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कानून के छात्रों को सीजेआई की सलाह, "हर चीज पर सवाल करें, पूछताछ की भावना पैदा करें, कॉलेज में खूब मस्ती भी करें

कानून के छात्रों को सीजेआई की सलाह, "हर चीज पर सवाल करें, पूछताछ की भावना पैदा करें, कॉलेज में खूब मस्ती भी करें

" चीफ जस्टिस ऑफ इं‌डिया डीवाई चंद्रचूड़ ने कानून के छात्रों को सलाह दी कि वे खुद में "पूछताछ की भावना" पैदा करें और "हर चीज पर सवाल" करें। इंडिया इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ लीगल एजुकेशन एंड रिसर्च, गोवा के पहले शैक्षणिक सत्र के उद्घाटन के अवसर पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने उक्त टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयीय शिक्षा का उद्देश्य तर्क, सहिष्णुता, विचारों के रोमांच और सत्य की खोज को बढ़ावा देना है। सीजेआई ने कहा, "जैसा जीवन में है, अकादमिक क्षेत्र में भी हर चीज पर सवाल उठाना याद रखें। वह मानवीय गुण, जो हमें ब्रह्मांड के अन्य जीवों से अलग करता है, वह सोचने की क्षमता है और इसलिए हमारा अस्तीत्व भी है। कानूनी पेशे का सार सवाल करना है न कि स्वीकार करना। यदि जो आपके सामने है उसे आप सामाजिक सत्य के रूप में स्वीकार करने लगते हैं, तब आप वकील और जज बनने के लायक नहीं हैं। वकील और जज के रूप में हमारे अस्तित्व का आधार यह है कि हम सवाल करते हैं और जो हमें हालात के बारे में बताया जाता है, उसे वैसे ही स्वीकार नहीं करते हैं। किसी भी चीज को सिर्फ इसलिए सच न मान लें कि कोई आपको बताता है कि वे जो कह रहा है वह निर्विवाद रूप से सच है। दार्शनिक रेने देकार्ते के प्रसिद्ध उद्धरण "मुझे सोचता हूं, इसलिए मैं हूं" को नए तरीके से ढालते हुए सीजेआई ने कहा, "मैं सवाल करता हूं, इसलिए मैं हूं"। सीजेआई ने प्रोफेसरों से छात्रों में "पूछताछ की भावना" पैदा करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, यह उन्हें कानून पेशे में बेहतर स्थिति में रखता है। उन्होंने छात्रों से कहा, अपने आसपा की दुनिया पर सवाल उठाते हुए, अपने विचारों को भी उसी कसौटी पर परखना न भूलें। अपने आप से सवाल करें, केवल दूसरों से सवाल करना न सीखें। अपने आस-पास की दुनिया के बारे में जानने के साथ ही अपने दृष्टिकोण की जांच करें और बार-बार जांच करें। ज्ञान के लिए सीखें, नंबरों के लिए नहीं सीजेआई ने अपने भाषण में कहा, "पूछताछ की भावना" का मतलब यह नहीं कि हर चीज पर सवाल उठाया जाए। इसके लिए आपमें जिज्ञासा की क्षुधा की आवश्यकता होगी। उन्होंने स्‍टूडेंट्स से कहा कि वे नंबर पाने तक अपना अध्ययन सीमित ना करें। सीजेआई ने कहा, "प्रत्येक विषय के बारे में जिज्ञासु रहें और ज्ञान के लिए ही सीखने की कोशिश करें। जब हमारे आसपास की दुनिया के बारे में ज्ञान की बात आती है तो पाठ्यक्रम से बाहर का कोई प्रश्न नहीं होता है।" दिमाग खुला रखें, कॉलेज में भी मजे करें सीजेआई ने छात्रों से कहा कि 5 साल की कानूनी शिक्षा व्यक्तिगत और व्यावसायिक दोनों स्तरों पर परिवर्तनकारी होगी। "अपनी शिक्षा को केवल अकादमिक उद्देश्यों के अनुसंधान के रूप में न देखें, बल्कि उन सभी उद्देश्यों के अनुसंधान के रूप में देखें, जिनके लिए जीवन में आगे बढ़ना आवश्यक है। आप जिन विषयों का अध्ययन करते हैं, उनका ज्ञान प्राप्त करने में कोई कसर न छोड़ें। लेकिन सबसे बढ़कर खुद को जानने का प्रयास करें। खुद को जानना एक निरंतर प्रक्रिया है। मुझे नहीं लगता कि मैंने इस उम्र में भी खुद को जान लिया है। आपको उस खोज को जल्दी शुरू करना चाहिए, जब आप खुद को एक व्यक्ति के रूप में विकसित होते हुए देखते हैं। अपने प्रति सच्चे रहें"। सीजेआई ने छात्रों को विभिन्न संस्कृतियों के बारे में खुला दिमाग रखने की अपील की। उन्होंने छात्रों को अच्छे दोस्त बनाकर और कुछ शौक और विविध रुचियों को अपनाकर कॉलेज जीवन के दौरान आनंद लेने और मौज-मस्ती करने की भी सलाह दी। उन्होंने कहा, शिक्षा कक्षाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि गलियारों, छात्रावास के कमरों, कैंटीनों और अड्डा तक फैली हुई है।


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