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16 साल की बहन ने अपने दिव्यांग भाई के लिए बनाई अनोखी साइकिल

Girl Invent Wheelchair Cycle : बहन ने अपने भाई की व्हीलचेअर को अपनी साइकिल को जोड़ दिया

Girl Invent Wheelchair Cycle : हम सुनते आए हैं कि आवश्यकताएं लोगों को नई चीजों का आविष्कार करने के लिए प्रोत्साहन देती हैं.

महाराष्ट्र के बारामती की 16 साल की लड़की मयूरी पोपट यादव ने भी कुछ ऐसा आविष्कार कर दिखाया है जो आज देश के भीतर चर्चा का विषय बना हुआ है.
दसवीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा मयूरी यादव ने अपने दिव्यांग भाई के लिए एक ऐसी साइकिल व्हीलचेअर तैयार करी है जिसकी मदद से वो रोज स्कूल जा सकता है.
दरअसल मयूरी का 13 साल का भाई निखिल अक्सर उस दिन स्कूल नहीं जा पाता था जब उनके पिता जी घर पर नहीं होते थे, क्योंकी उनके पिता के अलावा और कोई ऐसा इंसान घर पर नहीं रहता था जो निखिल को स्कूल तक छोड़ आए.
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और फिर क्या अपने भाई को रोजाना स्कूल ले जाने के लिए मयूरी ने इस साइकिल व्हीलचेअर का आविष्कार कर दिया .
बता दें मयूरी ने अपने भाई की व्हीलचेअर को अपनी साइकिल को जोड़ दिया जिससे वो खुद निखिल को घर से लगभग एक किलोमीटर दूर स्कूल हर दिन ला और ले जा पा रही है.
मयूरी के मुताबिक उसका भाई बड़ा हो रहा है और इसलिए अब पिता जी के लिए भी उसे उठाकर और स्कूटर पर पकड़कर स्कूल तक ले जाने में थोड़ी असुविधा होती है.
मयूरी बतातीं है की कई बार जब पिता घर पर नहीं होते हैं, तो उस दिन निखिल भी स्कूल नहीं जा पाता था.
इसलिए उसने अपने भाई को अपने साथ स्कूल ले जाने के लिए इस विचार के बारे में सोचा, और जब शिक्षकों और प्रिंसिपल के साथ इस पर चर्चा की तो सभी ने खुशी-खुशी समर्थन किया.
मयूरी के स्कूल आनंद विद्यालय के प्रधानाचार्य एएस अतर कहते हैं कि निखिल पढ़ाई में बहुत अच्छा है, लेकिन जब भी उसके पिता नहीं होते थे तो वह अपनी कक्षाओं में अक्सर अनुपस्थित हो जाता था.
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तभी एक दिन मयूरी इस अद्भुत विचार के साथ मेरे पास आई हालांकी शुरुआत में हम झिझक रहे थे क्योंकि हमें लगा कि यह संभव नहीं है.
लेकिन बाद में विज्ञान के शिक्षक जयराम पवार और वासीकर ने उसके साथ और स्कूल की तकनीकी टीम के साथ विचार-विमर्श कर इस आइडिया को वास्तव में लागू कर दिखाया.
जयराम सर ने बताया की हमने साइकिल को वेल्डिंग द्वारा व्हीलचेयर के साथ जोड़ दिया जिसमें निखिल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कुछ संशोधन भी किए गए.
संतुलन और सेफ्टी को देखते हुए साइकिल के दोनों ब्रेक को साइकिल और व्हीलचेअर दोनों के पहियों के साथ सही से जोड़ा गया है.
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इसके अलावा उसमें व्हीलचेअर में सुरक्षा को देखते हुए एक बेल्ट भी लगाई है.
इस आविष्कार का बारें में निखिल का कहना है कि वह अपनी बहन के द्वारा उसके लिए किए गए इस अदुभुत आविष्कार से बहुत खुश है और इसके साथ ही वह विकलांग लोगों के लिए इस तरीके के और आविष्कार किए जाने की जरूरत भी महसूस करता है.
वहीं स्कूल के प्रधानाचार्य के मुताबिक इसको हाल ही में नसरपुर में आयोजित जिला-स्तरीय विज्ञान प्रदर्शनी में भी प्रदर्शित किया गया जहां इसे राज्य-स्तरीय प्रतियोगिता के लिए भी चुना लिया गया है.

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