आजकल कुछ बीमारियां ऐसी हैं जो साइंस की तरक्की की तरह ही बढ़ती जा रही हैं। यहां हम वैज्ञानिकों द्वारा किए जा रहे आविष्कारों को घेरे में नहीं ले रहे, अपितु यह बताना चाहते हैं कि भले ही साइंस ने इतनी तरक्की कर ली हो लेकिन कुछ बीमारियां ऐसी हैं जो खत्म होने की बजाय और भी बढ़ती चली जा रही हैं। इन्हीं शारीरिक परेशानियों में से एक है ‘पित्त (गॉल ब्लैडर) की पथरी’।
खानपान की गलत आदतों की वजह से आजकल लोगों में गॉलस्टोन यानी पित्त की पथरी की समस्या तेजी से बढ़ रही है। पित्ताशय हमारे शरीर का एक छोटा सा अंग होता है जो लीवर के ठीक पीछे होता है। पित्त की पथरी गंभीर समस्या है क्योंकि इसके कारण असहनीय दर्द होता है। इस पथरी के निजात पाने के लिए आपको अपने खान-पान की आदतों में कुछ बदलाव करने जरूरी हैं।
पित्त की थैली यानि गालब्लेडर शरीर का एक छोटा सा अंग है जो लीवर के ठीक पीछे होता है. इसका कार्य पित्त को संग्रहित करना तथा भोजन के बाद पित्त नली के माध्यम से छोटी आंत में पित्त का स्त्राव करना है. पित्त रस वसा के अवशोषण में मदद करता है. कभी-कभी पित्ताशय में कोलेस्ट्राल,बिलीरुबिन और पित्त लवणों का जमाव हो जाता है. अस्सी प्रतिशत पथरी कोलेस्ट्राल की बनी होती है. धीरे धीरे वे कठोर हो जाती हैं तथा पित्ताशय के अंदर पत्थर का रूप ले लेती हैं. ज्यादातर डॉक्टर इलका ईलाज केवल ऑपरेश ही बताते बै लेकिन पित्त की पथरी का घरेलू उपचार संभव है.
क्यों महत्वपूर्ण है पित्त की थैली
लिवर से बाइल नामक डाइजेस्टिव एंजाइम का सैक्रीशन निरंतर होता रहता है। उसके पिछले हिस्से में नीचे की ओर छोटी थैली के आकार वाला अंग होता है, जिसे गॉलब्लैडर या पित्ताशय कहते हैं। पित्ताशय हमारे पाचन तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो लिवर और छोटी आंत के बीच पुल की तरह काम करता है। इसी पित्ताशय में ये बाइल जमा होता है। एक स्वस्थ व्यक्ति का लिवर पूरे 24 घंटे में लगभग 800 ग्राम बाइल का निर्माण करता है।
लिवर से बाइल नामक डाइजेस्टिव एंजाइम का सैक्रीशन निरंतर होता रहता है। उसके पिछले हिस्से में नीचे की ओर छोटी थैली के आकार वाला अंग होता है, जिसे गॉलब्लैडर या पित्ताशय कहते हैं। पित्ताशय हमारे पाचन तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो लिवर और छोटी आंत के बीच पुल की तरह काम करता है। इसी पित्ताशय में ये बाइल जमा होता है। एक स्वस्थ व्यक्ति का लिवर पूरे 24 घंटे में लगभग 800 ग्राम बाइल का निर्माण करता है।
कैसे बनती है पित्त में पथरी
पाचन के लिए आवश्यक एंजाइम को सुरक्षित रखने वाले महत्वपूर्ण अंग यानी पित्ताशय से जुड़ी सबसे प्रमुख समस्या यह कि इसमें स्टोन बनने की आशंका बहुत अधिक होती है, जिन्हें गॉलस्टोन कहा जाता है। दरअसल जब गॉलब्लैडर में तरल पदार्थ की मात्रा सूखने लगती है तो उसमें मौज़ूद चीनी-नमक और अन्य माइक्रोन्यूट्रिएंट तत्व एक साथ जमा होकर छोटे-छोटे पत्थर के टुकड़ों जैसा रूप धारण कर लेते हैं, जिन्हें गॉलस्टोन्स कहा जाता है।
कभी-कभी पित्ताशय में कोलेस्ट्राल, बिलीरुबिन और पित्त लवणों का जमाव हो जाता है। अस्सी प्रतिशत पथरी कोलेस्ट्राल की बनी होती है। धीरे धीरे वे कठोर हो जाती हैं तथा पित्ताशय के अंदर पत्थर का रूप ले लेती हैं। कोलेस्ट्रॉल स्टोन पीले-हरे रंग के होते हैं।
शुरुआती दौर में गॉलस्टोन के लक्षण नज़र नहीं आते। जब समस्या बढ़ जाती है तो गॉलब्लैडर में सूजन, संक्रमण या पित्त के प्रवाह में रुकावट होने लगती है। ऐसी स्थिति में लोगों को पेट के ऊपरी हिस्से की दायीं तरफ दर्द, अधिक मात्रा में गैस की फर्मेशन, पेट में भारीपन, वोमिटिंग, पसीना आना जैसे लक्षण नज़र आते हैं।
पित्त की पथरी में परहेज
पित्त की पथरी से पीड़ित लोगों को हाई कोलेस्ट्रॉल वाले खाद्य पदार्थ जैसे कि तला हुआ भोजन, फ्राइड चिप्स, उच्च वसा वाला मांस जैसे बीफ और पोर्क, डेयरी उत्पाद जैसे क्रीम, आइसक्रीम, पनीर, फुल-क्रीम दूध से बचना चाहिए। इसके अलावा चॉकलेट, तेल जैसे नारियल तेल से बचा जाना चाहिए। मसालेदार भोजन, गोभी, फूलगोली, शलजम, सोडा और शराब जैसी चीजों से एसिडिटी और गैस का खतरा होता है, इसलिए ये चीजें भी ना खाएं।
अगर शुरुआती दौर में लक्षणों की पहचान कर ली जाए तो इस समस्या को केवल दवाओं से नियंत्रित किया जा सकता है। ज्य़ादा गंभीर स्थिति में सर्जरी की ज़रूरत पड़ती है। पुराने समय में इसकी ओपन सर्जरी होती थी, जिसकी प्रक्रिया ज्य़ादा तकलीफदेह थी लेकिन आजकल लेप्रोस्कोपी के ज़रिये गॉलब्लैडर को ही शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है और मरीज़ शीघ्र ही स्वस्थ हो जाता है।
फल और सब्जियों की अधिक मात्रा।
स्टार्च युक्त कार्बोहाइड्रेट्स की अधिक मात्रा। उदाहरण के लिए ब्रेड, चावल, दालें, पास्ता, आलू, चपाती और प्लान्टेन (केले जैसा आहार)। जब संभव हो तब साबुत अनाजों से बनी वस्तुएं लें।
थोड़ी मात्रा में दुग्ध और डेरी उत्पाद लें। कम वसा वाले डेरी उत्पाद चुनें।
कुछ मात्रा में मांस, मछली अंडे और इनके विकल्प जैसे फलियाँ और दालें।
वनस्पति तेलों जैसे सूरजमुखी, रेपसीड और जैतून का तेल, एवोकेडो, मेवों और गिरियों में पाए जाने वाली असंतृप्त वसा।
रेशे की अधिकता से युक्त आहार ग्रहण करें। यह फलियों, दालों, फलों और सब्जियों, जई और होलवीट उत्पादों जैसे ब्रेड, पास्ता और चावल में पाया जाता है।
तरल पदार्थ अधिक मात्रा में लें – जैसे कि पानी या औषधीय चाय आदि प्रतिदिन कम से कम दो लीटर सेवन करें।
वसा और शक्कर की अधिकता से युक्त पदार्थों की मात्रा सीमित करें। पशुजन्य उत्पादों जैसे मक्खन, घी, पनीर, मांस, केक, बिस्कुट और पेस्ट्री आदि में पाई जाने वाली संतृप्त वसा को सीमित प्रयोग में लें।
योग और व्यायामनियमित व्यायाम रक्त ऊतकों में कोलेस्ट्रॉल को घटाता है, जो कि पित्ताशय की समस्या उत्पन्न कर सकता है। प्रतिदिन 30 मिनट तक, सप्ताह में पाँच बार, अपेक्षाकृत मध्यम मात्रा की शारीरिक सक्रियता, व्यक्ति के पित्ताशय की पथरी के उत्पन्न होने के खतरे पर अत्यधिक प्रभावी होती है।
योग
पित्ताशय की पथरी के उपचार हेतु प्रयुक्त होने वाले योगासनों में हैं:
सर्वांगासन
शलभासन
धनुरासन
भुजंगासन
एप्पल साइडर विनेगर
सेब के रस में एप्पल साइडर विनेगर का एक बड़ा चम्मच मिलाकर रोजाना दिन में एक बार खाएं। इसमें मौजूद मेलिक एसिड और विनेगर लीवर को पित्ते में कोलेस्ट्रॉल बनाने से रोकता है। इसी के साथ इसके सेवन से पथरी से होने वाली दर्द भी कम होती है।
चुकंदर, खीरा और गाजर का रस मिलाकर पीने से पित्ताशय की थैली तो साफ और मजबूत होती ही है साथ ही पथरी से भी आराम मिलता है।
ऐसे फलों का जूस पी सकते हैं जिनमें विटामिन सी प्रचुर मात्रा में हो जैसे संतरा, टमाटर आदि का रस पिएं. इनें मौजूद विटामिन सी शरीर के कोलेस्ट्राल को पित्त अम्ल में परिवर्तित करती है जो पथरी को तोड़कर बाहर निकालता है. आप विटामिन सी संपूरक ले सकते हैं या पथरी के दर्द के लिए यह एक उत्तम घरेलू उपचार है.
लाल शिमला मिर्च में विटामिन सी भरपूर होता है। यह विटामिन पथरी की समस्या में काफी फायदेमंद साबित होता है। इसलिए पित्ते की पथरी के रोगी को अपनी डाइट में शिमला मिर्च जरूर शामिल करनी चाहिए क्योंकि इसमें लगभग 95 मि. ग्रा विटामिन सी होता है।
पथरी के लिए यह एक उत्तम घरेलू उपचार है.यह एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी इन्फ्लेमेट्री होती है. हल्दी पित्त, पित्त यौगिकों और पथरी को आसानी से विघटित कर देती है. ऐसा माना जाता है कि एक चम्मच हल्दी लेने से लगभग 80 प्रतिशत पथरी खत्म हो जाती हैं.
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पित्ताषय की पथरी के रामबाण हर्बल उपचार
पाचन के लिए आवश्यक एंजाइम को सुरक्षित रखने वाले महत्वपूर्ण अंग यानी पित्ताशय से जुड़ी सबसे प्रमुख समस्या यह कि इसमें स्टोन बनने की आशंका बहुत अधिक होती है, जिन्हें गॉलस्टोन कहा जाता है। दरअसल जब गॉलब्लैडर में तरल पदार्थ की मात्रा सूखने लगती है तो उसमें मौज़ूद चीनी-नमक और अन्य माइक्रोन्यूट्रिएंट तत्व एक साथ जमा होकर छोटे-छोटे पत्थर के टुकड़ों जैसा रूप धारण कर लेते हैं, जिन्हें गॉलस्टोन्स कहा जाता है।
कभी-कभी पित्ताशय में कोलेस्ट्राल, बिलीरुबिन और पित्त लवणों का जमाव हो जाता है। अस्सी प्रतिशत पथरी कोलेस्ट्राल की बनी होती है। धीरे धीरे वे कठोर हो जाती हैं तथा पित्ताशय के अंदर पत्थर का रूप ले लेती हैं। कोलेस्ट्रॉल स्टोन पीले-हरे रंग के होते हैं।
पित्त की पथरी के लक्षण
शुरुआती दौर में गॉलस्टोन के लक्षण नज़र नहीं आते। जब समस्या बढ़ जाती है तो गॉलब्लैडर में सूजन, संक्रमण या पित्त के प्रवाह में रुकावट होने लगती है। ऐसी स्थिति में लोगों को पेट के ऊपरी हिस्से की दायीं तरफ दर्द, अधिक मात्रा में गैस की फर्मेशन, पेट में भारीपन, वोमिटिंग, पसीना आना जैसे लक्षण नज़र आते हैं।
पित्त की पथरी में परहेज
पित्त की पथरी से पीड़ित लोगों को हाई कोलेस्ट्रॉल वाले खाद्य पदार्थ जैसे कि तला हुआ भोजन, फ्राइड चिप्स, उच्च वसा वाला मांस जैसे बीफ और पोर्क, डेयरी उत्पाद जैसे क्रीम, आइसक्रीम, पनीर, फुल-क्रीम दूध से बचना चाहिए। इसके अलावा चॉकलेट, तेल जैसे नारियल तेल से बचा जाना चाहिए। मसालेदार भोजन, गोभी, फूलगोली, शलजम, सोडा और शराब जैसी चीजों से एसिडिटी और गैस का खतरा होता है, इसलिए ये चीजें भी ना खाएं।
पित्त की पथरी का इलाज
अगर शुरुआती दौर में लक्षणों की पहचान कर ली जाए तो इस समस्या को केवल दवाओं से नियंत्रित किया जा सकता है। ज्य़ादा गंभीर स्थिति में सर्जरी की ज़रूरत पड़ती है। पुराने समय में इसकी ओपन सर्जरी होती थी, जिसकी प्रक्रिया ज्य़ादा तकलीफदेह थी लेकिन आजकल लेप्रोस्कोपी के ज़रिये गॉलब्लैडर को ही शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है और मरीज़ शीघ्र ही स्वस्थ हो जाता है।
परहेज और आहार
फल और सब्जियों की अधिक मात्रा।
स्टार्च युक्त कार्बोहाइड्रेट्स की अधिक मात्रा। उदाहरण के लिए ब्रेड, चावल, दालें, पास्ता, आलू, चपाती और प्लान्टेन (केले जैसा आहार)। जब संभव हो तब साबुत अनाजों से बनी वस्तुएं लें।
थोड़ी मात्रा में दुग्ध और डेरी उत्पाद लें। कम वसा वाले डेरी उत्पाद चुनें।
कुछ मात्रा में मांस, मछली अंडे और इनके विकल्प जैसे फलियाँ और दालें।
वनस्पति तेलों जैसे सूरजमुखी, रेपसीड और जैतून का तेल, एवोकेडो, मेवों और गिरियों में पाए जाने वाली असंतृप्त वसा।
रेशे की अधिकता से युक्त आहार ग्रहण करें। यह फलियों, दालों, फलों और सब्जियों, जई और होलवीट उत्पादों जैसे ब्रेड, पास्ता और चावल में पाया जाता है।
तरल पदार्थ अधिक मात्रा में लें – जैसे कि पानी या औषधीय चाय आदि प्रतिदिन कम से कम दो लीटर सेवन करें।
इनसे परहेज करें
वसा और शक्कर की अधिकता से युक्त पदार्थों की मात्रा सीमित करें। पशुजन्य उत्पादों जैसे मक्खन, घी, पनीर, मांस, केक, बिस्कुट और पेस्ट्री आदि में पाई जाने वाली संतृप्त वसा को सीमित प्रयोग में लें।
योग और व्यायामनियमित व्यायाम रक्त ऊतकों में कोलेस्ट्रॉल को घटाता है, जो कि पित्ताशय की समस्या उत्पन्न कर सकता है। प्रतिदिन 30 मिनट तक, सप्ताह में पाँच बार, अपेक्षाकृत मध्यम मात्रा की शारीरिक सक्रियता, व्यक्ति के पित्ताशय की पथरी के उत्पन्न होने के खतरे पर अत्यधिक प्रभावी होती है।
योग
पित्ताशय की पथरी के उपचार हेतु प्रयुक्त होने वाले योगासनों में हैं:
सर्वांगासन
शलभासन
धनुरासन
भुजंगासन
पित्त की पथरी के लिए असरकारी घरेलू उपचार :
पित्ताशय की पथरी एक पीड़ादायक बीमारी है, जो अधिकतर लोगों को होती हैं। पित्त की पथरी का निर्माण पित्त में कोलेस्ट्रॉल और बिलरुबिन की मात्रा बढ़ जाने पर होता है। पित्ते में पथरी होने पर पेट में असहनीय दर्द होने लगता है। रोगी को खाना पचाने में मुश्किल होती हैं। इसके अलावा पेट में भारीपन होने से कई बार उल्टी भी हो सकती हैं। बहुत से लोगों को पित्ते की पथरी के शुरूआती लक्षणों के बारे में भी नहीं पता होता। अगर पता चल भी जाता है तो डॉक्टर ऑपरेशन की सलाह देते हैं, जो बिल्कुल ठीक भी है लेकिन ऑपरेशन का नाम सुनते ही रोगी डर जाता है और अपने इस रोग के प्रति लापरवाही बरतने लगता हैं। अगर आप या आपका कोई संबंधी इस रोग से झूझ रहा है तो ऑपरेशन से पहले कुछ घरेलू नुस्खे अपनाकर देंखे, शायद इनकी मदद से ही पित्ते की पथरी के दर्द से छुटकारा मिल जाए।
एप्पल साइडर विनेगर
सेब के रस में एप्पल साइडर विनेगर का एक बड़ा चम्मच मिलाकर रोजाना दिन में एक बार खाएं। इसमें मौजूद मेलिक एसिड और विनेगर लीवर को पित्ते में कोलेस्ट्रॉल बनाने से रोकता है। इसी के साथ इसके सेवन से पथरी से होने वाली दर्द भी कम होती है।
गाजर और ककड़ी का रस
अगर आपको पित्ती की पथरी की समस्या है तो गाजर और ककड़ी का रस प्रत्येक 100 मिलिलिटर की मात्रा में मिलाकर दिन में दो बार पीएं. इस समस्या में ये अत्यन्त लाभदायक घरेलू नुस्खा माना जाता है. ये कॉलेस्ट्रॉल के सखत रूप को नर्म कर बाहर निकालने में मदद करती है.
नाशपाती
पित्ते की पथरी से परेशान रोगी के लिए नाशपाती बहुत फायदेमंद होता हैं क्योंकि इसमें मौजूद पेक्टिन पित्त की पथरी को बाहर निकालने में मदद करता हैं।
नाशपाती
पित्ते की पथरी से परेशान रोगी के लिए नाशपाती बहुत फायदेमंद होता हैं क्योंकि इसमें मौजूद पेक्टिन पित्त की पथरी को बाहर निकालने में मदद करता हैं।
चुकंदर और गाजर का रस
चुकंदर, खीरा और गाजर का रस मिलाकर पीने से पित्ताशय की थैली तो साफ और मजबूत होती ही है साथ ही पथरी से भी आराम मिलता है।
ऐसे फलों का जूस पी सकते हैं जिनमें विटामिन सी प्रचुर मात्रा में हो जैसे संतरा, टमाटर आदि का रस पिएं. इनें मौजूद विटामिन सी शरीर के कोलेस्ट्राल को पित्त अम्ल में परिवर्तित करती है जो पथरी को तोड़कर बाहर निकालता है. आप विटामिन सी संपूरक ले सकते हैं या पथरी के दर्द के लिए यह एक उत्तम घरेलू उपचार है.
लाल शिमला मिर्च
लाल शिमला मिर्च में विटामिन सी भरपूर होता है। यह विटामिन पथरी की समस्या में काफी फायदेमंद साबित होता है। इसलिए पित्ते की पथरी के रोगी को अपनी डाइट में शिमला मिर्च जरूर शामिल करनी चाहिए क्योंकि इसमें लगभग 95 मि. ग्रा विटामिन सी होता है।
पुदीना
पुदीना पाचन को दुरूस्त तो रखता है। साथ ही इसमें मौजूद टेरपेन नामक प्राकृतिक तत्व पित्त में पथरी को घुलाने में भी मदद करता हैं। पित्ते की पथरी के रोगी को पुदीने की चाय बनाकर पिलाएं। काफी फायदा मिलेगा।
हल्दी
पथरी के लिए यह एक उत्तम घरेलू उपचार है.यह एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी इन्फ्लेमेट्री होती है. हल्दी पित्त, पित्त यौगिकों और पथरी को आसानी से विघटित कर देती है. ऐसा माना जाता है कि एक चम्मच हल्दी लेने से लगभग 80 प्रतिशत पथरी खत्म हो जाती हैं.
विशिष्ट परामर्श-
सिर्फ हर्बल चिकित्सा ही इस रोग में सफल परिणाम देती है| वैध्य श्री दामोदर की हर्बल दवा से बड़ी साईज़ की पित्तपथरी में भी आशातीत लाभ होता है,और मरीज आपरेशन से बच जाता है| माडर्न चिकित्सा मे सर्जरी द्वारा पित्त की थैली को ही निकाल दिया जाता है जिसके प्रतिकूल प्रभाव जीवनभर भुगतने पड़ते हैं| हर्बल दवा से पथरी के भयंकर कष्ट,यकृत दोष,पेट मे गेस ,जी मिचलाना आदि उपद्रवों से इलाज के शुरू के दिन से ही निजात मिल जाती है| दवा के लिए 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं|

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