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डॉ अब्दुल कलाम को अंतिम नमन



डॉ अब्दुल कलाम को अंतिम नमन




भारत के आधुनिक महर्षि डॉ अब्दुल कलाम को आज भारत माता ने अपने आँचल में चिर विश्राम के लिए पनाह दे दी. भारत के मिसाइल मैन के नाम से प्रसिद्ध डॉ कलाम एक ऐसी शख्सियत थे जिन्होंने गीता के कर्मयोग का अर्थ को उसके वास्तविक अर्थों में समझकर अपने जीवन में उतार लिया और सारे  जीवन एक सच्चे कर्मयोगी की तरह अपने काम में निरंतर लगे रहे.
थकान क्या होती है...? इसे वे पूरी जिंदगी नहीं जान पाए. उनमे काम करने की लगन इतनी तीव्र थी कि जो भी उनके सानिध्य में रहता  था वह उनके जैसा ही कर्मयोगी बने बिना रह ही नहीं सकता था.
वे सकारात्मक उर्जा के स्त्रोत थे बल्कि ये कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि वे सकारात्मक उर्जा के प्रेरणास्त्रोतदायी सूर्य थे जो कभी अस्त होना नहीं जनता था.
उनके चहरे से झलकती बालसुलभ जिज्ञासा और सादगी भरा जीवन उनके संत और महात्मा होने कि साफ़ घोषणा करता था. उनका जीवन बेहद पारदर्शी और बेदाग था. वे वास्तव में जन-जन के नेता थे.
उनके जैसा व्यक्तित्व और कृतित्व सदियों में विरला ही कोई इस धरती को अपने स्पर्श से कृतार्थ करता है. वे एक कर्मठ वैज्ञानिक ही नहीं एक सच्चे संगीतज्ञ भी थे.
वे जानते थे कि भारत का भविष्य बच्चे और इसका वर्तमान युवा हैं और इन दोनों पीढ़ियों में वो आने वाला भारत देखते थे. उन्होंने राष्ट्रपति पद से अलग हो जाने के बाद इन दोनों पीढ़ियों के मार्गदर्शन का भार अपने कन्धों पर ले लिया था और व अपनी भूमिका बेहद सरलता से और मुस्तैदी से निभा रहे थे, तभी तो ८३ वर्ष कि अवस्था में भी  अनवरत में मिशन में लगे थे. वे चाहते थे कि वे कार्य करते हुए ही इस दुनिया से विदा लें...! और वैसा ही हुआ.
वे सही मायनों में एक मानव थे जो जमीं से जुड़े रहने का अर्थ जानते थे.
इस महर्षि को मेरा शत-शत नमन.
(Veena Sethi)


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