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Bhagat Singh Shayari

मेरे जज्बातों से मेरा कलम इस कदर वाकिफ हो जाता हैं, मैं इश्क भी लिखना चाहूँ तो इन्कलाब लिखा जाता हैं. जय हिन्द

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पे मर मिटनेवालों का बाकी यही निशां होगा

खुशनसीब हैं वो जो वतन पर मिट जाते हैं, मरकर भी वो लोग अमर हो जाते हैं, करता हूँ उन्हें सलाम ए वतन पे मिटने वालों, तुम्हारी हर साँस में तिरंगे का नसीब बसता है

जशन आज़ादी का मुबारक हो देश वालो को, फंदे से मोहब्बत थी हम वतन के मतवालो को। जय हिन्द जय भारत

हम अपने खून से लिक्खें कहानी ऐ वतन मेरे. करें कुर्बान हँस कर ये जवानी ऐ वतन मेरे

लिख दो लहू से अमर कहानी वतन के खातिर, कर दो कुर्बान हंसकर ये जवानी वतन के खातिर. भगत सिंह

लिख रहा हूं मै अजांम जिसका कल आगाज आयेगा, मेरे लहू का हर एक कतरा इकंलाब लाऐगा,

मेरे सर पे कर्जा है भगत सिंह की चीखों का, मेरा हृदय आभारी है उनकी दी हुई सीखों का

वतन के रखवाले हैं हम शेर -ए-जिग़र वाले हैं हम मौत से हमें क्यों डर लगेगा मौत को बाँहों में पाले हैं हम जय हिन्द वन्दे मातरम

मुझे तन चाहिए , ना धन चाहिए बस अमन से भरा यह वतन चाहिए जब तक जिन्दा रहूं,इस मातृ-भूमि के लिए और जब मरू तो तिरंगा कफ़न चाहिये * जय-हिन्द

तिरंगा हो कफ़न मेरा बस यहीं अरमान रखता हूँ, भारत माँ का इस हृदय में अमिट सम्मान रखता हूँ

इतनी सी बात हवाओं को बताये रखना रौशनी होगी चिरागों को जलाये रखना लहू देकर की है जिसकी हिफाजत हमने ऐसे तिरंगे को हमेशा दिल में बसाये रखना

वतन के रखवाले है हम, शेर-ए-जिगर वाले है हम, मौत से हमें क्यों डर लगेगा, मौत के बांहों में पाले हुए है हम

मेरी सोच स्वतंत्र और गतिमान है, भगत सिंह हूँ, जेल में भी आजाद हैं

कर दी जिसने कुर्बान अपनी जवानी वतन के खातिर, आओ हम भी खून से लिखे अपनी कहानी वतन के खातिर

लिख रहा हूँ मैं अंजाम जिसका कल आगाज आएगा, मेरे लहू का हर एक कतरा इन्कलाब लाएगा, मैं रहूँ या न रहूँ पर ये वादा है मेरा तुमसे कि मेरे बाद वतन पर मरने वालों का सैलाब आएगा

मातृभूमि के लिए मर मिटना कबूल है हमें, केवल स्वतंत्र भारत के स्वप्न का जुनून है हमें

कर दी जिसने कुर्बान अपनी जवानी वतन के खातिर, आओ हम भी खून से लिखे अपनी कहानी वतन के खातिर

जमाने भर में मिलते हैं आशिक कई, मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता, नोटों में भी लिपट कर, सोने में सिमटकर मरे हैं शासक कई, मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफन नहीं होता

वतन से ख़ूबसूरत कोई सनम नही होता हैं, तिरंगे से ख़ूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता हैं

दिल दिया है जान भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए, हर करम हम अपना करेंगे ऐ वतन तेरे लिए

कुछ नशा तिरंगे की आन का है, कुछ नशा मातृभूमि की मान का है, हम लहरायेंगे हर जगह ये तिरंगा, नशा ये हिन्दुस्तान की शान का है

आन देश की शान देश की, देश की हम संतान हैं। तीन रंगों से रंगा तिरंगा, अपनी ये पहचान हैं

ना तन से प्यार है, ना धन से प्यार हैं, हमें तो बस अपने वतन से प्यार हैं

सीने में आग और हृदय में देशभक्ति का जूनून रखते है, क्योंकि हमारे दिलों-दिमाग में भगत सिंह बसते हैं

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