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आखिर क्यों माता सीता को लवकुश के जन्म से पहले वन जाना पड़ा?

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पद्मपुराण के पातालखण्ड में श्री शेष जी का ऋषि वात्स्यान से सीता का अपवाद करने वाले धोबी के पूर्व जन्म का वृतांत बताते है। तो ऋषि उनसे पूछते है की आखिर सीता माता को ये दुःख क्यों मिला? क्यों श्री राम ने इतना कठिन निर्णय लिया। और उस धोबी की बुद्धि क्यों मारी गयी जो सीता माता के बारे में ऐसा बोला।

तो शेष जी धोबी के पूर्व जन्म का वृतांत बताते है। ये सब सीता माता को मिले श्राप के कारण है। धोबी और धोबिन पिछले जन्म में तोता और मैना थे।

एक बार ये शुक उसी बगीचे में बैठ कर रामायण के बारे में बात कर रहे थे जिसमे माँ सीता अपनी सहेलियो के साथ विचरण कर रही थी। तो उन्होंने सुना की – “श्री राम जनक सुता से विवाह करेंगे, और उन्हें अपनी रानी बनायेगे। ” इतना सुनते है माता सीता के मन में अपना भविष्य जानने की इच्छा हुयी।

उन्होने सहेलियों से बोला की इन शुक को पकड़ कर लाओ।

सीता माता ने मैना से पूछा – हे सूंदर पक्षी, तुम कौन हो? कहाँ रहते हो? और जिस व्यक्ति के बारे में आप बातें कर रहे हो वो कौन है?

तो मैना बोली – हम वाल्मीकि आश्रम में रहने वाले शुक है। हमने वृक्ष से देखा की मुनि एक महान काव्य की रचना कर रहे है जिसका नाम रामायण है। उसी से हमें पता चल की श्री राम का विवाह जनक नंदनी सीता से होगा। ऋषि बाल्मीकि ने भविष्य में होने वाली घटनाओं को पहले ही काव्य के रूप में लिखकर संकलित कर रहे है।

माता सीता ने फिर पूछा – बताओ श्री राम का स्वरुप कैसा है, वो कैसे दिखते है? क्या तुमने उन्हें देखा है?

जनक नंदनी की व्याकुलता देखकर, शुक ने पूछा – कही आप ही तो सीता नहीं है?

माता सीता – हाँ में ही जनक पुत्री सीता हु, पर अभी तक तो मेरा विवाह हुआ ही नहीं है। में कैसे विश्वास करू की जो तुम कह रहे हो वो सत्य है इसलिए अब आप मेरे साथ रहोगे जब तक की मेरा विवाह नहीं हो जाता।

तोता बोला – हे जनक नंदनी हम जंगल के पक्षी है, हमारे लिए महल कोई अर्थ नहीं है। मेरी मैना गर्भ से है। जैसे ही हम गर्भादान सम्पूर्ण होता है, हम आपके पास वापस आ जायेगे।

किन्तु जनक नंदनी ने ज़िद पकड़ ली, और अंत में कहाँ की मैना मेरे पास ही रहेंगे, आप चाहो तो जंगल में जा सकते हो।

मैना घबराकर ज़ोर ज़ोर से रोने लगी। तोता फिर चिल्लाया और कहा की सब ठीक ही कहते है की ज्यादा नहीं बोलना चाहिए। आज हमारा बोलना हमारे लिए दुखदायी हो गया। पर सीता ने एक न सुनी।
इधर मैना के प्राण निकल चुके थे,

तोता यह देखकर बहुत क्रोधित हुआ और उसने श्राप दिया -हे सीता जिस तरह से तुम्हारे कारण मेरी गर्भवती मैना मुझसे दूर चली गयी है, उसी प्रकार से तुम भी गर्भवती होते ही अपने पति से दूर हो जायेगी। ऐसा कहकर तोता भी अपने प्राण त्याग देता है।

शेषनाग जी कहते है की हे मुनि ये वही शुक धोबी और धोबिन के रूप अपना प्रतिशोध लेने के लिए राम राज्य में जन्म लेते है। और इस कारण सीता बनवास की शुरुआत होती है।

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