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भारत में वाहन न तो रुकते हैं और न ही पैदल चलने वालों को रास्ता देते हैं

पैदल आबादी के लिए भारत के अधिकांश शहर काफी असुरक्षित दिखाई देते हैं। अफसोस की बात है कि भारतीय सड़कों को कभी भी पैदल चलने वालों की सुरक्षा के लिए प्राथमिकता के साथ डिजाइन नहीं किया जाता है। आमतौर पर पैदल चलने वालों को सड़कों पर एक छोटा सा क्षेत्र आवंटित किया जाता है जो सड़क बनाने के बाद बचा रह  जाता है। अधिकांश सड़कों पर तो पैदल चलने वालों के लिए भी जगह नहीं नज़र आती है।सड़क पर चलने और ओवरटेक कर रहे किसी वाहन, तेज रफ्तार या चालक के विचलित होने पर प्रभावित होने का पेडेस्टेरियन्स को हमेशा जोखिम रहता है । दिल्ली के कनॉट प्लेस में चंद अंडरग्राउंड रास्ते अवश्य बना दिए गए हैं , किन्तु सुरक्षा की दृष्टि से ये रात में बंद कर दिए जाते हैं। सड़कों पर जेबरा क्रासिंग का हर जगह आभाव है। देखा गया है कि अधिकांश शहरों की सड़कों पर ट्रैफिक लाइट अधिकतर खराब सी रहती है। 

सुरक्षित रूप से पार करने का जोखिम क्योंकि, भारत में वाहन न तो रुकते हैं और न ही पैदल चलने वालों को रास्ता देते हैं। कभी-कभी, पैदल चलने वालों को भी पार करने के लिए दो सड़कों के बीच की बॉउंड्री पर कूदना भी पड़ता है, क्योंकि बहुत से स्थानों पर कोई बुनियादी ढांचा उपलब्ध नहीं है। यदि आप बुजुर्ग हैं तो यह जिम्नास्टिक आपको अस्पताल तक पहुंचा सकती है। 




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