सरकारी सूत्रों के मुताबिक, अब इस बिल को मानसून सत्र में सदन में पेश किया जाएगा | माना जा रहा है कि सरकार सदन से उस प्रस्ताव के लिए मंजूरी लेना चाहेगी, जिसके तहत सार्वजनिक क्षेत्र की इंश्योरेंस कंपनियों में सरकारी हिस्सेदारी 51 फीसदी से कम नहीं की जा सकती है | इस प्रोविजन के हट जाने के बाद सरकारी कंपनियों के निजीकरण का रास्ता साफ हो जाएगा |
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ये कंपनियां लिस्ट में टॉप पर
माना जा रहा है कि सदन से जब निजीकरण को लेकर मंजूरी मिल जाएगी, तब सरकार यह फैसला करेगी कि किस इंश्योरेंस कंपनी का निजीकरण किया जाए | सूत्रों के मुताबिक यूनाइटेड इंडिया, ओरिएंटल और नेशनल इंश्योरेंस में किसी एक का चयन निजीकरण के लिए किया जाएगा | सूत्र ने यह भी कहा कि कोरोना के कारण इस प्रक्रिया में देर होगी और चालू वित्त वर्ष में इंश्योरेंस कंपनी के निजीकरण की संभावना काफी कम ही है |
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