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चंबल नदी के करीब मुरैना में हुआ था ' मुरैना गजक ' का जन्म

जैसे भारत की मशहूर मिठाई पेठे का जन्म आगरा में हुआ था उसी प्रकार बताया जाता है कि  गजक का अविष्कार सीताराम शिवहरे ने  चंबल के पानी से  मध्य प्रदेश के एक छोटे से जिले मुरैना में किया । कहा से  गजक की  कहानी शुरू हुई।मुरैना में पिछले 100 साल से गुड़ और तिल की मिष्ठान्न गजक का उत्पादन  हो रहा है। मुरैना वह नगर है जहाँ मोर बहुतायत में होते हैं। वहां हर सर्दी में किसान  फल और गजक खाकर कड़ाके की ठंड का मुकाबला करते हैं। घर में उगाए गए तिल और गुड़  से बनी इस मिठाई को मुरैना की गजक कहा जाता है । बहुत से लोगों का कहना है कि  चंबल नदी के पानी में कुछ घटकों के कारण ही इससे एक मिठाई विकसित हुई। मुरैना की गजक अब  अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्यात की जाती हैं। गजक को तिल और गुड़ से बनाया जाता है, इसे बनाने की विधि बहुत ही कम समय लेती है।  आटा तब तक फेंटा जाता है जब तक कि सभी तिल टूट न जाएं और आटे में अपना तेल न छोड़ दें।


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