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राहुल गांधी ने ‘संविधान बचाने’ का उठाया बीड़ा, सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली

Congress Samvidhan Bachao Abhiyan : संविधान को लेकर कांग्रेस का इतिहास खुद रहा दागदार

Congress Samvidhan Bachao Abhiyan : भारत में 2019 के चुनावी संघर्ष का बिगुल बज चुका है, सभी पार्टियां अपनी-अपनी तरफ से आम जनता को लुभाने की कोशिशें तेज कर दी है.

कोई अपनी जातिगत वोटो को मजबूत कर रहा है तो कोई जनता के संवदेशील मुद्दे में उसे दिलासा देते हुए हमदर्द बनने की कोशिश कर रहा है.
बता दें कि जैसे जैसे चुनाव की तारीखे और नजदीक आती जाएंगी पार्टी के लोग और नेता खुद भी न जाने कितने आजीबो गरीब चीजें करते दिखेंगे, यानि की अब आने वाले दिनों में जनता को मुफ्त में मनोरंजन की पूरी उम्मीद है.
इसी क्रम में आज कांग्रेस पार्टी के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राहुल गांधी एक नई चीज लेकर सामने आए हैं और वो है उनका ‘संविधान बचाओ अभियान’
बता दें कि आज यानि की 23 अप्रैल को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम से कांग्रेस ने राहुल गांधी के नेतृत्व में ‘संविधान बचाओ अभियान’ की शुरुआत करी है.
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क्या है ‘संविधान बचाओ अभियान’
भारत एक लोकतांत्रिक देश है यही वजह है कि इस देश की पूरी शासन व्यवस्था संविधान के अनुसार चलती है.
विपक्षी पार्टी कांग्रेस का कहना है कि एनडीए सरकार के शासनकाल में संविधान पर खतरा मंडरा रहा है इसलिए ‘संविधान बचाओ अभियान’ की शुरूआत की गई है.
पार्टी अध्यक्ष ने अभियान के शुरूआती संबोधन में मौजूदा सरकार पर तीखा हमला करते हुए उसे संविधान एवं दलितों विरोधी बताया. उन्होंने कहा कि सरकार संविधान की मूलभावना के साथ छेड़छाड़ कर रही है जिससे लोगों के अंदर अब न्याय पर से विश्वाश उठता जा रहा है.
यही नहीं उन्होंने बीते कुछ दिनों में दलितों पर होने वाले हमलों और सुप्रीम कोर्ट के फैसला को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने की बात कही है.
गौरतलब है कि यह अभियान अगले साल दलित विचारक बाबासाहब भीमराव आंबेडकर की जयंती 14 अप्रैल तक जारी रहेगा जिसमें कांग्रेस के वर्तमान एवं पूर्व सांसद, जिला परिषदों, नगरपालिकाओं और पंचायत समितियों में पार्टी के दलित समुदायों के प्रतिनिधि और पार्टी की स्थानीय इकाइयों के पदाधिकारी भी शामिल हो रहे हैं.
प्रधानमंत्री पर किए जुबानी हमले
‘संविधान बचाओ अभियान’ की शुरूआत राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए किया.
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि नीरव मोदी, ललित मोदी या राफेल डील का मामला हो मैं संसद में केवल 15 मिनट बोलूंगा तो पीएम वहां खड़े नहीं हो पाएंगे. मैं केवल इन मुद्दों पर बोलने के लिए संसद में 15 मिनट का वक्त मांग रहा हूं वो भी मुझे नहीं मिल रहा.
अपने भाषण में राहुल गांधी ने आगे कहा कि आमतौर पर लोग कोर्ट में न्याय मांगने जाते हैं, लेकिन मौजूदा सरकार में जज जनता से न्याय मांग रहे हैं. पीएम को देश से कोई मतलब नहीं है, उन्हें केवल खुद को प्रधानमंत्री पद पर बनाए रखने से है.
पिछले चुनाव में 15 लाख रुपए देने और दो करोड़ सरकारी नौकरी देने का झूठा वादा करके सत्ता में आए, इस बार कोई और झूठ बोलकर कुर्सी पाने की कोशिश करेंगे.
बता दें कि इस मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे और सुशील कुमार शिंदे आदि भी मौजूद रहे.
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संविधान को लेकर कांग्रेस का इतिहास खुद रहा दागदार
आज ‘संविधान बचाने’ के लिए सामने आई कांग्रेस पार्टी खुद कई बार अपने शासनकाल में संविधान को किनारे लगा चुकी है. अपने 70 साल के शासन में कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों ने कई बार अपने राजनीतिक हित साधने के लिए भारत के संविधान में तरह-तरह के छेड़छाड़ कर चुके हैं.
जिसमें सबसे बड़ी घटना इंदिरा गांधी द्वारा लगाया गई इमरजेंसी थी, दरअसल 1975 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ग़लत तरीके से चुनाव जीतने के मामले में एक याचिका के तहत इंदिरा गांधी को छह साल के लिए चुनाव लड़ने से रोक दिया था.
इस फैसले के खिलाफ इंदिरा को सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए 14 दिन का वक़्त दिया गया था. लेकिन इंदिरा गांधी ने अपने पद से इस्तीफ़ा देने के बजाय आपातकाल की घोषणा करवा दी और सत्ता की बागडोर सीधे अपने हाथों में ले ली थी.
जिसके बाद बिना किसी अदालती कार्यवाही के सैकड़ों की संख्या में विपक्षी सदस्यों को हिरासत में ले लिया गया और एक लाख से ज़्यादा लोगों को जेल में डाल दिया गया था.
सिर्फ इंदिरा गांधी ही नहीं उनके बेटे राजीव गांधी ने भी धर्म के आधार पर वोटों के तुष्टिकरण के लिए तीन तलाख के खिलाफ कानूनी लड़ाई जीतने वाली शाहबानो को हराकर संसद में नया कानून बनवा दिया.
जिससे तीन तलाक के खिलाफ अपने हक की लड़ाई लड़ने वाली शाहबानो अपना केस सुप्रीम कोर्ट में जीतकर भी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के एक फैसले के कारण हार गई थी.
राजीव गांधी ही नहीं बल्कि उनके नाना जवाहर लाल नेहरू भी अपने सत्ताकाल में संविधान से कई बार खेल चुके हैं. जानकारों को मुताबिक जवाहर लाल नेहरू ने अपने प्रधानमंत्री काल में लगभग 8 बार राष्ट्रपति शासन लगवाया,जबकि 42 बार संविधान के बनाए नियमों में परिवर्तन किया.

इस मौके पर तो कांग्रेस के लिए ये पंक्तियां ही सही लगती है “सौ चुहे खाकर बिल्ली हज को चली“.

खैर स्वंय की गलतियों को छिपाना तो सत्ता से बाहर बैठे हर राजनीतिक दलों की कोशिश रहती है. अब देखना तो ये है कि कांग्रेस के संविघान बचाओ वाले आंडबर का जवाब सत्ता पक्ष (एनडीए सरकार) कैसे देती है.

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