लखनऊ। अपने ही बेटे अभिजीत यादव के कत्ल की आरोपी मीरा यादव पति और विधान परिषद के सभापति रमेश यादव की शिकायत सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से करना चाह रही थी। अपने कुछ पड़ोसियों के सामने पिछले कुछ समय में वे रमेश यादव पर घर खर्च न देने की पीड़ा बयान कर चुकी थीं। इसके साथ ही उन्होंने सपा के एक पूर्व सांसद से कहा था कि वे उनकी मुलाकात अखिलेश यादव से करवा दें ताकि वे अपनी व्यथा सुना सकें। रमेश यादव पहले तो महीने में कई बार परिवार से मिलने आते थे मगर पिछले कई महीने से एक बार भी नहीं आए थे।
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एक पड़ोसी ने बताया कि पिछले कुछ महीने से मीरा यादव काफी परेशान थीं। बीच-बीच में उनसे मुलाकात होती रहती थी। उन्होंने बताया था कि उनके पति अब न बेटों और न उनसे ही मिलने आते हैं और न ही कोई खर्च देते थे। इसी संबंध में सपा के एक पूर्व सांसद के जरिये अखिलेश यादव से मुलाकात करना चाह रही थीं। मगर वे मिल नहीं पाईं।
कभी शराब पीकर शोर शराबा होते नहीं सुना
पड़ोसी बताते हैं कि उन्होंने मीरा यादव के घर से रात या दिन में कभी भी बेटों के साथ किसी तरह के र्दुव्यवहार को नहीं देखा। न ही शराब पीकर किसी तरह का कोई उपद्रव ही नजर आया। उन्होंने बताया कि दोनों बेटे वरिष्ठों के पैर भी छूते थे।
पड़ोसी वारदात से अचंभित
पड़ोसी बताते हैं कि मीरा अपने बच्चों के प्रति बहुत संवेदनशील रहीं। हमेशा उनकी चिंता करती रहती थीं। अचानक इस तरह की वारदात जिसमें उन पर छोटे बेटे के कत्ल का आरोप लग रहा हो, इससे सभी अचंभित हैं।
भाइयों में भी थी अनबन
जांच में पता चला है कि अभिजीत और अभिषेक में भी अनबन रहती थी। दोनों भाई पिता की ओर से सहयोग नहीं मिलने से परेशान थे। पुलिस का कहना है मीरा को रिमांड पर लेकर भी पूछताछ की जा सकती है।
बदलते बयानों से संदेह गहराया
विधान परिषद के सभापति रमेश यादव के बेटे अभिजीत की हत्या के मामले में चौंकाने वाली बातें सामने आ रही हैं। पुलिस के मुताबिक अभिजीत की हत्यारोपित उसकी मां मीरा ने बयान दिया था कि उसका बड़ा बेटा अभिषेक रात करीब 11 बजे घर से निकला था। हालांकि छानबीन में पता चला है कि अभिषेक देर रात में विधायक आवास से गया था। पुलिस अब अभिषेक के मोबाइल फोन की लोकेशन के आधार पर छानबीन कर रही है।
रोज रात खाना खाने विधायक निवास जाता था अभिषेक
बताया जा रहा है कि अभिषेक रोज रात में खाना खाने दारुलशफा स्थित विधायक निवास आता था। शनिवार रात में वह करीब 11:40 बजे कमरे पर पहुंचा था। इस दौरान वह करीब एक घंटे तक रुका था और फिर खाना लेकर वापस चला गया था। उधर, अभिजीत भी रात करीब 11:30 बजे शराब के नशे में कमरे में दाखिल हुआ था और लेट गया था। मीरा ने पूछताछ में बताया था कि अभिषेक के जाने के बाद अभिजीत ने गाली गलौज व अभद्रता शुरू की थी। ऐसे में सवाल यह है कि क्या अभिजीत करीब एक घंटे तक चुपचाप कमरे में लेटकर अभिषेक के जाने का इंतजार कर रहा था
इंस्पेक्टर हजरतगंज राधारमण सिंह के मुताबिक परिवारीजन के बयानों में काफी विरोधाभास है। इस बारे में विवेचना की जा रही है कि वारदात के समय कमरे में कौन-कौन था? कहीं कोई और व्यक्ति हत्या में शामिल तो नहीं? पुलिस परिवारीजन के अलग-अलग बयानों की तस्दीक कर रही है। शनिवार की रात हकीकत में क्या हुआ था, इसकी गुत्थी सुलझाने में पुलिस उलझी हुई नजर आ रही है।
दारुलशफा के नीचे लगा है कैमरा
दारुलशफा बी ब्लॉक में ग्राउंड फ्लोर पर सीसी कैमरे लगे हैं, जिनकी फुटेज के लिए विवेचक ने संबधित विभाग से संपर्क किया है। पुलिस के मुताबिक फुटेज देखने से स्पष्ट होगा कि अभिषेक या कोई और व्यक्ति कितने बजे वहां आया था? हालांकि विधायक आवास के पीछे से भी एक रास्ता है। ऐसे में कोई भी उस रास्ते से आसानी से कैमरे से खुद को बचाकर आ-जा सकता है। पुलिस का कहना है कि घटना को छिपाने के लिए मीरा नहीं चाहती थी कि किसी भी हाल में शव का पोस्टमार्टम हो। पुलिस के मुताबिक अंतिम संस्कार के लिए जब शव ले जाया जा रहा था तब रमेश यादव की पहली पत्नी के बेटे व पूर्व विधायक आशीष यादव भी मौजूद थे।
अभिषेक के हाथ का लिया था स्वैब
फॉरेंसिक टीम ने भी अभिजीत के बाएं हाथ का स्वैब कल्चर लिया था। यही नहीं संदेह के आधार पर बड़े भाई अभिषेक के भी बाएं हाथ का स्वैब लिया गया था। मौके से टीम ने सिगरेट की डिब्बी, सोफ्रामाइसिन ट्यूब, पान मसाले का रैपर, चादर पर लगा खून व अन्य साक्ष्य भी एकत्र किए हैं। पुलिस फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। पुलिस का कहना है कि फॉरेंसिक रिपोर्ट कुछ रहस्यों से पर्दा उठाने में अहम साबित होगी।
मीरा ने 1993 में बदला था नाम
रमेश यादव ने वर्ष 1986 में मीरा की नौकरी पर्यटन निगम में लिपिक के पद पर लगवाई थी। तब उसका नाम मीरा दुबे था। सूत्रों के मुताबिक, वर्ष 1993 में मीरा दुबे ने अपना नाम बदला था और विभाग में मीरा यादव पत्नी रमेश यादव दर्ज कराया था। यही नहीं वर्ष 2010 में मीरा ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की अर्जी दी थी, जिसे विभाग की ओर से स्वीकार कर लिया गया था।