एक तिनका और जुड़ गया उसके आशियाने में फुर्रर.. निकल गई नए तिनके की तलाश में गौरय्या लेनिन से अनजान है तंत्र से अपरीचित है उसे पूंजीवाद की भी जानकारी नहीं है शायद इसीलिए बेखौफ लोकतांत्रिक अंदाज में बटोरती है तिनका-तिनका जीती है सुराज में
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