Get Even More Visitors To Your Blog, Upgrade To A Business Listing >>

अतुलनीय अटल जी

प्रशंसकों ने तो श्रद्धांजलि दी ही, साथ पूरे देश को उनका जाना झकझोर गया। विदेशों में उनके प्रशंसकों को उनका जाना खल रहा है। पाकिस्तान की जनता भी उनके न रहने से स्तब्ध रह गई। सभी को लगा कि उनके बीच से एक ऐसी महान शख्सियत चली गई, जिसने भारतीय राजनीति को नये आयाम दिए। विश्व में कूटनीति की नई परिभाषा गढ़ी। अटल इरादों के विशाल ह्रद्य वाले अटलजी राजनीति में शुचिता, पवित्रता,नैतिकता, पारदर्शिता और सौहार्दता के लिए देशवासियों के मन में हमेशा छाये रहेंगे। 12 साल से मौन अटलजी के महाप्रयाण पर करोड़ों लाखों ने उन्हें विदाई दी। महाप्रयाण के अवसर पर नम हुईं करोड़ों आंखें हमें बताती हैं कि अटलजी का न रहना, एक राजनीतिक युग के समाप्त होने जैसा है। अटलजी ने चाहे 12 साल से एक शब्द नहीं बोला था, पर भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय करोड़ों कार्यकर्ताओं के पास उनसे जुड़ा कोई न कोई संस्मरण जरूर था। गांव-देहात के कार्यकर्ता हो या प्रदेश की राजधानी के कार्यकर्ता हो या दिल्ली के। सभी अटलजी का जिक्र आते ही अपने-अपने संस्मरण सुनाने लगते। कितना विशाल संपर्क था अटलजी का। एक बार जिस शहर में गए, वहां सैंकड़ों लोगों के दिलों में बस जाते थे। उनके व्यक्तित्व में एक ऐसा आकर्षण था, जो बरबस ही सबको अपनी ओर खींच लेता था। उनके विरोधी भी उनकी इस बात के कायल थे। भाजपा के विरोधी दलों के नेताओं के पास भी अटलजी के सहयोग के बहुत से संस्मरण हैं। भाजपा के धुर विरोधी रहे लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष श्री सोमनाथ चटर्जी ने तो अपनी किताब में अटलजी के महान व्यक्तित्व का उल्लेख किया है। माकपा के प्रमुख नेता रहे सोमनाथ चटर्जी का जो काम तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी टालती रहीं, उसे अटलजी ने दो घंटे में कर दिखाया।

अटलजी के व्यक्तित्व और कृतित्व की तुलना हम किसी से नहीं कर सकते। महात्मा गांधी हो या पंडित जवाहर लाल नेहरू। डा.श्यामाप्रसाद मुखर्जी हो या पंडित दीनदयाल उपाध्याय। इनमें से किसी से भी अटलजी की तुलना नहीं हो सकती। अटलजी की तुलना अगर होगी तो स्वयं अटलजी से ही होगी। अटल वाकई बहुत बड़े थे। भारतीय राजनीति में उन्होंने स्वयं को बेशक कभी बहुत बड़ा सिद्ध करने का प्रयत्न नहीं किया पर उनके कार्यों और विचारों के आधार पर हम उन्हें बहुत बड़ा मानते हैं। पहली बार ही लोकसभा में पहुंच कर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को चुनौती देने वाले अटल बिहारी वाजपेयी को सुनकर उन्हें कहना पड़ा था यह युवक अवश्य प्रधानमंत्री बनेगा। राजनीति में कभी उन्होंने पद पाने की लालसा नहीं जताई। भाजपा में तो वे प्रारम्भ से ही एक स्वाभाविक पसंद थे। भाजपा का हर कार्यकर्ता और शुभचिंतक ही नहीं देश की जनता की भी चाहत थी कि अटलजी लालकिले से झंडा फहरायें। 13 दिन की सरकार चलाने के बाद देशवासियों ने उन्हें 13 महीने और फिर पांच साल सरकार चलाने का अवसर दिया। यह अवसर उनके विचारों और कार्यों के कारण ही मिला। देश की समस्याओं को लेकर चिंता करने वाले और उनका हल निकालने में जुटे रहने वाले अटलजी उदास पलों में भी लोगों को हास्य से भर देते थे। उनका कहना था कि चुनौतियों का हंसकर सामना करेंगे तो चिंताएं भी ज्यादा देर तक नहीं टिकेगी।

अटलजी पर प्रधानमंत्री रहते हुए कोई दाग नहीं लगा पाया। इसी तरह हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का कार्यकाल रहा। साढ़े चार साल के कार्यकाल में नरेंद्र मोदी सरकार पर कोई उंगली नहीं उठा पाया। अटलजी के व्यक्तित्व के तमाम पहलू हमें मोदीजी में दिखाई देते हैं। लोगों को यह जानकारी नहीं थी कि मोदीजी अटलजी के स्वास्थ्य को लेकर हमेशा चिंतित रहते थे। रोजाना वे अटलजी के स्वास्थ्य की रिपोर्ट लेते। महीने में एक बार उन्हें देखने घर जाते और परिवार को उनके शीघ्र स्वस्थ होने का ढांढस बताते। पूरे देश की जनता ने देखा कि अटलजी के निधन के बाद अंतिम यात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रोटोकाल को तोड़ते हुए सुरक्षा नियमों की परवाह न करते हुए पैदल चलते रहे। एक पुत्र की भांति उन्होंने अटलजी को विदाई दी। देश हैरान कि ऐसा इस देश में किसी ने नही देखा कि अपने आदर्श रहे एक महान व्यक्तित्व को किसी प्रधानमंत्री ने ऐसी विदाई दी हो। मोदी के साथ उनके मंत्रिमंडल के सभी साथी और सांसद भी साथ थे। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी साथ-साथ चलते रहे। ऐसे नजारे ने भी माहौल को और भावुक बना दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में भाजपा ने जिस गति से आधार बढ़ाया है, उसे देखकर हर कोई यही कहता है कि अटल-अडवाणी ने दो सदस्यों की भाजपा को सत्ता तक पहुंचाया तो मोदी-शाह की जोड़ी ने पार्टी को देश के हर कोने में पहुंचा दिया। सचमुच अटलजी के एकदम सही उत्तराधिकारी नरेंद्र मोदी को देशवासियों ने राष्ट्र को विकास के मार्ग पर ले जाने के लिए नेतृत्व सौंपा है। अटलजी की लेखनी, वाणी और कर्म हमारे लिए हमेशा प्रेरणा के माध्यम रहेंगे। आने वाली पीढ़ियों के लिए अटलजी एक नए सशक्त और समृद्ध भारत की नींव रखने के लिए जाने जाएंगे।

The post अतुलनीय अटल जी appeared first on Kailash Vijayvargiya.



This post first appeared on Welcome To Kailash Vijayvargiya Blog | The Cabinet, please read the originial post: here

Share the post

अतुलनीय अटल जी

×

Subscribe to Welcome To Kailash Vijayvargiya Blog | The Cabinet

Get updates delivered right to your inbox!

Thank you for your subscription

×