पर्यावरण में वायु प्रदूषण के लेवल में प्रतिवर्ष इजाफा होता है और उसी हिसाब से फेफड़े की बीमारियों में भी बढ़ोत्तरी होती है। बदलते परिवेश में ज्यादातर लोग धूम्रपान की जद में आने की वजह से भी लंग्स की बीमारी से परेशान होते हैं। वायु प्रदूषण की वजह से लंग्स की बीमारी उतनी नहीं होती जितना कि धूम्रपान की वजह से होती है। जब इंसान बार-बार सिगरेट पीता है तो जहरीली गैस लंग्स में जाते ही ब्लड सर्कुलेशन में जाने लगती है और शरीर के सभी अंग में फैल जाती है। तंबाकू में निकोटीन के अलावा अन्य कई खतरनाक रसायन पाये जाते हैं जो शरीर को बहुत कमजोर बनाने का काम करते हैं। धूम्रपान की वजह से लंग्स बहुत कमजोर हो जाते हैं ऐसे में यदि आप धुम्रपान छोड़ते हैं तो लंग्स को मजबूत बनाने के लिए उसे सही तरीके से साफ होना बहुत जरूरी होता है।
अगर आपको चलने के दौरान सांस नहीं फूलती और किसी तरह सांस की कोई परेशानी नहीं है तो समझ जाएं की आपके फेफड़े मजबूत हैं. आप कई बीमारियों का सामना कर सकते हैं. देखा जाता है कई लोग इसको लेकर लापरवाही दिखाते हैं जो कि हानिकारक साबित हो सकती है
अखरोट-
अमेरिकन कॉलेज ऑफ न्यूट्रिशन से प्रकाशित एक जर्नल के मुताबिक अखरोट में भरपूर मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है. डाइट में रोजाना एक मुट्ठी अखरोट शामिल करने से आप फेफड़ों की समस्या से निजात पा सकते हैं. यह सांस की दिक्कत यानी अस्थमा में भी फायदा पहुंचाता है.
पानी-
पानी पीना फेफड़ों के लिए बहुत जरूरी होता है. हर दिन 6 से 8 गिलास पानी पीना ही चाहिए. ये फेफड़ों को प्योरीफाई कर उन्हें रोगों से दूर रखता है.
फेफड़ों के लिए अदरक
अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो श्वसन पथ से विषाक्त पदार्थों को हटाने में मदद करता है। इसमें पोटेशियम, मैग्नीशियम, बीटा कैरोटीन और जिंक सहित कई विटामिन और खनिज शामिल हैं। अदरक के कुछ तत्व फेफड़ों के कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए भी जाना जाता है। आप कई व्यंजनों में अदरक को शामिल कर सकते हैं या अदरक चाय के रूप में इसका सेवन कर सकते हैं।
पुदीने को करें शामिल
पेपरमिंट या पुदीना न केवल आपके सांस को बेहतर बनाने का काम करता है बल्कि इसमें स्वास्थ्य लाभ भी हैं, जो आपके पेट, छाती और सिर के लिए अच्छे हैं। फेफड़ों में संक्रमण के कारण बैक्टीरिया से लड़ने के लिए नियमित रूप से आप 3-5 पेपरमिंट पत्तियों पर चबा लें।
फैटी फिश-
जिस मछली में फैट की मात्रा ज्यादा होती है, उनका सेवन फेफड़ों के लिए लाभकारी होता है. इनमें पर्याप्त मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है.
फेफड़ों के लिए ग्रीन टी
ग्रीन टी में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट हैं जो कार्डियोवैस्कुलर स्वास्थ्य को बढ़ावा देने, विभिन्न कैंसर से बचाने और हमारे फेफड़ों से तरल पदार्थ हटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ग्रीन टी में मौजूद जड़ी-बूटियां हमारे फेफड़ों की लाइनिंग से बलगम को ढीला करने में मदद करती हैं और प्रकृति में एंटीमाइक्रोबायल होती हैं।
फेफड़ों के लिए लहसुन
इसमें एलिसिन नामक एक यौगिक होता है, जो एक शक्तिशाली एंटीबायोटिक एजेंट के रूप में कार्य करता है और हमारे फेफड़ों को छिपाने वाले श्वसन संक्रमण से निपटने में मदद करता है। यह सूजन को कम करने, अस्थमा में सुधार करने और फेफड़ों के कैंसर के खतरे को कम करने में भी मदद करता है।
ब्रोकोली-
एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर ब्रोकोली फेफड़ों को स्वस्थ बनाए रखने में कारगर है. ब्रोकली फेफड़ों के अलावा शरीर के स्टैमिना के लिए भी अच्छी मानी जाती है.
हल्दी
भारत में हल्दी के औषधीय गुणों का प्रयोग पुराने जमाने से किया जाता रहा है। हल्दी जहां एक ओर खाने का स्वाद और रंग बढ़ा देती है, वहीं इसका उपयोग सौंदर्य वृद्धि और त्वचा की समस्याओं को दूर करने में भी किया जाता है। हल्दी को हम ‘गोल्डन स्पाइस’ के रूप में भी जानते हैं। हल्दी के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण के कारण यह हमारे फेफड़ों को साफ करने में मदद करता है।
सेब-
हेल्दी फेफड़ों के लिए रोजाना सेब का सेवन फायदेमंद होता है. इसमें मौजूद विटामिंस फेफड़ों को हेल्दी बनाए रखते हैं. एक शोध के मुताबिक फेफड़ों के लिए विटामिन-ई, सी, बीटा कैरोटीन और खट्टे फल काफी अच्छे माने जाते हैं.
फेफड़ों के लिए गाजर का रस
नाश्ते और दोपहर के भोजन के दौरान गाजर का रस कम से कम 300 मिलीलीटर पीएं, ताकि फेफड़ों की सफाई हो सके। आपको बता दें कि गाजर का रस बीटा कैरोटीन का एक अच्छा स्रोत है, एक प्रकार का विटामिन ए, जो सबसे शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट्स में से एक है। विटामिन ए आंख की सतह की रक्षा में मदद करता है और मजबूत विजन में योगदान देता है।
पिपली
पिपली को अंग्रेजी में लॉन्ग पेपर कहते हैं। आयुर्वेद में पिपली को दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। यह काली मिर्च की तरह तीखी होती है। पिपली का फल खसखस की तरह होता है। इसके तने और फल के अलावा पत्तियों का भी इस्तेमाल किया जाता है। इसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो अस्थमा सहित कई बीमारियों में सहायक सिद्ध होते हैं। इसके सेवन से फेफड़े मजबूत होते हैं।
लहसुन और प्याज
लहसुन और प्याज दोनों ही ऐसी सब्जियां हैं, जिन्हें खाने के बाद सांसों से दुर्गंध आती है। लेकिन जरूरी बात यह है कि सांसों को दुर्गंध से भरनेवाली ये सब्जियां हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता तो बढ़ाती हैं साथ ही हमारे फेफड़ों यानी लंग्स को मजबूत भी बनाती हैं। प्याज और लहसुन ऐंटीऑक्सीडेंट्स और ऐंटीफंगल एस्ट्रिजेंट के रूप में काम करते हैं। जो फेफड़ों में सांस के जरिए पहुंची पलूशन पार्टिकल्स, डस्ट पार्टिकल्स औ बैक्टीरिया आदि को जमा नहीं होने देते। इससे लंग्स साफ और सुरक्षित रखने में मदद मिलती है।
मुलेठी
आयुर्वेद में मुलेठी को दवा माना जाता है। इसमें एंटी-डायबिटिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी के गुण पाए जाते हैं। कई शोध में खुलासा हुआ है कि मुलेठी मीठा खाने की आदतों से छुटकारा दिलाने में सहयोग करता है। इसके सेवन से फेफड़े मजबूत होते हैं। इसके लिए रोजाना रात में सोने से पहले एक गिलास दूध में मुलेठी पाउडर मिलाकर सेवन करें।
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मुनक्का का सेवन :
रोजाना भिगे हुए मुनक्का का सेवन करने से भी फेफड़े मजबूत होते हैं और बीमारियों से लड़ने की उनकी क्षमता बढ़ती है।
तुलसी की पत्तियों का सेवन:
अगर फेफड़ों में कफ जमा हो तो इसे खत्म करने के लिए तुलसी के सूखे पत्ते, कत्थान, कपूर और इलायची को बराबर मात्रा में पीस लें। अब इसमें नौ गुना चीनी मिलाकर पीस लें। इस मिश्रण को चुटकी भर दिन में दो बार खाएं। इससे फेफड़ों में जमा कफ खत्म होने में मदद मिलती है।
विटामिन सी से भरपूर आहार :
खट्टे फल जैसे- संतरा, नींबू, टमाटर, कीवी, स्ट्रॉबेरी, अंगूर, अनानास, आम आदि में भरपूर मात्रा में विटामिन सी होता है। 'विटामिन सी' से भरपूर आहार का सेवन करने से शरीर में मौजूद विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। 'विटामिन सी' से भरपूर आहार में एंटीऑक्सीडेंट होते है, जो सांस लेने के बाद ऑक्सीजन को सभी अंगों तक पहुंचाने में मदद करते है।
नियमित रूप से करें योग
अपने फेफड़े की सफाई करनी है तो आप नियमित रूप से योग कीजिए। इसके लिए आधा घंटा गहरी सांस लेने वाले अभ्यास को कीजिए। यह आपके फेफड़ों से अशुद्धियों को दूर करने में मदद करेगा। योग से न सिर्फ आपकी सीने की मांसपेशियां मजबूत होती हैं बल्कि ये आपके फेफड़ों के लिए भी बहुत ज्यादा फायदेमंद हैं।
लाइकोपेन युक्त आहार का सेवन :
ऐसे आहार का सेवन करें जो लाइकोपेन युक्त हो जैसे टमाटर, गाजर, तरबूज, पपीता, शकरकंद और हरी सब्जियां। इस तरह के आहार में कैरोटीनॉयड एंटीऑक्सीडेंट होता है जो अस्थमा से बचाने में भी सहायक होता है, साथ ही इन्हें खाने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा कम होता है।