नई दिल्ली : भारत, पाकिस्तान से लगी अपनी संवेदनशील सीमा पर इजरायल में विकसित एक स्मार्ट बाड़ प्रणाली तैनात कर रहा है जिसमें ‘‘त्वरित प्रतिक्रिया दल’’ (क्यूआरटी) तंत्र है जो सीसीटीवी से लैस नियंत्रण कक्ष द्वारा घुसपैठ की कोशिश का पता लगाने पर हमला करता है. सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (सीआईबीएमएस) नाम की एक महत्वाकांक्षी परियोजना का कार्यान्वयन कर रहा है. यह सब भारत-पाक एवं भारत-बांग्लादेश सीमाओं को आने वाले कुछ सालों में पूरी तरह सील करने की नरेंद्र मोदी सरकार की योजना का हिस्सा है.
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बीएसएफ कुल 6,300 किलोमीटर से ज्यादा लंबी दोनों सीमाओं की सुरक्षा करता है. उसके प्रमुख ने कहा कि नई सीमा सुरक्षा प्रणालियों से पहली बार इस क्षेत्र में ‘‘आमूलचूल बदलाव’’ आएगा. बीएसएफ महानिदेशक के के शर्मा ने कहा, ‘‘हमारी संचालन तैयारी में एक आमूलचूल बदलाव आने वाला है. इस समय हम सीमा पर एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक गश्त करते हैं. अब हमारी एक क्यूआरटी आधारित प्रणाली की तरफ बढ़ने की योजना है और अब तक इस्तेमाल नहीं की गयी कई नई तकनीकों का परीक्षण किया जा रहा है.’’
इस तरह काम करेगी नई प्रणाली
शर्मा ने बताया कि नई प्रणाली किस तरह काम करेगी. उन्होंने कहा, ‘‘नए उपकरण एवं तकनीक एकीकृत किए जाएंगे और सीसीटीवी कैमरों से एक फीड सीमा चौकी पर भेजी जाएगी जहां मॉनिटर लगा हुआ है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘दो या तीन लोग 24 घंटे इसकी निगरानी करेंगे. अब हमारे पास ऐसे सॉफ्टवेयर हैं जो किसी भी तरह की घुसपैठ या परिस्थिति में बदलाव का पता लगा लेंगे तथा सतर्क कर देंगे.’’
ठीक उस जगह की जानकारी मिल जाएगी जहां घुसपैठ होगी
महानिदेशक ने बताया कि एक स्वचालित अलार्म उस सटीक जगह की जानकारी देगा जहां (सीमा पर) घुसपैठ हो रही है या ऐसी कोई कोशिश की जा रही है या कुछ नजर आ रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘अलार्म बजते ही हम उस जगह पर अंधेरे में काम करने वाले अपने कैमरे जूम कर देंगे और पता कर लेंगे कि वहां क्या हो रहा है जिससे हम खतरे से निपटने में सक्षम होंगे. हमारी यही योजना है.’’
दो पायलेट प्रोजेक्ट्स पर काम जारी
बीएसएफ इस संदर्भ में जम्मू में पांच-पांच किलोमीटर की दो पायलट परियोजनाएं चला रहा है और बाद में चार और संवेदनशील सीमा खंडों पर भी ऐसा किया जाएगा. इनमें से एक-एक पंजाब तथा गुजरात में भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा तथा एक-एक पश्चिम बंगाल और धुबरी (असम) में भारत-बांग्ला सीमा में होंगी.
नहीं रहेगी दिन-रात गश्त की जरूरत
महानिदेशक के अनुसार नयी प्रणाली के जरिए उसके जवानों को सीमा पर दिन-रात गश्त करने की जरूरत नहीं होगी, जवान सीमा चौकी पर मौजूद होंगे और खतरा नजर आने पर निकलेंगे. उन्होंने कहा कि स्मार्ट बाड़ तथा निगरानी पद्धतियों की यह प्रणाली इजरायल में इस्तेमाल की जा रही अत्याधुनिक तकनीकों में से हैं.
‘सीमा सुरक्षा का भविष्य तकनीक में’
महानिदेशक ने कहा कि उन्हें इस बात को लेकर दृढ़ विश्वास है कि सीमा सुरक्षा का भविष्य तकनीक में बसा है ना कि जवानों की संख्या बढ़ाने में. उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए मैंने संसदीय समिति से कहा कि कृपया हमें तकनीक खरीदने के लिए पैसा दें. मुझे यह बताने में खुशी हो रही है कि मौजूदा सरकार इस प्रस्ताव को लेकर काफी सकारात्मक है.’
‘यह करीब-करीब अचूक होगा’
शर्मा ने कहा कि 100 प्रतिशत अचूक जैसी कोई चीज नहीं होती लेकिन यह प्रणाली मौजूदा प्रणाली से ज्यादा कारगर है और बीएसएफ के पास बहुस्तरीय प्रणालियां होंगी. अगर कोई एक नाकाम होता है तो दूसरा उसका पता लगा लेगा. यह करीब करीब अचूक होगा.
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