RSS पà¥à¤°à¤®à¥à¤– मोहन à¤à¤¾à¤—वत बोले- मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® à¤à¥€ हमारे हैं, संघ के लिठकोई पराया नहीं, यह देश जितना हमारा उतना ही उनका...
सरसंघचालक डा.मोहन à¤à¤¾à¤—वत ने कहा कि राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¯à¤‚सेवक संघ (RSS) संपूरà¥à¤£ समाज को संगठित करना चाहता है। संघ के लिठकोई पराया नहीं है। लोकसà¤à¤¾ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ के मदà¥à¤¦à¥‡à¤¨à¤œà¤° à¤à¥€ संघ पà¥à¤°à¤®à¥à¤– ने लव जिहाद व मतांतरण सहित तमाम मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‹à¤‚ पर à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जनता पारà¥à¤Ÿà¥€ को और संजीदा होकर काम करने की सलाह à¤à¥€ दी थी । परिणाम सामने है।
संघ पà¥à¤°à¤®à¥à¤– मोहन à¤à¤¾à¤—वत के बयान के बाद कई तरह की टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ दिख रही थी । उसमें जो मà¥à¤à¥‡ दिखता है à¤à¤• तो मैं उन लोगों का विचार सà¥à¤¨ रहा हूं जो लोग आरà¤à¤à¤¸à¤¸ को औसिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त और वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° के रूप में बहà¥à¤¤ करीब से देखते हैं। उनका ये मानना है कि आरà¤à¤¸à¤à¤¸ ये दरअसल à¤à¥à¤°à¤® पैदा करने के लिठकिया था । और इसमें ये समà¤à¤¨à¤¾ कि कोई बदलाव है खà¥à¤¦ को à¤à¥à¤°à¤® में रखने जैसी बात होगी। वो लोग à¤à¤¾à¤—वत के इस बयान को बहà¥à¤¤ महतà¥à¤µ नहीं दे रहे थे और आमतौर पर खारिज कर रहे थे । लोगों की à¤à¤• ये à¤à¥€ नजर थी कि संघ ने बड़े बदलाव की तरफ इशारा किया है और उस तरफ à¤à¥€ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देने की जरूरत है।
मà¥à¤à¥‡ जहां तक लगता है संघ की जो दृषà¥à¤Ÿà¤¿ है और उसका जो सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ है उसमें कोई बदलाव नहीं है। लेकिन संघ की अनà¥à¤à¥‚तियों की अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ जरूर है जो अपने में खासतौर पर संविधान और संसदीय राजनीतिक वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° के बारे में à¤à¤• नई अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ है जिसे देखने की जरूरत है। संघ ये मानता है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ में संविधान के पीछे केवल उदारपंथियों की नहीं बलà¥à¤•à¤¿ सामाजिक शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की à¤à¥€ à¤à¤• बड़ी ताकत है और अà¤à¥€ तक की जो संसदीय वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ है उसमें संसदीय पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ से बेहतर है। इसलिठइन दोनों को उसने सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया है और मैं समà¤à¤¤à¤¾ हूं कि पहली बार संघ ने सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ तौर पर इसको सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया है। 2024 में मोदी जीते तो चà¥à¤¨à¤¾à¤µ नही होगा, इस शंका को दूर करने की कोशिश à¤à¥€ रही है।
इसमें शासन करने के लिठà¤à¤• राजनीतिक मंच (बीजेपी) दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उसने जो शासन किया उस वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° से à¤à¥€ उसे à¤à¤• नई सीख मिली। संघ ने ये माना है कि संविधान और संसदीय राजनीति जैसी चल रही है वैसे चलने दिया जाà¤à¥¤ इसको अà¤à¥€ टच न किया जाय ।
जहां तक उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हिंदà¥à¤¤à¥à¤µ की बात की है, अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤•à¥‹à¤‚ के मामले में गà¥à¤°à¥ गोलवलकर के विचारों को बदलने की बात की है तो उसमें कोई मौलिक बदलाव नहीं है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मूल पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ ये नहीं है कि वो मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करते हैं या नहीं करते हैं। मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को वो सशरà¥à¤¤ पहले à¤à¥€ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करते थे आज à¤à¥€ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करते हैं। उनका मानना है कि हिंदà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ में मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को अपने पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ का, अपनी परंपरा का, अपनी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करना पड़ेगा, उसे सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करना पड़ेगा।
जैसा कि उनके पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾à¤¸à¥à¤°à¥‹à¤¤ सावरकर या फिर गà¥à¤°à¥‚जी के विचार रहे हैं। वो इस बात को à¤à¥€ ले आते हैं कि आपको इसे पितृà¤à¥‚मि ही नहीं बलà¥à¤•à¤¿ पूणà¥à¤¯à¤à¥‚मि à¤à¥€ मानना पड़ेगा। ये जो उनका सैदà¥à¤§à¤¾à¤‚तिक सूतà¥à¤°à¥€à¤•à¤°à¤£ है। इस पर वो अà¤à¥€ à¤à¥€ अडिग हैं। संघ की इस मूल दृषà¥à¤Ÿà¤¿ में कोई बदलाव नहीं हà¥à¤† है। गैर हिंदà¥à¤“ं पर ये सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• दबाव वो बनाठरखना चाहते हैं। अब इसमें उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दोनों पदà¥à¤§à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया है लेकिन अंतिम पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ उनकी हमले और दंबगई की है। इसको à¤à¥€ वो बदलने नहीं जा रहे हैं। जैसे वो मानते हैं कि हिंदू राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के लिठपà¥à¤°à¤¾à¤£ देना और पà¥à¤°à¤¾à¤£ लेना उनका राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है।
हिंदà¥à¤“ं का सैनà¥à¤¯à¥€à¤•à¤°à¤£ और सैनिकों का हिंदूकरण इसके जैसी जो उनकी कà¥à¤› मूल सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾à¤à¤‚ हैं इसको वो मानते हैं। और जिस दिन संघ पूणà¥à¤¯à¤à¥‚मि और पितृ à¤à¥‚मि के à¤à¤—ड़े को खतà¥à¤® कर देगा। मातृà¤à¥‚मि के तौर पर सब लोग तो इसे सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° ही करते हैं। लेकिन उनका जो सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• दबाव है, राजनीतिक दबाव है पूणà¥à¤¯à¤à¥‚मि मानने का। जिस दिन वो इस विचार से अपने को अलग करेंगे तब फिर आरà¤à¤¸à¤à¤¸ के बने रहने का या फिर हिंदà¥à¤¤à¥à¤µ के बने रहने का औचितà¥à¤¯ ही खतà¥à¤® हो जाà¤à¤—ा।
इसीलिठअपने कारण का निषेध करके और फिर उसका कोई आधार ही न रहे वो नहीं चल सकते हैं। ये à¤à¤¾à¤°à¤¤ वरà¥à¤· के लिठà¤à¤• लंबी लड़ाई है जो संघ लड़ना चाहता है अà¤à¥€ संघ सरकार की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से ये महसूस जरूर करता है कि बहà¥à¤¤ सारी सामाजिक शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ जो हमसे अलगाव में हैं और इससे शासक वरà¥à¤— के à¤à¤²à¥€à¤Ÿ हिसà¥à¤¸à¥‡ में à¤à¤• संदेश है कि बीजेपी तो चलो ठीक है लेकिन राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¯à¤‚सेवक संघ के जो लोग हैं वो समाज में इस तरह का काम कर रहे हैं। उस हिसà¥à¤¸à¥‡ को यहां पूंजी निवेश करने में डर लगता है। उनको à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आशà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤ किया है कि वो किसी पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ विचार के साथ नहीं हैं और वो à¤à¥€ मॉब लिंचिंग के खिलाफ हैं। वो à¤à¥€ चाहते हैं कि समाज में à¤à¤• अचà¥à¤›à¤¾ माहौल रहे। लोगों के बीच संबंध रहे।
कानून को हाथ में न लें। हमारा संघ à¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤› नहीं करेगा जो कानून के दायरे के इतर हो। ये आशà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤ करना चाहते हैं। वो बीजेपी और संघ के बीच के अंतरविरोध को देखते हैं और बदलती हà¥à¤ˆ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में वो आधà¥à¤¨à¤¿à¤• ढंग से काम करना चाहते हैं। और हम गैर राजनीतिक हैं इसलिठहमारे राजनीतिक सà¥à¤µà¤¯à¤‚सेवक जहां काम कर रहे हैं उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ के अनà¥à¤°à¥‚प हम à¤à¥€ आचरण करते हैं। जिसे वो दिखाना चाहते हैं। लेकिन यहां à¤à¥€ उनका à¤à¤• अंतरविरोध है पूरे वकà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ में जहां से उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने शà¥à¤°à¥‚आत की थी और अंत में जहां उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उसे खतà¥à¤® किया। उसका उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने निषेध कर दिया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पहले कहा कि कानून का राज होना चाहिठइसको सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करते हैं लेकिन बाद में कहने लगे कि किसी à¤à¥€ तरीके से मंदिर बनवाओ। ये मà¥à¤–à¥à¤¯à¤°à¥‚प से उसी का निषेध है।
संघ कह सकता था कि जो लोग राजनीति कर रहे हैं ये उनका मामला है, वही देखेंगे या फिर मामला अà¤à¥€ सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® कोरà¥à¤Ÿ में लंबित है और वहां से जो à¤à¥€ फैसला होगा, देखा जाà¤à¤—ा। लेकिन किसी à¤à¥€ तरीके से बनवाओ ये जो आगà¥à¤°à¤¹ था । ये आगà¥à¤°à¤¹ किन कारणों से हो सकता था , बाद के दिनों मे सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ हो गया । कि ये लोग अपनी कांसà¥à¤Ÿà¥€à¤Ÿà¥à¤¯à¥‚ंसी को मेसेज दे रहे थे कि राम मंदिर हमारे लिठकेवल नारेबाजी का मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¾ नहीं है हम इसको गंà¤à¥€à¤°à¤¤à¤¾ से ले रहे हैं। और दूसरा ये à¤à¥€ मेसेज दे रहे हों कि राममंदिर बनाया जाना चाहिठऔर नई राजनीतिक परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में खड़ा होकर 2019 के चà¥à¤¨à¤¾à¤µ में इसे मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¾ बनाया गया।
जहां तक उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हिंदà¥à¤¤à¥à¤µ की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ की है। हिंदू जो धरà¥à¤® है उसका हिंदà¥à¤¤à¥à¤µ से कà¥à¤› लेना-देना नहीं है। हिंदà¥à¤¤à¥à¤µ à¤à¤• राजनीतिक विचारधारा है। लेकिन वो जो बंधà¥à¤¤à¥à¤µ की परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ हिंदà¥à¤¤à¥à¤µ में देखते हैं। विशà¥à¤µ बंधà¥à¤¤à¥à¤µ में समानता, सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ की अवधारणा है जो मूलतः तरà¥à¤• पर आधारित है उससे अलग है। उनका बंधà¥à¤¤à¥à¤µ आसà¥à¤¥à¤¾ पर आधारित है। यहां हर चीज आसà¥à¤¥à¤¾ के नाम पर किया जाता है। इस तरह से à¤à¤¾à¤°à¤¤ में आसà¥à¤¥à¤¾ का संकट नहीं है यहां तरà¥à¤•, विवेक और वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• सोच का संकट है। जà¥à¤žà¤¾à¤¨ हमारे देश में विकसित हो इसलिठà¤à¤¸à¤¾ हिंदà¥à¤¤à¥à¤µ जिसमें तरà¥à¤• के लिà¤, विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के लिà¤, विवेक के लिठजगह नहीं हो। उस तरह के हिंदà¥à¤¤à¥à¤µ को विशà¥à¤µ बंधà¥à¤¤à¥à¤µ कहकर आप उसका चरितà¥à¤° जो गैर वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• है, गैर मानवीय है का महिमांडन कर रहे हैं।
जनराजनीति के बारे में à¤à¥€ इनकी कोई धारणा सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ नहीं है। इनकी कोशिश जरूर रहती है कि डा. अंबेडकर से लेकर गांधी तक को समाहित कर लें। डा. अंबेडकर आधà¥à¤¨à¤¿à¤• वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ हैं इसलिठये कहकर कि फà¥à¤°à¤¾à¤‚स की कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति में जो समानता, बंधà¥à¤¤à¥à¤µ की अवधारणा है उसको न सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करके बà¥à¤¦à¥à¤§ में जो समानता बंधà¥à¤¤à¥à¤µ है अंबेडकर उसकी बात करते हैं। इसके जरिये वो डाकà¥à¤Ÿà¤° अंबेडकर के बारे में अपनी समठको थोपते हैं। डा. अंबेडकर à¤à¤• आधà¥à¤¨à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤°à¤¤ बनाने के लिठजà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ जोर दलितों पर इसलिठदेते हैं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि बिना उनको गोलबंद किठà¤à¤• सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का आविरà¥à¤à¤¾à¤µ नहीं हो सकता है। à¤à¤• नागरिकता का पà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤µ नहीं हो सकता है जातीय बंधन में बांधकर दलितों को मनà¥à¤·à¥à¤¯ बनने के अधिकार से ही वंचित कर दिया गया।
इसलिठवो उस समाज को साथ लेने की बात करते हैं। डा. अंबेडकर à¤à¥€ लाते हैं और गांधी जी à¤à¥€ हिंद सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œ में जो लिखे हैं और 1947 आते-आते वो उसमें सà¥à¤§à¤¾à¤° नहीं बलà¥à¤•à¤¿ जाति तोड़क की à¤à¥‚मिका में आ जाते है। तो गांधी का निरंतर विकास हो रहा है। वो कà¤à¥€ à¤à¥€ गांधी को पचा नहीं पाà¤à¤‚गे। पूरा संविधान आधारशिला है जिसे नेहरू ने बनाया और डà¥à¤°à¤¾à¤«à¥à¤Ÿ कमेटी ने तैयार किया। गांधी उसकी आतà¥à¤®à¤¾ हैं। इसलिठलोकतांतà¥à¤°à¤¿à¤• अधिकार से लेकर नीति निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤• ततà¥à¤µ तक ये सब बाते हैं। इसमें गांधी का आधà¥à¤¨à¤¿à¤• विचार दिखता है जो नेहरू के माधà¥à¤¯à¤® से सामने आता है।
इसलिठगांधी और नेहरू के बीच कोई अंतरविरोध तलाशना बेमानी है। दोनों को à¤à¤• दूसरे के खिलाफ खड़ा किठजाने की कोशिश की जाती है। ये à¤à¥€ दांव लगाते हैं और कà¤à¥€ गांधी को नेहरू तो कà¤à¥€ नेहरू को गांधी के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश करते रहते हैं। दरअसल ये नेहरू के माधà¥à¤¯à¤® से गांधी को हराना चाहते हैं। आरà¤à¤¸à¤à¤¸ के लोग कà¤à¥€-कà¤à¥€ चाणकà¥à¤¯ की नीति की बात करते हैं। लेकिन चाणकà¥à¤¯ की नीति में à¤à¥€ à¤à¤• सोशल मोरलिटी है à¤à¤• सामाजिक नैतिकता है। यह सामाजिक नैतिकता संघ में नहीं है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि संघ में आप देखिà¤à¤—ा कि किस तरह से खà¥à¤¦ में संघ के मूल सà¥à¤°à¥‹à¤¤ के विचारक सावरकर अपनी रिहाई के मामले में कà¥à¤¯à¤¾-कà¥à¤¯à¤¾ करते हैं। खà¥à¤¦ देवरस इमरजेंसी के दौरान कà¥à¤¯à¤¾-कà¥à¤¯à¤¾ किà¤à¥¤
यहां तक कि संघ में à¤à¤• धारा रही है जिसमें नाना जी देशमà¥à¤– जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने लोहिया वगैरह से लेकर गांधी को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया और कहा कि बिना इन लोगों को लिठहम à¤à¤¾à¤°à¤¤ वरà¥à¤· में नहीं बढ़ सकते हैं। कमà¥à¤¯à¥‚निसà¥à¤Ÿ संदरà¥à¤ में न कारà¥à¤¯à¤¨à¥€à¤¤à¤¿ के संदरà¥à¤ में इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कोई बदलाव किया है। और न ही चाणकà¥à¤¯ नीति के संदरà¥à¤ में à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤› हà¥à¤† है। दरअसल ये परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के हिसाब से समय-समय पर अपनी मूल दृषà¥à¤Ÿà¤¿ को आगे बढ़ाने के लिठसमायोजन करते रहते हैं। ये इन सब पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ पर काम करते हैं। आज की तारीख में अगर हम समगà¥à¤°à¤¤à¤¾ में देखें तो मोहन à¤à¤¾à¤—वत जो कह रहे हैं उससे कà¥à¤› मोटी बातें निकलती हैं।
à¤à¤• मोटी बात ये निकलती है कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सामाजिक दबाव में अà¤à¥€ जो कमजोर बिंदॠहै उसके लिहाज से संविधान में जो सेकà¥à¤²à¤°à¤¿à¤œà¥à¤® और समाजवाद है उसको सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया है और अà¤à¥€ जो संसदीय पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ है राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ की जगह उसे बनाठरखने के पकà¥à¤· में हैं। इस संदरà¥à¤ में ये बात जरूर देखना होगा। ये जो पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ बात को नये ढंग से कह रहे हैं इसने उन लोगों के लिठमà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² खड़ा कर दिया है जो हिंदू-हिंदू खेल में लगे हà¥à¤ हैं। जैसे कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ का पूरा ये खेल था कि ये कटà¥à¤Ÿà¤°à¤ªà¤‚थी हिंदू और मैं उदारवादी, सनातनी हिदू हूं।
आरà¤à¤¸à¤à¤¸ ने उनके इस सà¥à¤ªà¥‡à¤¶ को कम किया है और कम से कम अवधारणा के सà¥à¤¤à¤° पर ये बहस चला दिया है कि ये à¤à¥€ सनातनी हिंदà¥à¤“ं का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿à¤¤à¥à¤µ करने वाले लोग हैं। इसने उनके लिठà¤à¥€ और जो लोग समाजसासà¥à¤¤à¥à¤° को अरà¥à¤¥à¤¨à¥€à¤¤à¤¿ से अलग-थलग करके इनको वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• हिंदू धरà¥à¤® का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ नहीं मानते उनके लिठà¤à¥€ चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ कड़ा कर दिया है। इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने कैनवास को बड़ा किया है जिसमें धरà¥à¤® में अपने को सनातनी कहते हैं और राजनीति जो हिंदà¥à¤¤à¥à¤µ की विचारधारा है उसको सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• विशà¥à¤µ बंधà¥à¤¤à¥à¤µ से जोड़ते हैं या फिर उसकी कोशिश करते हैं।
उदारवाद की à¤à¥€ अपनी सीमाà¤à¤‚ हैं। जो लोग उदारवाद और अनà¥à¤¦à¤¾à¤°à¤µà¤¾à¤¦ के जरिये इनसे लड़ना चाहते हैं उनके सामने जरूर संकट है। और कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ को इसका सैदà¥à¤§à¤¾à¤‚तिक जवाब देना होगा जो अà¤à¥€ तक नहीं आया है। मैं समà¤à¤¤à¤¾ हूं कि इनका पूरा पà¥à¤°à¥‹à¤œà¥‡à¤•à¥à¤Ÿ पूरी तरह से à¤à¤• अधिनायकवादी वैचारिका पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ है जो वरà¥à¤šà¤¸à¥à¤µà¤µà¤¾à¤¦à¥€ है और बà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤¦à¥€ तौर पर लोकतंतà¥à¤° विरोधी है। जिसमें ये माडरà¥à¤¨, सिटीजनशिप कंसेपà¥à¤Ÿ के विरोधी हैं। नागरिकता के विरोधी हैं। समाज के सेकà¥à¤²à¤°à¤¾à¤‡à¤œà¥‡à¤¶à¤¨ के विरूदà¥à¤§ हैं। मूलत: ये लोकतंतà¥à¤° विरोधी विचार है और इसका जवाब सà¥à¤¸à¤‚गत लोकतांतà¥à¤°à¤¿à¤• पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ से ही दिया जा सकता है। लोकतंतà¥à¤° की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ केवल सामाजिक संदरà¥à¤à¥‹à¤‚ में ही नहीं बलà¥à¤•à¤¿ उसकी आरà¥à¤¥à¤¿à¤• वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ à¤à¥€ की जानी चाहिà¤à¥¤
à¤à¤¾à¤°à¤¤ में à¤à¤• राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ अरà¥à¤¥à¤¨à¥€à¤¤à¤¿ की à¤à¥€ जरूरत है और सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€ के मामले में à¤à¥€ ये पूरी तरह से नाकाम हà¥à¤ हैं। पीछे हटे हैं। जो परà¥à¤¦à¤¾ लगा रखा था उसे हटा लिया है। इसलिठà¤à¤¾à¤°à¤¤ वरà¥à¤· में राजनीतिक, आरà¥à¤¥à¤¿à¤• और सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• à¤à¤• वैकलà¥à¤ªà¤¿à¤• धारणा है वो इस देश में उदार अरà¥à¤¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के विरà¥à¤¦à¥à¤§ खड़ी होती है। नेशनल अरà¥à¤¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ को बनाती है। जिसमें छोटे-छोटे कल कारखाने और देश में पूंजी का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ जो राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ आंदोलन में लकà¥à¤·à¥à¤¯ लिया गया उन सब को पूरा करने का सवाल है। सेकà¥à¤²à¤°à¤¾à¤‡à¤œà¥‡à¤¶à¤¨, नागरिकता और पूंजी निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में बांधा पैदा करने वाले जो पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ अवशेष बचे हैं उनको हटाने के लिठऔर à¤à¤• नये राजà¥à¤¯ के माधà¥à¤¯à¤® से, विशà¥à¤µ सà¥à¤¤à¤°à¥€à¤¯ ताकतों से à¤à¤•à¤¤à¤¾à¤¬à¤¦à¥à¤§ होने के जरिये वितà¥à¤¤à¥€à¤¯ पूंजी के शोषण के शिकार खासकर à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पड़ोसी मà¥à¤²à¥à¤•à¥‹à¤‚, के साथ à¤à¤•à¤¤à¤¾à¤¬à¤¦à¥à¤§ होने की जरूरत है।
मूल रूप से बड़े राजनीतिक पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¤¾à¤°à¥à¤® की जरूरत है जिसे संघ ने जो चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ पेश की है उसका मà¥à¤•à¤¾à¤¬à¤²à¤¾ करना है। पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ जो फारà¥à¤®à¥à¤²à¥‡à¤¶à¤¨ है वो इनकी विचार पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ से लड़ने की बजाय उनके कà¥à¤› à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• फारà¥à¤®à¥‡à¤‚शन तक सीमित रह जाता है। ये थोथे सà¥à¤¤à¤° पर इनका विरोध करता है। वो लोग इनसे वैचारिक सà¥à¤¤à¤° पर अà¤à¥€ नहीं लड़ पाà¤à¤‚गे। जैसे कà¥à¤› लोग अà¤à¥€ तक कहते थे कि रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ नहीं कराया है वो अपना रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ करा लेंगे। वो ये à¤à¥€ कह रहे हैं कि गà¥à¤°à¥à¤ª आफ इंडिविजà¥à¤…ल के तौर पर उनका रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ है। ये à¤à¥€ कह रहे हैं कि उनका आडिट होता है। अब आप कहां खड़े होंगे?
सवाल कà¥à¤› तकनीकी पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ की जगह सामाजिक नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ की ताकतों को à¤à¥€ संघ ने जो चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ पेश की है उसके बारे में सोचना होगा। और जो दलित बहà¥à¤œà¤¨ दृषà¥à¤Ÿà¤¿ है वो लाकà¥à¤·à¤£à¤¿à¤• संदरà¥à¤à¥‹à¤‚ में ही इसका विरोध करती है। उसके सामने à¤à¥€ अरà¥à¤¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से लेकर सामाजिक वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में à¤à¤• नागरिक के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ की सà¥à¤µà¥€à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और उसका सेकà¥à¤²à¤°à¤¾à¤‡à¤œà¥‡à¤¶à¤¨ à¤à¤• बड़ा पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ है। और उसे इसको हल करना होगा।
आज à¤à¤• नये किसà¥à¤® के सामाजिक-आरà¥à¤¥à¤¿à¤• और राजनीतिक ढांचे की जरूरत है। जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ और उसके सेकà¥à¤²à¤°à¤¾à¤‡à¤œà¥‡à¤¶à¤¨ की सà¥à¤µà¥€à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ देता हो। और संघ ने इस सà¥à¤¤à¤° पर जो चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ पेश की है उसका सैदà¥à¤§à¤¾à¤‚तिक और वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• सà¥à¤¤à¤° पर मà¥à¤–à¥à¤¯à¤§à¤¾à¤°à¤¾ के दल जवाब दे पाà¤à¤‚गे à¤à¤¸à¤¾ अà¤à¥€ नहीं दिख रहा है। इसमें संघ के संकट को कà¤à¥€ à¤à¥€ कम मानने की जरूरत नहीं है। या फिर उसे समावेशी समाज के किसी नये पà¥à¤°à¤µà¤•à¥à¤¤à¤¾ के बतौर नहीं देखा जा सकता है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उनकी जो मूलदृषà¥à¤Ÿà¤¿ है वो समाज के à¤à¤• बड़े हिसà¥à¤¸à¥‡ को बहिषà¥à¤•à¥ƒà¤¤ करती है। और वो राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦ के नाम पर पराधीन सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ की सेवा करता है।..
drbn singh..