Economic Survey 2018 : खुले में शौच और बढ़ती जनसंख्या हर विषय पर ध्यान केंद्रीत करती है ये रिपोर्ट
Economic Survey 2018 : भारत सरकार में वित्त मंत्री अरूण जेटली ने सोमवार को लोकसभा में देश की आर्थिक समीक्षा 2017-18 की रिपोर्ट को पेश कर दिया है.
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इस समीक्षा में सरकार द्वारा लिए गए फैसले और उसके नतीजों पर विशेष ध्यान केंद्रित करते हुए सालाना रिपोर्ट तैयार की गई है जिसके कुछ अंश इस प्रकार निम्नलिखित हैं.
खुले में शौच ना करने के प्रति बढ़ी जागरूकता
रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा सरकार द्वारा 2014 में शुरू किए किए स्वच्छ भारत मिशन कार्यक्रम के बाद से खुले में शौच मुक्त परिवार में 50,000 हजार रुपए की बचत का अनुमान लगाया गया है.
इस ताजा सरकारी आकड़ों की माने तो पूरे देश में 296 जिलों तथा 3,07,349 गांव को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया गया है. वहीं केवल ग्रामीण क्षेत्र की बात करे तों इस मिशन के शुरूआत के बाद 3 सालों में स्वच्छता का दायरा वहां 39 प्रतिशत से बढ़कर 76 प्रतिशत हो गया है.
समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2014 में जहां खुले में शौच जाने वाले व्यक्तियों की आबादी देश में 55 करोड़ थी, जो जनवरी, 2018 में घटकर 25 करोड़ हो गई है.
बेटे की चाहत में बढ़ रही जनसंख्या
केंद्र सरकार द्वारा देश में जनसंख्या वृद्धी पर तैयार इस रिपोर्ट में लोगों के अंदर बेटो की बढ़ती चाहत को मुख्य वजह माना गया है.
सर्वे के मुताबिक भारत में कई दंपत्ति ऐसे हैं जो बेटे की चाह में कई बच्चों को जन्म दे देते हैं.वही कुछ ऐसे परिवार हैं जो घर में बेटों की संख्या ज्यादा करने के लिए लगातार बच्चे पैदा करते हैं.
हालांकि इस समीक्षा में देश के अंदर लिंगानुपात के कम होने का पता चला है.
किसानों की आय बढ़ोतरी के लिए प्रयास
आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट 2017-18 के मुताबिक सरकार लगातार किसानों की आय बढ़ोत्तरी को लेकर लगातार कई प्रयास की कर रही है. जिसमें संस्थानात्मक स्रोतों से ऋण, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, लागत प्रबंध, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, पीएमएफबीवाई व ईनाम जैसे अनेक योजनाएं शामिल हैं.
वहीं मौजूदा वित्त वर्ष 2017-18 में किसानों के दशा सुधार के लिए सरकार की तरफ से 20,339 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं.
जीएसटी का कैसा रहा असर
देश की अगर आर्थिक नीतियों पर बात हो और जीएसटी का जिक्र ना हो ऐसा हो सकता है भला.
इस रिपोर्ट में कहा गया कि जीएसटी की वजह से अर्थव्यवस्था के सामने कई चुनौतियां खड़ी हुईं. जिससे सरकारी की नीतियों के सामने कई तरह की चुनौतियां पेश हुई.
इसके अलावा इस समीक्षा में भी यह माना गया कि जीएसटी के आने के बाद उसका सबसे ज्यादा खामियाजा छोटे कारोबारियों को उठाना पड़ा है.
उन्हें नई टैक्स नीति को अपनाने में और इसमें शामिल होने में पेपरवर्क करने के दौरान काफी दिक्कतें पेश आईं, जिसका सीधा असर सप्लाई चेन और मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों पर पड़ा.
वृद्धी दर बढ़ने का अनुमान
वित्त वर्ष 2018 में अर्थव्यवस्था की रफ्तार 6.75 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है. जबकि वर्ष 2019 में इसके 7 फीसदी या 7.5 फीसदी तक पहुंचने का अनुमान है.
लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक वृद्धी के बावजूद सरकार के लिए देश में रोजगार के नए मौके सृजित करना काफी मुश्किल हो सकता है.
क्या होती है आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट
आर्थित समीक्षा की ये रिपोर्ट सरकार द्वारा पिछले साल के बजट में बांटे गए पैसों के लेखा जोखा के तौर पर तैयार की जाती है.
इस रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आती है कि सरकार ने पिछले साल के बजट के पैसों को कहां कहां और कितना खर्च किया है साथ ही इसने अपनी घोषणाओं को कितनी सफलतापूर्वक निभाया है.
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