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बवासीर (पाइल्स) के लक्षण, कारण, घरेलू इलाज और परहेज




  बवासीर मुख्यत दो प्रकार की होती हैं। खुनी बवासीर और बादी बवासीर। खुनी बवासीर में मस्से सुर्ख होते हैं, और उनसे खून गिरता हैं, जबकि बादी बवासीर में मस्सो में खाज, पीड़ा और सूजन बहुत होती हैं। अतिसार, संग्रहणी और बवासीर-ये तीनो एक दूसरे को पैदा करते हैं। जो लोग बवासीर से बहुत परेशान हैं, वो शौच करने के बाद मलद्वार में ऊँगली डाल कर सफाई करे तो कभी बवासीर नहीं होगी। ये थोड़ा अटपटा लगता हैं, मगर ऐसा करने से आप तारो ताज़ा महसूस करेंगे, और आपको बवासीर की शिकायत नहीं होगी। इसके बाद आप सरसों का तेल भी ऊँगली की सहायता से अंदर लगाये, इसको गणेश किर्या भी कहा जाता हैं।
  बवासीर के रोगी को बादी और तले पदार्थ नहीं खाने चाहिए, जिनसे पेट में कब्ज हो। बवासीर के रोगी को चाहिए के वो कब्ज ना रहने दे। इसलिए वो रात को दूध में एक चम्मच गाय का घी या बादाम रोगन डाल कर पिए। और इसके साथ हर सुबह नित्य कर्म से निर्व्रत हो कर 15 मिनट कपाल भाति प्राणायाम ज़रूर करे। भोजन हल्का और सुपाच्य ले।
  बवासीर होने के कई कारण हो सकते हैं। कई बार कब्ज, पाचन क्रिया के सही नहीं होने पर, बहुत भारी चीजें उठाने पर, गैस की समस्या होने पर, तनाव लेने पर, मोटापा होने पर और एनल सेक्स की वजह से भी ये बीमारी हो जाती है. यह दो तरह की होती है-खूनी बवासीर और बादी बवासीर। खूनी बवासीर में खून आता रहता है, लेकिन दर्द नहीं होता। जबकि बादी बवासीर में पेट में कब्ज बन जाती है और पेट हमेशा ही खराब रहता है। यह बीमारी 45 साल से 65 साल के लोगों में काफी आम है।
बवासीर हो जाने पर कई लोग ऑपरेशन कर आते हैं जिससे उन्हें बहुत ज्यादा तकलीफ होता है और बहुत ज्यादा पैसा भी खर्च होता है।और कभी-कभी तो ऑपरेशन के बाद भी बवासीर ठीक नहीं होता है।
किसी किसी को तो देखा गया है कि बवासीर का ऑपरेशन कराने के बाद भयानक कैंसर का सामना करना पड़ता है या और किसी किसी की मृत्यु हो जाती है।
बवासीर पहले तो 50 साल के आसपास लोगों में ही होता था 50 साल से ऊपर के लोगों में ही होता था।
पर आज के लाइफस्टाइल और अनियमित डाइट की वजह से यह बच्चों से लेकर बड़ों में सबको देखा गया है।
जिसे बवासीर हो जाता है उसके सेहत पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है।
उसका सेहत बहुत ही ज्यादा खराब हो जाता है और वह बहुत ज्यादा कमजोर हो जाता है। कहे तो उसके जिंदगी में बहुत भारी मुसीबत आ जाती है। लगता है कि कब्ज से छुटकारा पा ले।
और अंग्रेजी दवा लेते हैं और होम्योपैथिक का भी दवा लेते हैं पर कोई असर नहीं पड़ता।
इसकी वजह से और भी ज्यादा परेशान हो जाता है और ऑपरेशन कराने चले जाते हैं।
ऑपरेशन कराने के बाद कुछ दिन तक थोड़ी राहत रहती है और कुछ दिनों बाद फिर से मस्से आ जाते हैं।
इन सभी समस्याओं को ध्यान में रखकर यह हमने सोचा है कि आपको ऐसा नुस्खा बताया जाए जो बहुत लोग आजमा चुके हैं और जिस से फायदा हो चुका है।
तो आप भी उससे फायदा उठा सकें और अपने जिंदगी में खुश रह सके।


बवासीर होने का क्या कारण है?


आयुर्वेद में बवासीर को ‘अर्श’ कहा गया है। यह वात, पित्त एवं कफ तीनों दोषों के दूषित होने से होता है। इसलिए इसे त्रिदोषज रोग कहा गया है। जिस बवासीर में वात या कफ की प्रधानता होती है, वे अर्श शुष्क होते हैं। इसलिए मांसांकुरों में से स्राव नहीं होता है। जिस अर्श में रक्त या पित्त या रक्तपित्त की प्रधानता होती है, वे आर्द्र अर्श होते है। इसमें रक्तस्राव होता है। शुष्क अर्श में पीड़ा अधिक होती है।
कुछ लोगों में यह रोग पीढ़ी दर पीढ़ी देखा जाता है, लेकिन कुछ में अन्य कारणों से भी होता है, जो ये हैंः-
कुछ व्यक्तियों को अपने रोजगार की वजह से घंटे खड़े रहना पड़ता है, जैसे- बस कंडक्टर, ट्रॉफिक पुलिस इत्यादि। इसके साथ ही जिन्हें भारी वजन उठाना पड़ता है। इन लोगों को बवासीर से पीड़ित होने की अधिक संभावना रहती है।
कब्ज भी बवासीर का एक प्रमुख कारण है। कब्ज में मल सूखा एवं कठोर होता है, जिसकी वजह से व्यक्ति को मलत्याग करने में कठिनाई होती है। काफी देर तक उकड़ू बैठे रहना पड़ता है। इस कारण से वहां की रक्तवाहिनियों पर जोर पड़ता है, और वह फूलकर लटक जाती है, जिन्हें मस्सा कहा जाता है।
अधिक तला एवं मिर्च-मसाले युक्त भोजन करना।
शौच ठीक से ना होना।
फाइबर युक्त भोजन का सेवन न करना।
महिलाओं में प्रसव के दौरान गुदा क्षेत्र पर दबाव पड़ने से बवासीर होने का खतरा रहता है।
आलस्य या शारीरिक गतिविधि कम करना।
धूम्रपान और शराब का सेवन।
अवसाद
बवासीर और भगन्दर में अन्तर 
बवासीर में गुदा एवं मलाशय के निचले भाग की रक्तवाहिनियों में सूजन आ जाती है। ऐसा लम्बे समय तक कब्ज और शौच में अत्यधिक समय तक बैठे रहने से होता है।
इसके अलावा मोटापा या गर्भवती महिलाओं में भी यह होने का खतरा रहता है। इसमें गुदा या मलाशय में मस्से बन जाते हैं, जिनके फूटने पर इनसे खून निकलता है, और दर्द होता है।
भगन्दर में मस्से नहीं होते हैं। भगन्दर में एक घावयुक्त नली बन जाती है, जो गुदा नलिका (internal opening) तथा गुदा के बाहर
(external opening) की त्वचा में होती है।
भगन्दर उन लोगों में होता है, जिनके मलद्वार के पास कोई फोड़ा हो जाता है। फोड़े में कई मुंह बन जाते है। ऐसे में यदि रोगी व्यक्ति उससे छेड़छाड़ करता है तो भगन्दर हो जाता है।
इसमें से खून और मवाद लगातार निकलता रहता है। शुरुआती अवस्था में इसमें मवाद और खून की मात्रा कम होती है। इसलिए इससे रोगी के वस्त्रों में केवल दाग मात्र लगता है। धीरे-धीरे रिसाव बढ़ता जाता है, और रोगी को खुजली, बेचैनी और दर्द होने लगता है।

बवासीर के लक्षण 

कई बार बवासीर यदि गंभीर अवस्था में ना पहुंचा हो तो यह 4-5 दिनों में अपने आप ही ठीक हो जाता है, लेकिन रोग बढ़ने पर ये लक्षण देखे जा सकते हैंः-
गुदा के आस-पास कठोर गांठ जैसी महसूस होती है। इसमें दर्द रहता है, तथा खून भी आ सकता है।
शौच के बाद भी पेट साफ ना हेने का आभास होना।
शौच के वक्त जलन के साथ लाल चमकदार खून का आना।
शौच के वक्त अत्यधिक पीड़ा होना।
गुदा के आस-पास खुजली, एवं लालीपन, व सूजन रहना।
शौच के वक्त म्यूकस का आना।
बार-बार मल त्यागने की इच्छा होना, लेकिन त्यागते समय मल न निकलना।
इन लक्षणों को बिल्कुल भी नजरंदाज ना करें। जल्द से जल्द डॉक्टर के पास जाकर पाइल्स का इलाज कराएं।

बाबासीर का लक्षण जाने से पहले यह जान लेते हैं कि बवासीर होता कितने प्रकार का है। और कौन से प्रकार में कौन से लक्षण दिखाई देते हैं।
बवासीर दो प्रकार का होता है।
इंटरनल (अंदरूनी)
एक्सटर्नल (बाहरी)

एक्सटर्नल बवासीर क्या होता है? और लक्षण क्या हैं?

बाहरी बवासीर में दर्द होता है और मलद्वार के आसपास खुजली जलन भी होता है।
इसमें कुछ बाहर निकले हुए का एहसास होता है।
और अगर इनमें खून जमा हो जाए तो बहुत ज्यादा दर्द हो जाता है।
शौच में खून आना इसका सबसे आम लक्षण है।
अगर आपको यह सारे लक्षण दिखे तो आपको तुरंत इलाज कराना चाहिए। डॉक्टर के पास जाना चाहिए और कभी-कभी तो डॉक्टर लक्षण देखकर ही पता कर लेता है कि आपको बवासीर है कि नहीं।
और कभी कभी मलद्वार को दूरबीन द्वारा देखकर पता लगाया जाता है। और इसके कई सारे जांच होते हैं।
जिसकी वजह से आपको पता चल जाएगा कि आपका बवासीर है कि नहीं

अंदरूनी बवासीर के क्या लक्षण है?

अंदरूनी बवासीर में दर्द नहीं होता है। अंदरूनी बवासीर में खून आना आम बात है।
इसमें मल त्याग करते समय खून आता है । आपको बाहर कुछ निकले हुए होने का एहसास होता है पर अंदरूनी बवासीर में यह आकार में और भी बड़े हो जाते हैं और मल त्याग करते समय दबाव के कारण यह अपने आप बाहर आ जाते हैं।

बवासीर का आयुर्वेदिक और घरेलू इलाज 

रीठा और सफ़ेद मूसली

पचास ग्राम रीठे तवे पर रख कर कटोरी से ढक दीजिये और तवे के नीचे आग जल दे। एक घंटे में रीठे जल जाएंगे। ठंडा होने पर रीठो को खरल कर ले या सिल पर बारीक पीस ले। इसके बाद सफ़ेद कत्थे का चूर्ण बीस ग्राम और कुश्ता फौलाद तीन ग्राम ले कर उसमे रीठे का बीस ग्राम भस्म मिला दे। उसे सुबह शाम एक एक ग्राम मक्खन के साथ खाए। ऊपर से गर्म दूध पी ले। दोनों ही प्रकार की बवासीर में दस पंद्रह दिनों में आराम आ जाएगा। गुड, गोश्त, शराब, आम और अंगूर का परहेज करे।

एलोवेरा के प्रयोग से बवासीर का इलाज

एलोवेरा के सूजनरोधक और चिकित्सकीय गुणों से बवासीर की जलन कम हो जाती है, और कब्ज की समस्या नहीं होती। यह आंतरिक और बाह्य दोनों प्रकार के पाइल्स के इलाज में लाभदायक है। गुदा के बाहर के मस्सों में एलोवेरा जेल लगाएं। यह जलन और खुजली को शांत करता है। एलोवेरा के 200-250 ग्राम गूदे को खाएं। इससे कब्ज नहीं होगी और मलत्यागने में आसानी होगी

मट्ठा


बवासीर में मट्ठा अमृत सामान हैं। लेकिन बिना सेंधा नमक मिलाये इसको नहीं पीना चाहिए। यदि बवासीर के रोगी को अपच हो तो उसको मट्ठा नियमित नियमपूर्वक पीना चाहिए।

प्याज

प्याज के छोटे छोटे टुकड़े कर के धुप में सुखा ले। सूखे टुकड़ो में से एक तोला प्याज ले कर गाय के घी में तले। बाद में एक माशा तिल और दो तोले मिश्री उसमे मिला कर रोज़ सुबह खाए। ये भी बवासीर का शर्तिया इलाज हैं।

बवासीर में फायदेमंद सेब का सिरका

सेब का सिरका अपने कषाय गुणों के कारण रक्तवाहिनियों को सिकोड़ने में मदद करता है। खूनी बवासीर में एक गिलास पानी में सेब के सिरके का एक चम्मच डालकर दिन में दो बार पिएं। बादी बवासीर में सेब के सिरके में रुई भिगाकर गुदा में रखें। इससे जलन और खुजली से राहत मिलेगी।

नारियल की जटा से

नारियल की जटा लीजिए। उसे माचिस से जला दीजिए। जलकर भस्म बन जाएगी। इस भस्म को शीशी में भर कर ऱख लीजिए। कप डेढ़ कप छाछ या दही के साथ नारियल की जटा से बनी भस्म तीन ग्राम खाली पेट दिन में तीन बार सिर्फ एक ही दिन लेनी है। ध्यान रहे दही या छाछ ताजी हो खट्टी न हो। कैसी और कितनी ही पुरानी पाइल्स की बीमारी क्यों न हो, एक दिन में ही ठीक हो जाती है।

अंजीर खाने से बवासीर रोग में लाभ

तीन अंजीर एक गिलास पानी में भिगों दें। सुबह खाली पेट इसका सेवन कर, इस पानी को भी पिएं।

केला और कत्था

पके केले को बीच में से चीरकर दो टुकड़े कर ले और उस पर कत्था पीसकर, थोड़ा थोड़ा बुरक ले। कत्था बाजार से पिसा पिसाया मिल जाता हैं। इस के बाद केले के उन टुकड़ो को खुली जगह पर आसमान के नीचे रख दे। सुबह होने पर खाली पेट उन टुकड़ो का सेवन करे। एक हफ्ते ये प्रयोग करे, कैसी भी बवासीर हो, नष्ट हो जाती हैं।

बवासीर के घरेलू उपचार के लिए जीरे का प्रयोग

बादी बवासीर में दर्द और जलन होने पर जीरे के दानों को पानी के साथ पीसकर लेप बना लें। इसे मस्सों वाली जगह पर लगाएं।

खूनी बवासीर में जीरे को भूनकर मिश्री के साथ पीस लें। इसे दिन में 2-3 बार 1-2 ग्राम की मात्रा में मट्ठे के साथ लें

मट्ठा और अजवायन के सेवन से पाइल्स का इलाज

मट्ठा बवासीर रोग में अमृत के समान है। एक गिलास छाछ में एक चौथाई अजवायन पाउडर, और एक चम्मच काला नमक मिलाकर रोजाना दोपहर के खाने में सेवन करें। यह बवासीर से आराम पाने का सबसे अच्छा घरेलू उपचार है।
अब आपको 4 से 5 नुस्खे बताएंगे। जिनमें से अगर आप एक भी करते हैं तो आपको बहुत ज्यादा राहत मिलेगा ।

दूध और नींबू का प्रयोग

बवासीर से छुटकारा पाने के लिए यह बहुत ही अच्छा नुस्खा माना जाता है।
इस नुस्खे को बहुत लोग करते हैं और उन्हें फायदा भी मिलता है।
इसके लिए आप एक गिलास दूध में एक नींबू निचोड़ लें और इसे पीले इससे बवासीर मैं काफी ज्यादा राहत मिलती है।

हल्दी का प्रयोग

बवासीर का इलाज करने के लिए हल्दी का भी प्रयोग किया जाता है।

इसके लिए एक चम्मच हल्दी और थोड़ा सा पैट्रोलियम जेली मिला ले अभी से अपने गुदा पर लगाए। इससे आपको दिन में तीन बार लगाना है ताकि हल्दी आप के घाव को भर सके और आप बवासीर से काफी जल्दी छुटकारा पा ले।

मुलेठी का प्रयोग


एक चम्मच मुलेठी को एक गिलास पानी में घोल ले और इसे पी ले। इससे बहुत ज्यादा आराम मिलेगा ।

हल्दी और एलोवेरा का उपयोग

हल्दी और एलोवेरा जेल को आधा-आधा चम्मच मिला लो और रात को सोते समय अपने गुदा पर लगाए। इससे बहुत ज्यादा आराम मिलेगा।
बवासीर कब्ज के कारण होता है तो आपको अपने पेट पर काफी ध्यान देना है।
आप कोशिश करें कि अपने पेट को बहुत साफ रखें।
बवासीर में आपका पेट बिल्कुल साफ होना चाहिए।
इसके लिए आप कब्ज को ठीक करने के बहुत सारे तरीके आजमा सकते हैं और आप राहत पा सकते हैं।

कच्चा लहसुन का प्रयोग

आपको अपने खाने में कच्चा लहसुन खाना है।
यह आप के पेट को काफी साफ रखेगा और आपको मल विसर्जन करते समय ढीला महसूस होगा।
आपको अपने खाने में काफी ज्यादा सादा खाना खाना है तेल मसाला वाला खाना बिल्कुल भी नहीं खाना है।
बवासीर से बचने के लिए इलाज करने के साथ-साथ आपको अपने पेट पर काफी ध्यान देना है।
आप ऐसी चीजों का सेवन बिल्कुल भी ना करें जिसका सेवन करने से आपको गैस के प्रॉब्लम हो जाती है ।
कब्ज को ठीक करने के लिए आप ज्यादा पानी पिए।
ज्यादा फाइबर युक्त चीजों का सेवन ना करें।
बैगन की सब्जी और मसाला खाने से बचें।
अपने लीवर को ठीक करने के लिए आप "दामोदर उदर रोग हर्बल औषधि" mob 9826795656  सेवन कर सकते हैं।
अपने पेट को ठीक रखने के लिए आप एक्सरसाइज भी कर सकते हैं।
सुबह उठने के बाद पहले तीन से चार गिलास गुनगुना पानी पीना चाहिए इससे आपका पेट साफ रहेगा और आपको बवासीर में काफी ज्यादा राहत मिलेगी।
बवासीर में जामुन का सेवन काफी फायदेमंद होता है
बवासीर से छुटकारा पाने के लिए आप को हम यहां पर दो अंग्रेजी दवाएं बताएं जिसको खाने के बाद आपका बवासीर जड़ से खत्म हो जाएगा चाहे वह खूनी बवासीर हो या बादी चाहे बाहरी हो या अंदरूनी।
बवासीर में यह दवा बहुत ही ज्यादा काम करता है या बहुत लोगों ने खाया है और बहुत लोगों को आराम भी मिला है।
यह लिवर में इन्फेक्शन और जितने सारे पेट से जुड़ी समस्या रहेगी गैस बनना सब कुछ ठीक कर देगा।
आपको इन दोनों दवाओं का सेवन जरूर करना है इससे आपको पेट से जुड़ी कोई भी समस्या नहीं होगी और आप बवासीर से बचे रहेंगे।

बवासीर के लिए अंग्रेजी दवा

बवासीर को जड़ से खत्म करने के लिए और बहुत जल्दी छुटकारा पाने के लिए आपको लेना है सिपलॉक्स और मेट्रोजिल।
रोज सुबह खाना खाने के बाद आपको यह दोनों दवा खा लेना है एक साथ खाना है।


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