नई दिल्ली। रेलवे की पटरिओं और ट्रैक के इर्द गिर्द कूड़ा फेंकना और इसको सार्वजनिक टॉइलट की तरह इस्तेमाल करना दिल्ली ही नहीं पूरे भारत में एक आम बात है। यदि आप सुबह के समय ट्रेन में यात्रा कर रहे हैं तो खिड़की से बाहर का दृश्य कुछ और ही तरह का भारत दर्शन कराता है। कई बार तो विदेशी लोग सुबह सुबह खिड़की से बाहर देखकर पूछते सुने गए हैं " पटरी के किनारे लोग लाइन से क्यों बैठे हैं "। इस सम्बन्ध में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली सरकार और दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड को निर्देश दिया कि वह रेल पटरियों के आसपास की झुग्गी बस्तियों के पुनर्वास पर..
जल्द निर्णय ले। पीठ ने इन्हें यह भी निर्देश दिया कि वे इन झुग्गी बस्तियों को नयी जगह बसाने से जुड़ी पूर्ण कार्य योजना जमा कराएं।नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने रेल की पटरियों पर मल त्यागने वालों और कचरा फेंकने वाले लोगों पर 5000 रूपए का जुर्माना लगाने और उनके साथ सख्ती बरतने के लिए कहा है ।
जल्द निर्णय ले। पीठ ने इन्हें यह भी निर्देश दिया कि वे इन झुग्गी बस्तियों को नयी जगह बसाने से जुड़ी पूर्ण कार्य योजना जमा कराएं।नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने रेल की पटरियों पर मल त्यागने वालों और कचरा फेंकने वाले लोगों पर 5000 रूपए का जुर्माना लगाने और उनके साथ सख्ती बरतने के लिए कहा है ।