Get Even More Visitors To Your Blog, Upgrade To A Business Listing >>

Its Time To Re Invent Things Which We Are Doing - Inspirational and Motivational Story in Management Funda - N Raghuraman - 26th June 2014

वक्त आ गया है हम जो कर रहे हैं, उसका फिर आविष्कार करें


मैनेजमेंट फंडा - एन. रघुरामन 


पिछले साल लेविस जीन्स के विज्ञापन ने कई लोगों का ध्यान आकर्षित किया। शीर्षक था, 'आठ बोतल एक जीन्स'। इसमें दिखाया जाता है कि पानी की बोतल डस्टबिन और कचरे के ढेर से होते हुए रीसाइकिलिंग यूनिट पहुंचती है। 

वहां इसे नष्ट करके, पिघलाकर पॉलिएस्टर फाइबर बनाया जाता है, जिससे एक जीन्स पैन्ट तैयार होती है। इस कंपनी ने हाल में ही नई जीन्स पैन्ट जारी की है, '501'। इसे बनाने में 29 फीसदी उस पॉलिएस्टर फाइबर का इस्तेमाल हुआ है, जो पानी की बोतलों को रीसाइकिल करके बना है। दावा तो यही है। सवाल है कि दावे में कितनी सच्चाई है? क्या यह सिर्फ मार्केटिंग का एक हथकंडा है या फिर वाकई लेविस की जीन्स बेकार बोतलों से बन रहे हैं? 

Source: Its Time To Re Invent Things Which We Are Doing - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 26th June 2014  


जवाब ये है कि वास्तव में लेविस जैसी कई कंपनियां अब कच्चे माल के लिए रीसाइकिल किए गए मटीरियल की तरफ रुख कर रही हैं। दुनिया में रिसाइकिलिंग की श्रृंखला में भारत भी बड़े पैमाने पर योगदान दे रहा है। आजकल बड़ी संख्या में लोग बोतलबंद पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं। हर रोज देश में पानी की करीब 1,20,000 बोतलें कचरे में फेंकी जा रही हैं। 

पानी की इन बेकार बोतलों को जमा और रीसाइकिल करके फाइबर बनाने के काम ने युवा उद्यमियों का ध्यान खींचा है। शराब और कोल्ड ड्रिंक की प्लास्टिक की बोतलें भी पॉलिएस्टर फाइबर बनाने के काम आ रही हैं। 
कचरा बीनने वालों से ये तीनों किस्म की बोतलें कलेक्शन सेंटर पहुंचती हैं। वहां से रीसाइकिलिंग यूनिट तक। यहां इनको रंगों के हिसाब से अलग-अलग किया जाता है। फिर नष्ट करने के लिए मशीन में डाल दिया जाता है। यह मशीन एक घंटे के भीतर 140 किलो बोतलों को नष्ट कर सकती है। नष्ट करने के बाद इस माल के गट्ठर बना दिए जाते हैं। 

फिर इन गट्ठरों को टेक्सटाइल यूनिट भेजा जाता है। वहां इनकी परतें बनाई जाती हैं, चादरनुमा। परतों को बार-बार गर्म पानी व केमिकल से धोया जाता है। ताकि बोतल बनाते वक्त प्लास्टिक में मिले हानिकारक पदार्थ खत्म हो जाएं। इन साफ-सुथरी परतों को पिघलाकर पॉलिएस्टर फाइबर के रेशे बनते हैं और इनसे कपड़ा। 

सामान्य पॉलिएस्टर की तुलना में रीसाइकिलिंग के जरिए बना यह पदार्थ 80 फीसदी ज्यादा मजबूत होता है। इसका साड़ी बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है। सफेद बोतलों से इसी रंग का फाइबर बनता है। उसे विभिन्न रंगों में ढालने के लिए डाय किया जा सकता है। जबकि अन्य रंगों की बोतलों से हरे और नीले रंग का फाइबर बनता है। ऐसी बोतलों की तादाद कुल मटीरियल में करीब 20 फीसदी होती है। 

बेकार बोतलों के कलेक्शन के मामले में भारत का रिकॉर्ड काफी अच्छा है। यहां से करीब 75 फीसदी बोतलें कलेक्ट कर ली जाती हैं। हालांकि चीन में 90 फीसदी तक कलेक्शन हो जाता है। और वह दुनिया में इस मामले में दुनिया में नंबर एक पर है। जबकि भारत दूसरे। अपने देश में वे टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज जो रीसाइकिल पॉलिएस्टर फाइबर का इस्तेमाल करती हैं, ज्यादातर गुजरात, दिल्ली और तमिलनाडु में हैं। 

गुजरात में गणेश इकोस्पेयर सबसे बड़े रीसाकिलिर्स में से है। यहां सालाना 57,600 टन बोतलें रीसाइकिल होती हैं। इससे बाद रिलायंस 42,000 टन बोतलें सालाना रीसाइकिल करती है। रीसाइकिल किए पॉलिएस्टर के बारे में पर्यावरण विशेषज्ञ चिंताएं जता रहे हैं। पर जिस मात्रा में हम प्लास्टिक की बोतलें फेंक रहे हैं, उस चुनौती की तुलना में तो यह कम ही खतरनाक होगा। 





































Source: Its Time To Re Invent Things Which We Are Doing - Management Funda By N Raghuraman - Dainik Bhaskar 26th June 2014  


This post first appeared on Gyan Ke Fundey: Inspirational And Motivational Sto, please read the originial post: here

Share the post

Its Time To Re Invent Things Which We Are Doing - Inspirational and Motivational Story in Management Funda - N Raghuraman - 26th June 2014

×

Subscribe to Gyan Ke Fundey: Inspirational And Motivational Sto

Get updates delivered right to your inbox!

Thank you for your subscription

×