Sadhu Akhara In Kumbh : इस साल किन्रर अखाड़ा पहली बार शामिल हो रहा कुंभ में
Sadhu Akhara In Kumbh : इस महीने की 15 तारीख से प्रयागराज में कुंभ मेले की भव्य शुरुआत हो चुकी है,आपमें से कई लोग हो सकता है इस पवित्र समागम में अपनी उपस्थिति दर्झ करा चुके होंया पिर जाने का प्लान बना रहें हों.
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गौरतलब है की 15 जनवरी से 4 मार्च तक चलने वाले कुंभ मेले के आय़ोजन से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं जो इसे कई मायनों में सबसे ख़ास और सबसे महत्वपूर्ण बनाती हैं.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उज्जैन, नासिक, हरिद्वार और प्रयागराज में आयोजित होने वाले धार्मिक आयोजन कुंभ की हिन्दू धर्म में खासी मान्यता है.
हर साल इस कुंभ के मेले में लाखों करोड़ों की संख्या में साधु-संत और श्रद्धालु शामिल होते हैं.
दरअसल अक्सर हम सभी कुंभ में जाते हों तो वहां आए अखाड़ों के बारे में जानने की हमारी बड़ी तीव्र उत्सुकता रहती है.
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तो आइए आज हम अपनी इस खबर के माध्यम से आपको देश के दिंगबर अखाड़ों के बारे में कुछ ऐसी ही आवश्यक जानकारी साझा करते हैं.
कुंभ मेले में कुल मान्यता प्राप्त 13 अखाड़े शामिल होते हैं.
जिन्हें नहीं पता उनकी जानकारी के लिए बता दें कि हर बार की तरह इस बार कुंभ मेले में 13 नहीं बल्कि 14 अखाड़े शामिल हुए हैं.
इन 14 अखाड़ों में से 7 शैव, 3 वैष्णव, और 3 उदासीन अखाड़े हैं. जबकी इस बार एक और अखाड़ा 14वें नंबर पर लिस्ट में शामिल हुआ है जिसका नाम किन्नर अखाड़ा है.
इन सभी अखाड़ों की अपनी विशेषताएं और अपने महत्व होते हैं, इतना ही नहीं इन सभी अखाड़ों के कानून अलग होते हैं और इनकी दिनचर्या और इनके इष्टदेव भी अलग अलग होते हैं.
अब जानें इन सभी अखाड़ों के बारे में विस्तार से :
महानिर्वाणी अखाड़ा (शैव)
निर्वाणी अखाड़े प्रयाग, ओंकारेश्वर, काशी, त्रयंबकेश्वर, कुरुक्षेत्र, उज्जैन और उदयपुर में हैं और इसका केंद्र हिमाचल प्रदेश में है.
बताते चलें कि इसका संबंध मुख्यरुप से उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में भस्म चढ़ाने वाले महंत निर्वाणी अखाड़े से हैं.
आवाहन अखाड़ा (शैव)
आवाहन अखाड़े की स्थापना सन 1547 में हुई थी.इस अखाड़े के लोग भगवान श्रीगणेश व दत्तात्रेय को अपना इष्टदेव मानते हैं, माना जाता है कि यह जूना अखाड़े से जुड़ा हुआ है.
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अटल अखाड़ा (शैव)
अटल अखाड़े के इष्टदेव भगवान श्री गणेश को माना जाता है. इनका मुख्य केंद्र काशी में है इसके अलावा इसकी शाखाएं बड़ौदा, हरिद्वार, त्र्यंबक, उज्जैन आदि में हैं.
जूना अखाड़ा (शैव)
कुंभ मेले में शामिल होने वाला जूना अखाड़ा एक सबसे प्रसिद्ध अखाड़ा है. इस अखाड़े को पहले भैरव अखाड़ा के नाम से जाना जाता था.
पहले इनके इष्टदेव भगवान शिव थे, लेकिन इस बार इस अखाड़े के इष्टदेव भगवान दत्तात्रेय हैं जो कि रुद्रावतार हैं.
निरंजनी अखाड़ा (शैव)
निरंजनी अखाड़े की स्थापना सन 904 में गुजरात में हुई थी. इस अखाड़े के इष्टदेव भगवान कार्तिकेय हैं जो देवताओं के सेनापति कहे जाते हैं.
निर्मोही अखाड़ा (वैष्णव)
18वीं सदी की शुरुआत में गोविंददास नाम के संत जयपुर से अयोध्या आए थे. ऐसी मान्यता है कि इस अखाड़े की स्थापना उन्होंने ही की थी.
निर्मोही अखाड़ा अयोध्या का सबसे शक्तिशाली अखाड़ा माना जाता है. इस अखाड़े के साधुओं के चार विभाग हैं- हरद्वारी, वसंतिया, उज्जैनिया व सागरिया.
निर्मल अखाड़ा (सिक्ख)
निर्मल अखाड़े की स्थापना सिख गुरु गोविंदसिंह के सहयोगी वीरसिंह ने की थी. इनके साधु संत सफेद वस्त्र धारण करते हैं इनका ध्वज पीला और इनके हाथ में रुद्राक्ष की माला होती है.
आनंद अखाड़ा (शैव)
इस अखाड़े के इष्टदेव सूर्य हैं काशी में इन साधुओं की संख्या अभी भी काफी मात्रा में है, हालाँकि ऐसा माना जाता है कि इस अखाड़े से जुड़ी काफी परंपराएं लुप्त होने की कगार पर है.
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अग्नि अखाड़ा (शैव)
अग्नि अखाड़े की स्थापना सन 1957 में हुई थी. इस अखाड़े के साधु नर्मदा-खण्डी, उत्तरा-खण्डी व नैस्टिक ब्रह्मचारी में विभाजित है.
दिगंबर अखाड़ा (वैष्णव)
260 साल पुराने दिगंबर अखाड़े की स्थापना मूलरुप से रामनगरी अयोध्या में हुई थी. इसके साधु श्याम दिगंबर और राम दिगंबर के नाम दो भागो में विभाजित हैं.
बड़ा उदासीन अखाड़ा (सिक्ख)
उदासीन अखाड़े का केंद्र इलाहाबाद में है. इस अखाड़े में चार पंगतों में चार महंत इस क्रम से होते हैं- 1. अलमस्तजी का पंक्ति का, 2. गोविंद साहबजी का पंक्ति का, 3. बालूहसनाजी की पंक्ति का, 4. भगत भगवानजी की परंपरा का.
नया उदासीन अखाड़ा (सिक्ख)
सन 1902 में इसकी स्थापना की गई थी कहा जाता है कि उदासीन साधुओं में मतभेद हो जाने के कारण इसकी उदय हुआ था.
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नया किन्नर अखाड़ा
बता दें कि इसके पहले उपरोक्त 13 अखाड़ों को ही मान्यता प्राप्त थी लेकिन इस बार 14वें नए किन्नर अखाड़े को भी मान्यता मिली है.
इस अखाड़े में करीब 2500 साधु के शामिल होने की उम्मीद है.
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