों में भी हीरादे जैसी वीरांगना जागृत हो जाए तो देश की सूरत कुछ और ही होगी।।
जय क्षत्राणी
जय राजपूताना , अखंड राजपुताना
पोस्ट By :– जयदीप सिंह राठौड़ , ठिकाना रामनगर , नीमच(म.प्र)
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