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टूरिज्‍म इंडस्‍ट्रीज की रहती आयी मांग के अनुरूप ताज बैराज बनेगा

--जलकल की इकाईयों को तजमहल के डाउनस्‍ट्रीम के इस प्रोजेक्‍ट कोयी लाभ नहीं  
सिचाई मंत्री धर्म पाल  सिंह ने ताज बैराज बनाये जाने की घोषण की,
साथ योगेन्‍द्र उपाध्‍याय, राम प्रताप सिंह चौहान तथा  हेमलता दिवाकर।
( राजीव सक्‍सेना) आगरा में ब्‍ेराज तो बनेगी  किन्‍तु पीने के पानी की किल्‍लत को दूर करने के लिये नहीं तजमहल के संरक्षण व टूरिजम इंडस्‍ट्री को चमकाने के लिये । जब भी बैराज का मामला उठता है तब तब उसे ताजमहल के डाउनस्‍ट्रीम में लेजाये जाने के लिये लाविंग शुरू होती रही है। इस बार यह कामयाब रही। उ प्र के  सिंचाई एवं सिंचाई यान्त्रिक श्री धर्मपाल सिंह ने योगी सरकार का एक साल पूर्ण होने के उपलक्ष्‍य में अधिकारियों के साथ हुई बैठक के बाद पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि सात सौ करोड की यह योजना है। 50 करोड की राशि शीघ्र अवमुक्‍त कर दी जायेगी। 
सिंचाई मंत्री ने
पूरी प्रेस वार्ता के दौरान ताजमहल के पर्श्‍व के सौदर्यीकरण और पर्यटकों के लिये हाटस्‍पाट के रूप में ही बैराज को उल्‍लेखित करने तक ही अपने को सीमित रखा वहीं कई विधायकों और स्‍थानीय भाजपा नेताओं ने इसे पेयजल संस्‍या के समाधान की दिशा में एक महत्‍वपूर्ण कार्य कहने मेे देर नहीं की।
गोमती सहित छै नदियां होंगी पुनर्जीवित
 सिचाइ मंत्री ने कहा कि गोमती, तमसा, वरुणा, सई, अरैल तथा सोत आदि प्रदेश की छै नदियों को पुर्नजीवित किया जायेगा।  इनमें से आगरा की एक भी नदी का नाम शामिल नहीं है। जबकि मंत्री जी के साथ प्रेस कांफ्रेंस मे बैठे दो विधायाको के क्षेत्र की उटांगन, खारी  और कारवन( झरना नाला) की नदियां बदहाली के दौर के बाद अब गुमनामी के दौर में पहुंच चुकी हैं। 
जलसंस्‍थानों  के लिये न के बराबर  उपयोगिता  
बन रही बैराज पर प्रस्‍तावित जलाशय का अधिकतम जलस्‍तर मूल योजना प्रारूप में ही 146 मीटर यानि 480 फुट रखना प्रस्‍तावित किया गया है। इस प्रकार  बैराज की पौंडिंग का अपस्‍ट्रीम वाले छोर ( जीवनी मंडी जलकल के पास ) पर जलस्‍तर , जलसंस्‍थान को जरूरी 480 फुट  ( 146. 304 मीटर ) से 0.304 कम होगा। 
इस प्रकार जलसंस्थान की जीवनी मंडी इकाई पर बनी रहने वाली जल किल्‍लत की स्‍थिति  पर कोयी फर्क नहीं पडेगा ।अत: टूरिज्‍म के मकसद से बन रही बैराज के उद्धेश्‍यों में आगरा की पेयजल आपूर्ति में सुधार के योगदान की बात का समावेश एक निहायत गलत तथ्‍य है। संभवत: सिंचाई मंत्री इस तथ्‍य से भलीभांति परिचित होंगे इसी लिये उन्‍हों ने महानगर की जलापूर्ति को किसी भीकिस्‍म की इस बैराज से राहत की बासत को कहने से बचने की कोशिश की । यह बात अलग है कि जाने या अनजाने विधायक गण बैराज प्रोजेक्‍ट को महानगगर के पेयजल संकट से उबरने से जोडते रहे। 


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