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अधिवक्ताओं के खिलाफ गोदी मीडिया का दुष्प्रचार अभियान

अधिवक्ता और पुलिस संघर्ष दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन पुलिस की जात्तीयों के खिलाफ कोई उचित फोरम न होने के कारण आये दिन संघर्ष की स्थिति पैदा हो जाती है, मूल समस्या को देखने के बजाय टुकड़ो-टुकड़ों में समस्या का समाधान करने की कोशिश के कारण आये दिन विस्फोटक स्थिति पैदा हो जाती है, अधिवक्ताओं के पास ज्यादातर शिकायतें पुलिस की होती हैं, और उनके द्वारा की जा रही मारपीट और वसूली की शिकायतें अधिवक्ताओं को बराबर मिलती है जिससे युवा, ईमानदार अधिवक्ताओं के मन में उनके प्रति घृणा उत्पन्न होती है, उस घृणा के कारण आये दिन संघर्ष में बदल जाती है, इन घटनाओं के पीछे अधिवक्ताओं का कोई निजी मामला न होकर जनता के प्रति पुलिस द्वारा किये जा रहे अत्याचार के कारण अधिवक्ताओं की सहानुभूति गुस्से के रूप में प्रदर्शित होती है।

दिल्ली पुलिस के जवान इस समय काली पट्टी बांधकर मुख्यालय के बाहर जुटे हैं और अपने लिए इंसाफ की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि हम भी वर्दी के पीछे एक इंसान हैं, हमारा भी परिवार है। हमारी पीड़ा कोई क्यों नहीं समझता।

पुलिसवालों का सवाल है कि मानवाधिकार हमारे लिए नहीं है क्या। हमें कोई भी मारता-पीटता रहे और हम शांत रहें। हमें इंसाफ चाहिए और अगर पुलिस कमिश्नर हमारी बात नहीं सुनते तो हम गृहमंत्रालय तक जाएंगे। वहां तक शांतिपूर्ण मार्च करेंगे।
यह सब करते समय पुलिस यह नहीं है कि जब वह ज्यादिती करती है तब उसकी यह मनोदशा नहीं होती है।


दिल्ली पुलिस द्वारा अधिवक्ताओं के खिलाफ प्रदर्शन करना सरकारी तंत्र की विफलता है, अभी तक सरकार ने पुलिस के द्वारा की जा रही जात्तीयों के खिलाफ कोई उचित फोरम तैयार नहीं किया है, अपितु महाभ्रष्ट से भ्रष्ट पुलिस अधिकारी कानून व्यवस्था का रखवाला बना रहता है, और फर्जी मुठभेड़ द्वारा आरोपियों की बटेर व मुर्गों की भांति हत्या की जा रही है। उनको दण्डित करने में समाज व न्यायपालिका पूर्णरूप से विफल है।
अधिवक्ता चूंकि सीधे समाज से जुड़ा हुआ व्यक्ति है मोहलले से लेकर हर स्तर पर पुलिस द्वारा की जा रही जात्तीयों व भ्रष्टाचार के खिलाफ कुछ करने की इच्छा इस तरह के संघर्षों को जन्म देती है, आज जरूरत इस बात की है कि संगठित अपराधी गिरोह जो वर्दी के नाम पर समाज का उत्पीड़न कर रहे हैं उनको चिंहित कर दण्डित किया जाए, गोदी मीडिया वकीलों की छवि को धूमिल कर रही है। जिसका कोई औचित्य नहीं है, अधिवक्ताओं के खिलाफ जारी दुष्प्रचार बंद किया जाये। अधिवक्ता समाज उगता हुआ सूरज है, ब्रिटिश कालीन भारत में जब कोई मोर्चा रखने के लिए तैयार नहीं था तब गांधी, नेहरू, पटेल जैसे अधिवक्ताओं ने अपना पेशा छोड़कर अंग्रेजी सम्राज्यवाद का सूरज डुबो दिया था, आज उन्हीं के पद चिन्हों पर चलने वाले अधिवक्ताओं के खिलाफ गोदी मीडिया दुष्प्रचार कर रही है।

रणधीर सिंह सुमन, एडवोकेट
अधिवक्ता चेम्बर, कक्ष सं0 27,
सिविल कोर्ट, बाराबंकी
मोबाइल: 9450195427


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