तालमखाने को कोकिलाक्ष भी कहा जाता है। यह एक औषधीय पौधा है जो अक्सर नदी के किनारों पर मिल जाता है। इसे संस्कृत में कोकिलाक्ष और हिंदी में तालमखान कहते हैं। तालमखाने के अक्सर बीजों का प्रयोग आयुर्वेद में औषधीय रूप में किया जाता है। आयुर्वेदाचार्यों का मानना है कि यौन संबंधी रोगों को ठीक करने में तालमखाने बहुत उपयोगी हैं। तो वहीं, कोकिलाक्ष सूजन, गठिया, मूत्र रोग जैसी परेशानियों में भी सहायक है। अगर सही उपयोग मालूम हो तो शरीर के कई रोगों से निपटारा पाया जा सकता है। तालमखाने बहुत आसानी से तालाब या नदी किनारे मिल जाते हैं। इसके बीज स्वाद में कड़वे होते हैं। तो वहीं, इसके पत्ते स्वाद में मीठे होते हैं। तालमखाने की जड़ भी कई रोगों को ठीक करने में मदद करती है।
तालमखाने और मखाने में अंतर
*मखाने और तालमखाने दोनों अलग अलग हैं। मखाने पॉपकॉर्न की तरह दिखते है। लेकिन तालमखाने के बीज होते है जो तिल की तरह दिखते हैं। मखाने और तालमखाने के पौधे भी अलग अलग दिखते हैं। इनके फल भी अलग दिखते हैं।
तालमखाना के कई सारे गुण होते हैं, इसमें पाए जाने वाले पत्तियां और बीज अनेकों बीमारियों को ठीक करने के लिए प्रयोग किया जाता है जैसे- यौन शक्ति को बढ़ाना, कामोत्तेजना की कमी को दूर करना, पेशाब को साफ करने के लिए, शीघ्रपतन और एंटीबायोटिक गुणों से भरपुर होता है|
आयुर्वेद चिकित्सा में इसके बीजों को उत्तम कामोद्दीपक गुणों से युक्त माना जाता है | इसके बीजो का इस्तेमाल पुरुषों के यौन रोगों मुख्यत: वीर्य में होने वाले विकारो को ठीक करने के लिए किया जाता है | इसे अलग क्षेत्रों में भिन्न नामों से जाना जाता है | संस्कृत में इसे कोकिलाक्षा, इक्शुरक, इक्शुगंधा, इक्षुबालिका आदि एवं हिंदी में कुलियाकाँटा आदि नामों से जाना जाता है |
इसके पते स्वाद में मीठे, कड़वे और स्वादिष्ट होते है | ये स्निग्ध, पौष्टिक, कामोद्दीपक, निद्रालाने वाले तथा अतिसार, प्यास, पथरी, मूत्र सम्बन्धी रोग, प्रदाह, नेत्रविकार, शूल, शौथ (सुजन), जलोदर, उदररोग एवं कब्जियत में फायदेमंद होते है |
इसके बीजों का ही अधिक उपयोग चिकित्सार्थ किया जाता है | तालमखाना की तासीर शीतल होती है | यह खाने में स्वादिष्ट, कसैले और कडवे होते है | ये वीर्य को बढ़ाने वाले, गुणों में भारी, बलकारक, ग्राही, गर्भस्थापन गुणों से युक्त होते है |
*इसकी जड़ें उत्कृष्ट शीतल, वेदनानाशक, बलकारक और मूत्रल होती है | इसके बीज स्निग्ध, कुछ मूत्रल और कामेन्द्रिय को उत्तेजना देने वाले होते है | इसके पंचांग की राख मूत्रल होती है | इसकी जड़ का काढ़ा सुजाक और बस्तीशोथ रोग में दिया जाता है | इसके देने से सुजाक की जलन कम होती है और पेशाब का प्रमाण बढ़कर रोग धुल जाता है | यकृत के विकारों में तालमखाना की जड़ का क्वाथ और पंचांग की राख दी जाती है
दस्त की समस्या होने पर
दस्त होने पर तालमखाने का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। दस्त की समस्या होने पर तालमखाने के बीज का चूर्ण दही के साथ मिलाकर खाए, आपको फायदा मिलेगा।
इसका सेवन रक्त की अशुद्धि को हरता है | यह कफवातकारक एवं मलस्तंभक, दाह और पित्त की समस्या को हरने वाला होता है |
दस्त होने पर तालमखाने का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। दस्त की समस्या होने पर तालमखाने के बीज का चूर्ण दही के साथ मिलाकर खाए, आपको फायदा मिलेगा।
इसका सेवन रक्त की अशुद्धि को हरता है | यह कफवातकारक एवं मलस्तंभक, दाह और पित्त की समस्या को हरने वाला होता है |
रक्त संबंधी बीमारियों में फायदेमंद है
अगर कोई रक्त संबंधी बीमारियों से परेशान हैं तो उनके लिए तालमखाना बहुत फायदेमंद हैं। रक्त संबंधी बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए 1-2 ग्राम तालमखाना के बीज के चूर्ण का सेवन पानी के साथ करे।
अगर कोई रक्त संबंधी बीमारियों से परेशान हैं तो उनके लिए तालमखाना बहुत फायदेमंद हैं। रक्त संबंधी बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए 1-2 ग्राम तालमखाना के बीज के चूर्ण का सेवन पानी के साथ करे।
यौन संबंधी रोगों में फायदेमंद
अगर किसी को यौन संबंधी समस्या है तो उनके तालमखाने के बीज का चूर्ण का सेवन बहुत फायदेमंद है। लेकिन इस तरह की समस्याओं में आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
अगर किसी को यौन संबंधी समस्या है तो उनके तालमखाने के बीज का चूर्ण का सेवन बहुत फायदेमंद है। लेकिन इस तरह की समस्याओं में आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
जलोदर रोग होने पर
जलोदर रोग में भी तालमखाना बहुत फायदेमंद होता है। इसीलिए जलोदर रोग होने पर तालमखाना की जड़ का काढ़ा बनाकर एक बार 10-20 मिली पिए। यह काढ़ा आपके लिए बहुत फायदेमंद होगा।
जलोदर रोग में भी तालमखाना बहुत फायदेमंद होता है। इसीलिए जलोदर रोग होने पर तालमखाना की जड़ का काढ़ा बनाकर एक बार 10-20 मिली पिए। यह काढ़ा आपके लिए बहुत फायदेमंद होगा।
नींद नही आने पर
अगर किसी को नींद बहुत कम आती है और वह नींद की गोली का सेवन करता है तो उनके लिए तालमखाना बहुत फायदेमंद होता है। तालमखाना की जड़ को पानी में उबालकर, उस पानी का सेवन करें। आपको नींद आने लगेगी|
अगर किसी को नींद बहुत कम आती है और वह नींद की गोली का सेवन करता है तो उनके लिए तालमखाना बहुत फायदेमंद होता है। तालमखाना की जड़ को पानी में उबालकर, उस पानी का सेवन करें। आपको नींद आने लगेगी|
गठिया रोग दूर करे
ज्यादातर लोगों को गठिया और जोड़ों में दर्द होने की परेशानी शुरू हो जाती है। उनके लिए तालमखाना बहुत फायदेमंद होता है। गठिया और जोड़ों के दर्द को दूर करने के लिए तालमखाना तथा गुडूची को समान मात्रा में लेकर उसका काढ़ा बना ले, 10-20 मिली काढ़े में 500 मिग्रा पिप्पली चूर्ण मिलाकर सेवन करें।
ज्यादातर लोगों को गठिया और जोड़ों में दर्द होने की परेशानी शुरू हो जाती है। उनके लिए तालमखाना बहुत फायदेमंद होता है। गठिया और जोड़ों के दर्द को दूर करने के लिए तालमखाना तथा गुडूची को समान मात्रा में लेकर उसका काढ़ा बना ले, 10-20 मिली काढ़े में 500 मिग्रा पिप्पली चूर्ण मिलाकर सेवन करें।
पीलिया में फायदेमंद है
अगर किसी को पीलिया हुआ है और इसके लक्षणों से परेशान हैं तो तालमखाना का सेवन करे। तालमखाना के पत्तों का काढ़ा बनाकर, 15-20 मिली मात्रा में पिने से पीलिया रोग दूर हो जाता है।
अगर किसी को पीलिया हुआ है और इसके लक्षणों से परेशान हैं तो तालमखाना का सेवन करे। तालमखाना के पत्तों का काढ़ा बनाकर, 15-20 मिली मात्रा में पिने से पीलिया रोग दूर हो जाता है।
मधुमेह रोग होने पर
मधुमेह होने पर तालमखाना के बीजों का काढ़ा बनाकर 15-30 मिली काढ़ा में मिश्री मिलाकर पिए, या फिर तालमखाना बीज चूर्ण में समान मात्रा में बला, गंगेरन व गोखरू चूर्ण मिलाकर रख लें। 2-4 ग्राम चूर्ण में समान मात्रा में मिश्री मिलाकर खाने से भी फायदा होता है
मधुमेह होने पर तालमखाना के बीजों का काढ़ा बनाकर 15-30 मिली काढ़ा में मिश्री मिलाकर पिए, या फिर तालमखाना बीज चूर्ण में समान मात्रा में बला, गंगेरन व गोखरू चूर्ण मिलाकर रख लें। 2-4 ग्राम चूर्ण में समान मात्रा में मिश्री मिलाकर खाने से भी फायदा होता है
सेक्स क्षमता बढ़ती है
तालमखाने का सेवन सेक्स लाइफ को बेहतर बनाता है। तालमखाने के बीज, गोखरू, काली मूसली, शतावरी, चोपचीनी, बादाम, चिरौंजी, इलायची, खसखस, केशर, जायफल, जावित्री, तज को समान मात्रा में लेकर इनका चूर्ण बना लें। रोजाना दिन में दो बार 1-2 ग्राम चूर्ण को घी तथा शक्कर के साथ मिलाकर सेवन करें और गाय का गर्म दूध पियें।
तालमखाने का सेवन सेक्स लाइफ को बेहतर बनाता है। तालमखाने के बीज, गोखरू, काली मूसली, शतावरी, चोपचीनी, बादाम, चिरौंजी, इलायची, खसखस, केशर, जायफल, जावित्री, तज को समान मात्रा में लेकर इनका चूर्ण बना लें। रोजाना दिन में दो बार 1-2 ग्राम चूर्ण को घी तथा शक्कर के साथ मिलाकर सेवन करें और गाय का गर्म दूध पियें।
पथरी होने पर
पथरी होने पर तालमखाना, गोखरू और अरंडी की जड़ के चूर्ण को दूध के साथ पिए, फायदा होगा।
पथरी होने पर तालमखाना, गोखरू और अरंडी की जड़ के चूर्ण को दूध के साथ पिए, फायदा होगा।
स्पर्म स्तर बढ़ता है
पुरुषो में स्पर्म स्तर बढ़ाने के लिए तालमखाना बीज का चूर्ण ले और समान मात्रा में सफेद मूसली चूर्ण तथा गोखरू चूर्ण लेकर मिला ले। रोजाना 2-4 ग्राम चूर्ण को दूध के साथ पिए।
सूजन आने पर
शरीर के किसी अंग में सूजन है तो तालमखाना भस्म को गाय के पेशाब या जल के साथ सेवन करे।
कमर दर्द और जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है|
कमर दर्द में तालमखाने का उपयोग बहुत फायदेमंद होता है। किसी को कमर दर्द और जोड़ों में दर्द है तो तालमखाना के पत्तों को पीसकर कमर या जोड़ो पर लेप करने से दर्द में आराम मिलता है।
अगर किसी को सांस संबंधी बीमारी है तो उसके लिए तालमखाना के बीज बहुत फायदेमंद होते हैं। सांस संबंधी बीमारी होने पर 2-4 ग्राम तालमखाना का चूर्ण बनाकर शहद तथा घी में मिलाकर खाए।
पुरुषो में स्पर्म स्तर बढ़ाने के लिए तालमखाना बीज का चूर्ण ले और समान मात्रा में सफेद मूसली चूर्ण तथा गोखरू चूर्ण लेकर मिला ले। रोजाना 2-4 ग्राम चूर्ण को दूध के साथ पिए।
सूजन आने पर
शरीर के किसी अंग में सूजन है तो तालमखाना भस्म को गाय के पेशाब या जल के साथ सेवन करे।
कमर दर्द और जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है|
कमर दर्द में
कमर दर्द में तालमखाने का उपयोग बहुत फायदेमंद होता है। किसी को कमर दर्द और जोड़ों में दर्द है तो तालमखाना के पत्तों को पीसकर कमर या जोड़ो पर लेप करने से दर्द में आराम मिलता है।
अगर किसी को सांस संबंधी बीमारी है तो उसके लिए तालमखाना के बीज बहुत फायदेमंद होते हैं। सांस संबंधी बीमारी होने पर 2-4 ग्राम तालमखाना का चूर्ण बनाकर शहद तथा घी में मिलाकर खाए।
खांसी होने पर
मौसम के बदलाव के कारण खांसी की समस्या हो जाती है तो तालमखाने के पत्तों का पाउडर बना ले, रोजाना 1-2 ग्राम पाउडर में शहद मिलाकर सेवन करे। खांसी की समस्या दूर हो जाएगी
पेशाब से संबंधी रोग दूर करे
पेशाब से संबंधी रोग जैसे पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब करते समय जलन होना या पेशाब करते समय दर्द होना, आदि। अगर कोई पेशाब से संबंधी रोगो से छुटकारा पाना चाहते हैं तो उनके लिए तालमखाना बहुत फायदेमंद है। इसके लिए तालमखाना, गोखरू और अरंड की जड़ को पीसकर दूध में मिलाकर पिए। पेशाब से संबंधी रोगों से छुटकारा मिल जाएगा।
तालमखाना के घरेलु प्रयोग
*अगर आप अनिद्रा रोग से ग्रषित है तो तालमखाने की जड़ों को पानी में उबाल कर क्वाथ तैयार करके पीना चाहिए | निरंतर सेवन से उचटी हुई नींद की समस्या ठीक हो जाती है |
*पत्थरी एवं मूत्रविकारों में तालमखाना के साथ गोखरू और एरंड की जड़ को दूध में घिसकर पिने से मुत्रघात, रुक रुक कर पेशाब का आना एवं पत्थरी की समस्या जाती रहती है |
*तालमखाने के पुरे पौधे को जलाकर इसकी भस्म (राख) बना ले | इस राख को कपड़े से छान कर सुखी बोतल में रखलें | जलोदर जैसे रोगों में जब इसकी ताज़ी जड़ें न मिलसके तब इसकी भस्म का सेवन करना चहिये | इसका सेवन करने के लिए एक चम्मच की मात्रा के गिलास पानी में डालकर अच्छी तरह हिला कर 20 – 20 मिली की मात्रा में दो – दो घंटे के अन्तराल से सेवन करना चाहिए | इस नुस्खे से जलोदर में बहुत फायदा मिलता है |
तालमखाने की जड़ शीतल, कटु और पौष्टिक एवं स्निग्ध होती है | इसकी जड़ को एक ओंश की मात्रा में 50 तोले पानी के साथ 10 मिनट ओंटाकर निचे उतार कर छान लेना चाहिए | यह क्वाथ जलोदर, मूत्रमार्ग और जननेंद्रिय के रोगों में काफी लाभकारी होता है |
*कुष्ठ रोग में इसके पौधे के पतों का रस निकाल कर पीने से और पतों का शाग खाते रहने से लाभ मिलता है |
इसके पौधे से प्राप्त गोंद को 1 ग्राम की मात्रा में कब्ज के रोगी को देने चमत्कारिक लाभ होता है |
अगर शरीर में कंही सुजन हो तो इसकी जड़ को जलाकर बनाई गई राख को पानी के साथ सेवन करने से शरीर की सुजन में आराम मिलता है |
आयुर्वेद के वाजीकरण योगों में तालमखाने का प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है | यह कामोद्दीपक गुणों से युक्त होती है | इसके सेवन से जननेंद्रिय के विकारों में भी लाभ मिलता है | यह वीर्य को बढ़ाने एवं इसके विकारों को हरने वाला होता है |
मौसम के बदलाव के कारण खांसी की समस्या हो जाती है तो तालमखाने के पत्तों का पाउडर बना ले, रोजाना 1-2 ग्राम पाउडर में शहद मिलाकर सेवन करे। खांसी की समस्या दूर हो जाएगी
पेशाब से संबंधी रोग दूर करे
पेशाब से संबंधी रोग जैसे पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब करते समय जलन होना या पेशाब करते समय दर्द होना, आदि। अगर कोई पेशाब से संबंधी रोगो से छुटकारा पाना चाहते हैं तो उनके लिए तालमखाना बहुत फायदेमंद है। इसके लिए तालमखाना, गोखरू और अरंड की जड़ को पीसकर दूध में मिलाकर पिए। पेशाब से संबंधी रोगों से छुटकारा मिल जाएगा।
तालमखाना के घरेलु प्रयोग
*अगर आप अनिद्रा रोग से ग्रषित है तो तालमखाने की जड़ों को पानी में उबाल कर क्वाथ तैयार करके पीना चाहिए | निरंतर सेवन से उचटी हुई नींद की समस्या ठीक हो जाती है |
*पत्थरी एवं मूत्रविकारों में तालमखाना के साथ गोखरू और एरंड की जड़ को दूध में घिसकर पिने से मुत्रघात, रुक रुक कर पेशाब का आना एवं पत्थरी की समस्या जाती रहती है |
*तालमखाने के पुरे पौधे को जलाकर इसकी भस्म (राख) बना ले | इस राख को कपड़े से छान कर सुखी बोतल में रखलें | जलोदर जैसे रोगों में जब इसकी ताज़ी जड़ें न मिलसके तब इसकी भस्म का सेवन करना चहिये | इसका सेवन करने के लिए एक चम्मच की मात्रा के गिलास पानी में डालकर अच्छी तरह हिला कर 20 – 20 मिली की मात्रा में दो – दो घंटे के अन्तराल से सेवन करना चाहिए | इस नुस्खे से जलोदर में बहुत फायदा मिलता है |
तालमखाने की जड़ शीतल, कटु और पौष्टिक एवं स्निग्ध होती है | इसकी जड़ को एक ओंश की मात्रा में 50 तोले पानी के साथ 10 मिनट ओंटाकर निचे उतार कर छान लेना चाहिए | यह क्वाथ जलोदर, मूत्रमार्ग और जननेंद्रिय के रोगों में काफी लाभकारी होता है |
*कुष्ठ रोग में इसके पौधे के पतों का रस निकाल कर पीने से और पतों का शाग खाते रहने से लाभ मिलता है |
इसके पौधे से प्राप्त गोंद को 1 ग्राम की मात्रा में कब्ज के रोगी को देने चमत्कारिक लाभ होता है |
अगर शरीर में कंही सुजन हो तो इसकी जड़ को जलाकर बनाई गई राख को पानी के साथ सेवन करने से शरीर की सुजन में आराम मिलता है |
आयुर्वेद के वाजीकरण योगों में तालमखाने का प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है | यह कामोद्दीपक गुणों से युक्त होती है | इसके सेवन से जननेंद्रिय के विकारों में भी लाभ मिलता है | यह वीर्य को बढ़ाने एवं इसके विकारों को हरने वाला होता है |