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मध्य प्रदेश राज्य का इतिहास और जानकारी

Madhya Pradesh History in Hindi

भारत देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य Madhya Pradesh – मध्यप्रदेश जिसे “भारत का हृदय” कहा जाता है। इस राज्य का इतिहास, भौगोलिक स्थिति, प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक विरासत और यहाँ के लोग इसे भारत के सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थलों में से एक बनाते हैं। इसकी राजधानी भोपाल है, जो झीलों के शहर के नाम से प्रसिद्ध है।

यह भारत के उन चुनिंदा राज्यों में से एक है जो चारो तरफ से दुसरे राज्यों से घिरा हुआ है। इसके उत्तर में उत्तर प्रदेश है। इसके पश्चिम में राजस्थान और गुजरात, दक्षिण में महाराष्ट्र और पूर्व में छत्तीसगढ़ है।

मध्य प्रदेश राज्य का इतिहास और जानकारी – Madhya Pradesh History in Hindi

राज्य का नाम (State Name) मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh)
मध्यप्रदेश की राजधानी (Capital of Madhya Pradesh) भोपाल (Bhopal)
राज्य की प्रमुख भाषाएँ (Languages of Madhya Pradesh) हिंदी, अँग्रेजी, उर्दू।
राज्य निर्मिति का साल (State Formation Year) १ नवंबर १९५६
राज्य की कुल जनसँख्या (Population of Madhya Pradesh) ७,२६,२६,८०९
क्षेत्रफल अनुसार राज्य का देश में स्थान दूसरा (Second)
जनसँख्या अनुसार राज्य का देश में स्थान पाँचवा (Fifth)
राज्य का साक्षरता दर ८० प्रतिशत (%)
मध्यप्रदेश के ज़िले (District in Madhya Pradesh) ५२ (Fifty Two)
कुल तालुका (तहसील) की सँख्या ४१२
कुल ग्रामीण विभागों की सँख्या ५४, ९०३।
राज्य का साक्षरता दर ७०. ६८ प्रतिशत (%)
राज्य का प्रमुख जानवर (State Animal of Madhya Pradesh) बारसिंघा
प्रमुख पक्षी (State Bird of Madhya Pradesh) भारतीय पैराडाइज फ्लायकैचर
प्रमुख पेड़ (वृक्ष)(State Tree of Madhya Pradesh) वटवृक्ष
प्रमुख फूल (पुष्प) (State Flower of Madhya Pradesh) सफ़ेद लिली का पुष्प
प्रमुख फल(State Fruit of Madhya Pradesh) आम का फल
प्रमुख खेल(State Game of Madhya Pradesh) मल्लखंब
वित्तीय और राज्यनिहाय मध्यप्रदेश की कोड सँख्या (State Code of Madhya Pradesh) २३ (Twenty Three)

मध्य प्रदेश राज्य का इतिहास और जानकारी – Madhya Pradesh History Information

तक़रीबन 320 BCE में चन्द्रगुप्त मौर्य ने उत्तरी भारत को एकत्रित किया, जिसमे वर्तमान मध्यप्रदेश भी शामिल था। मौर्य साम्राज्य के सम्राट अशोक ने क्षेत्र पर दृढ़ नियंत्रण रखा। मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद क्षेत्र पर कब्ज़ा करने के लिए साका, कुषाण, सातवाहन और बहुत से स्थानिक साम्राज्यों के बीच पहली से तीसरी शताब्दी CE के बीच लड़ाईयां हुई। शुंगा राजा भागभद्र के दरबार के ग्रीक एम्बेसडर हेलिदोरुस ने विदिशा के पास हेलिदोरुस पिल्लर का भी निर्माण कर रखा है।

Madhya Pradesh ka Itihaas

पहली शताब्दी BCE से ही उज्जैन पश्चिमी भारत के मुख्य व्यापारी केंद्र रहा है, यह शहर गंगा के मैदान और भारतीय अरेबियन सागर बंदरगाह के रास्ते में बसा हुआ है। पहली से तीसरी शताब्दी CE के बीच उत्तरी डेक्कन के सातवाहन साम्राज्य और पश्चिमी क्षेत्र के साका साम्राज्य के बीच मध्यप्रदेश पर नियंत्रण पाने के लिए घमासान युद्ध हुआ।

सातवाहन के राजा गौतमीपुत्र सताकरनी ने साका साम्राज्य पर जीत प्राप्त की और दूसरी शताब्दी में मालवा और गुजरात पर भी विजय प्राप्त की।

बाद में चौथी और पांचवी शताब्दी में क्षेत्र गुप्त साम्राज्य और दक्षिणी पडोसी वेकतका के नियंत्रण में चला गया। धार जिले की कुक्षी तहसील के बाघ गुफा में पत्थर से बने हुए मंदिर में गुप्त साम्राज्य के अस्तित्व के सबूत दिखाई देते है, साथ ही वहा बने बडवानी शिलालेख तक़रीबन 487 CE के है।

सफ़ेद हंस के आक्रमण से ही गुप्त साम्राज्य का पतन हुआ और इससे राज्य छोटे-छोटे भागो में विभाजित हो गया। 528 में मालवा के राजा यशोधर्मन ने हंस को पराजित किया और उनकी विकासधारा को रोका। बाद में हर्षा (C. 590-647) ने राज्य के उत्तरी भाग पर शासन किया।

आठवी शताब्दी से दसवी शताब्दी तक मालवा पर दक्षिण भारतीय राष्ट्रकूट साम्राज्य ने शासन किया। जब राष्ट्रकूट साम्राज्य के दक्षिण भारतीय सम्राट गोविन्द द्वितीय ने मालवा पर कब्ज़ा कर लिया, तो वहाँ उन्होंने अपने किसी सहयोगी के परिवार को स्थापित किया, जिसे परमार का नाम दिया गया।

मध्यकालीन समय में राजपूत वंश का विकास हुआ, जिसमे मालवा के परमार और बुंदेलखंड के चंदेला भी शामिल थे। चंदेला ने खजुराहो में मंदिरों का निर्माण किया, जो मध्य भारत में हिन्दू मंदिर के वास्तुकला की परिणिति का प्रतिनिधित्व करते है। उत्तरी और पश्चिम मध्य प्रदेश में आज भी गुर्जर-प्रतिहार साम्राज्यों का बोलबाला है। ग्वालियर में भी कुछ एतिहासिक स्मारक बने हुए है।

मध्यप्रदेश के दक्षिणी भाग जैसे मालवा पर दक्षिण भारतीय पश्चिमी चालुक्य साम्राज्य ने कई बार आक्रमण किया, जिससे मालवा के परमार साम्राज्य पर काफी नियम लगाये गये।

13 वी शताब्दी में उत्तरी मध्यप्रदेश पर तुर्की दिल्ली सल्तनत ने कब्ज़ा कर लिया था। 14 वी शताब्दी के अंत में दिल्ली सल्तनत के ख़त्म होते हुए, स्वतंत्र धार्मिक साम्राज्य की खोज की गयी, जिसमे ग्वालियर का तोमार साम्राज्य और मालवा के मुस्लिक सल्तनत भी शामिल थी।

1531 में गुजरात सल्तनत ने मालवा सल्तनत पर कब्ज़ा का लिया। 1540 में राज्य का ज्यादातर भाग शेर शाह सूरी के नियंत्रण में आ गया और बाद मे हिन्दू राज हेमू ने इसपर कब्ज़ा कर लिया।

1556 में पानीपत के दुसरे युद्ध में अकबर द्वारा हेमू को पराजित किये जाने के बाद, मध्य प्रदेश का ज्यादातर भाग मुघलो के नियंत्रण में आ गया। गोंडवाना और महाकोशल गोंड राजाओ के ही नियंत्रण में रहा, जिन्हें मुग़ल वर्चस्व स्वीकार था लेकिन वे आभासी स्वायत्तता का आनंद ले रहे थे।

1707 में सम्राट औरंगजेब की मृत्यु के बाद राज्य का मुघलो का नियंत्रण कमजोर हो गया। 1720 और 1760 के बीच मराठाओ ने मध्य प्रदेश के बहुत से भागो पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया।

क्षेत्र के प्रसिद्ध मराठा शासको में महादजी शिंदे, अहिल्याबाई होलकर और यशवंतराव होलकर शामिल थे। तीसरे एंग्लो-मराठा युद्ध के बाद, ब्रिटिशो ने पुरे क्षेत्र का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। क्षेत्र के सभी प्रभुत्व राज्य ब्रिटिश भारत के प्रांतीय राज्य बन चुके थे, जिसपर केंद्रीय भारत एजेंसी का नियंत्रण था।

1857 में राज्य के उत्तरी भाग में तात्या टोपे के नेतृत्व में स्वतंत्रता क्रांति ने जन्म लिया। जबकि ब्रिटिश और प्रिंस रॉयल ने इसे कुचल दिया। राज्य में बहुत सी ब्रिटिश विरोधी गतिविधियाँ हो चुकी है और भारतीय स्वतंत्रता अभियान के समय काफी लोगो ने मिलकर ब्रिटिशो का विरोध किया।

बहुत से प्रसिद्ध नेता जैसे चन्द्रशेखर आजाद, बी.आर.आंबेडकर, शंकर दयाल शर्मा और अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म मध्य प्रदेश में हुआ। साथ ही दो प्रसिद्ध गायक, तानसेन और बैजू बावरा का जन्म मध्यप्रदेश में ही हुआ था। प्रसिद्ध पार्श्व गायक किशोर कुमार (खण्डवा) और लता मंगेशकर (इंदौर) भी मध्यप्रदेश के ही रहने वाले है।

भारत की आज़ादी के बाद, भूतपूर्व ब्रिटिश केंद्रीय प्रांत और बरार और मकरी के प्रांतीय राज्य और छत्तीसगढ़ को मिलाकर ‎1 नवम्बर 1956 को मध्यप्रदेश राज्य की स्थापना की गयी, उस समय इसकी राजधानी नागपुर थी।

केंद्रीय भारतीय एजेंसी से ही मध्य भारत, विंध्य प्रदेश और भोपाल राज्य की स्थापना की गयी। 1956 में मध्य भारत, विंध्य प्रदेश और भोपाल को मध्य प्रदेश राज्य में शामिल कर लिया गया और मराठी बोलने वाले दक्षिण क्षेत्र विदर्भ में नागपुर जोड़कर इसे बॉम्बे राज्य में शामिल कर लिया गया। सबसे पहले जबलपुर को राज्य की राजधानी बनाया गया लेकिन अंतिम क्षण में राजनितिक दबाव के चलते भोपाल को राज्य की राजधानी बनाया गया। नवम्बर 2000 में मध्य प्रदेश पुनर्गठन एक्ट के तहत राज्य के दक्षिण-पूर्वी भाग को विभाजित कर छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना की गयी।

मध्य प्रदेश के जिले – Districts of Madhya Pradesh

मध्यप्रदेश में कुल 49 जिले हैं वो इस प्रकार – Madhya Pradesh ke Jile

  1. रायसेन,
  2. अगरमालवा,
  3. छिंदवाडा,
  4. शेओपुर,
  5. अनुपूर,
  6. रतलाम,
  7. खरगोन,
  8. जबलपुर,
  9. झाबुआ,
  10. देवास,
  11. उज्जैन,
  12. अलीराजपुर,
  13. दमोह,
  14. दतिया,
  15. बेतुल,
  16. नरसिंहपुर,
  17. मंदसौर,
  18. शिवपुरी,
  19. कटनी,
  20. सीधी,
  21. बालाघाट,
  22. अशोकनगर,
  23. खण्डवा,
  24. रेवा,
  25. टीकमगढ़,
  26. धार,
  27. सागर,
  28. बरवानी,
  29. डिंडोरी,
  30. मंडला,
  31. सतना,
  32. उमरिया,
  33. गुना,
  34. सीहोर,
  35. विदिशा,
  36. भिंड,
  37. मोरेनाम,
  38. सिवनी,
  39. भोपाल,
  40. हरदा,
  41. सिंगरौली,
  42. बुरहानपुर,
  43. होशंगाबाद,
  44. नीमुच,
  45. शहडोल,
  46. छतरपुर,
  47. इंदौर,
  48. पन्ना,
  49. शाजापुर।

मध्य प्रदेश की नदियाँ – Rivers of Madhya Pradesh

मध्यप्रदेश से कुल 20 नदियाँ बहती हैं वो इस प्रकार – Madhya Pradesh ki Nadiya

  1. नर्मदा
  2. चंबल
  3. बेटवा
  4. केन
  5. सोन
  6. शिप्रा
  7. सिंध
  8. धसन
  9. माही
  10. काली
  11. पारबती
  12. वैनगंगा
  13. जामनी
  14. जोहिला
  15. पेंच
  16. कुँवारी
  17. सुनार
  18. तमसा
  19. कन्हान
  20. सरस्वती

नर्मदा मध्यप्रदेश की सबसे लम्बी नदी इसकी सहायक नदियों में बंजार, तवा, दी मचना, शक्कर, देंवा और सोनभद्रा नदी शामिल है। ताप्ती नदी नर्मदा के ही सामानांतर बहती है और साथ ही यह दरार घाटी से भी होकर बहती है।

नर्मदा और ताप्ती नदी में भरपूर मात्रा में पानी भरा हुआ है और मध्य प्रदेश की लगभग सभी जगहों पर यही पानी जाता है। नर्मदा नदी को भारत में काफी पवित्र माना जाता है और क्षेत्र में इसे पूजा भी जाता है। राज्य में यही पानी का मुख्य स्त्रोत भी है।

मध्य प्रदेश के प्रमुख शिक्षा संस्थान/यूनिवर्सिटी – Universities in Madhya Pradesh

  1. देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर
  2. मध्य प्रदेश भोज यूनिवर्सिटी, भोपाल
  3. रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर
  4. महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी
  5. जीवाजी यूनिवर्सिटी, ग्वालियर
  6. विक्रम यूनिवर्सिटी, उज्जैन
  7. ए.पी.एस यूनिवर्सिटी रेवा
  8. राजीव गाँधी विश्वविद्यालय, भोपाल
  9. बरकत उल्लाह यूनिवर्सिटी, भोपाल
  10. डॉ. हरसिंह गौर यूनिवर्सिटी
  11. आर.के.डी.एफ यूनिवर्सिटी
  12. जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय

मध्य प्रदेश राज्य की संगीत और नृत्यकला – Music and Folk Dance of Madhya Pradesh State

मध्य प्रदेश राज्य में कला संस्कृति का अच्छा विकास और विस्तार देखने को मिलता है, जहाँ सदियों से प्राचीन भारतीय संस्कृति को सहेज कर रखे होने की झलक देखने को मिलती है। राज्य में प्रमुखता से शास्त्रीय संगीत का पूर्व काल से विकास हुआ तथा यहाँ के समाज में इसका खासा प्रचलन भी हुआ, इसके साथ राज्य के विभिन्न प्रदेशो में लोकगीत भी पसंदीदा तौर पर गाया और सुना जाता हैजिसमे यहाँ की जनजातियों का यह मनपसंदीदा संगीत होता है।

यहाँ पर ढंकुल गीत, चैतपारा के उध्दव गीत, एक देवी, धनकेश्वरी आदि गीत प्रकार भी प्रमुखता से पाए जाते है, इसके अलावा लेहा गाने भी राज्य का खास आकर्षण है। संगीत के वाद्यों में बांसुरी, हारमोनियम, तबला, ढोल,ताश आदि पर इन गीतों को गाया जाता है जिसे सभी आयुवर्ग के लोग बढे चाव से सुनते है।

मध्य प्रदेश के नृत्य प्रकारों में मुख्यतः मटकी नृत्य, कर्म नृत्य, मुरिया, बारूदी, त्रुतिली नृत्य, जवारा,लेहंगी, अहिरी, सैला, फूल पाटी, ग्रिडा आदि प्रमुख नृत्य प्रकार शामिल है जिसमे के अधिकतर नृत्य प्रकार राज्य अंतर्गत जनजातियों के प्रमुख नृत्य होते है। गौर नृत्य यहाँ का सबसे प्रसिध्द नृत्य प्रकार होता है जिसे शादी या अन्य खुशियों के मौको पर प्रस्तुत किया जाता है।

मध्य प्रदेश राजा के प्रमुख धर्म और भाषाएँ – Religion and Languages in Madhya Pradesh

राज्य अंतर्गत हिंदू, मुस्लिम,सिख,ईसाई, बौध्द तथा जैन धर्मीय लोगो की संख्या प्रमुखता से देखने को मिलती है, जिसमे सबसे आबादी वाला धर्म हिन्दू धर्म है। इसके अलावा राज्य के लगभग सभी इलाको में विभिन्न जनजातियों के लोग भी पाए जाते है जिसमे आदिवासी जनजाति के कोल, भिल्ल, गोंड, ओराओन, भिला, मुरिया, कोरकेन्स आदि समुदाय मौजूद है।

हिंदी भाषा को राज्य में आधिकारिक भाषा के तौर पर दर्जा प्राप्त है, इसके अलावा अंग्रेजी, उर्दू, बुंदेलखंडी, मालवी, मराठी, छत्तीसगढ़ी इत्यादि भाषाओ का भी उपयोग आम तौर पर किया जाता है।

मध्य प्रदेश के लोगो का प्रमुख भोजन – Staple food of Madhya Pradesh

राज्य में गेहूँ, जवार, चावल आदि से बने व्यंजन प्रमुखता से खाये जाते है जिसमे रोटी, नान, भाकरी,भात आदि शामिल है, इसके साथ यहाँ पर मसालेदार और तली हुई चीजों के शौक़ीन भी बड़ी मात्रा में पाए जाते है।मटन करी, चिकन करी, बिरयानी, मछली आदि सब्जी व्यंजनों को भी बड़े चाव के साथ खाना यहाँ के लोग पसंद करते है।

बाफला व्यंजन यहाँ का सबसे पसन्दीदा व्यंजन होता है, मीठे में यहाँ श्रीखंड, मावाबाटी, खोपरपाक इत्यादि व्यंजनों को भी खाया जाता है। मालपुआ के साथ विभिन्न फलो का सेवन भी राज्य अंतर्गत किया जाता है, कुल मिलाके भारत के राज्य गुजरात और राजस्थान जैसा मध्य प्रदेश का भोजन प्रकार भी विभिन्न तरह के पकवानो से समृद्ध दिखाई पड़ता है।

मध्य प्रदेश के लोगो की वेशभूषा – Dress/Costumes of Madhya Pradesh Peoples

राज्य के महिलाओ का प्रमुख पेहराव साड़ी होता है इसके अलावा लेहंगा और चोली भी बड़े तौर पर पसंद किया जाता है, साड़ियों के प्रकारो में बंधनी साड़ी, माहेश्वरी और चंदेरी साड़ी का खासा चलन दिखाई पड़ता है। पुरुषो के प्रमुख पहनावे में यहाँ मिरज़ाई और बंडी शामिल होती है, इसके साथ साफा जो के पगड़ी का प्रकार होता है जिसे यहाँ के लोग आम तौर पर पहनते हुए दिखाई पड़ते है। धोती और कुर्ती भी सामान्य तौर पर यहाँ के पुरुषो का पेहराव होता है, आधुनिकता के इस युग में साधा और जींस पैंट के साथ शर्ट और टी शर्ट भी यहाँ के पुरुषो के पहनावे में देखने को मिल जाता है।

मध्य प्रदेश के प्रमुख त्यौहार – Festivals of Madhya Pradesh

राज्य अंतर्गत सालभर में आनेवाले सभी प्रमुख त्यौहार जैसे दीपावली, होली, ईद, बुध्द पौर्णिमा, क्रिसमस, दशहरा, कृष्ण जन्माष्टमी, राम नवमी, महावीर जयंती, नवरात्री इत्यादि हर्ष और उल्लास के साथ मनाये जाते है।

सभी प्रमुख त्यौहारों के अलावा उज्जैन कुंभ मेला, लोकरंग समारोह, खजुराहो महोत्सव, मालवा उत्सव, भगोरिया हाट फेस्टिवल, तानसेन समारोह, पचमढ़ी उत्सव, निमाड़ उत्सव, मड़ई उत्सव इत्यादि भी मनाये जाते है।

मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थल – Tourist Places in Madhya Pradesh

  1. भीमबेटका केव्ज
  2. पांडव केव्ज
  3. साँची स्तूप
  4. रजवाड़ा पैलेस
  5. जटाशंकर केव्ज
  6. पचमढ़ी हिल स्टेशन
  7. खजुराहो मंदिर
  8. सराफा बाजार
  9. पातालपानी फॉल्स
  10. लोटस लेक
  11. रालामंडल
  12. स्टेट ट्राइबल मुजियम
  13. रायसेन फोर्ट
  14. बी फॉल्स
  15. हंडी खोह
  16. रजत प्रताप फॉल्स
  17. धूपगढ़
  18. कंचना घाट
  19. बेनी सागर डैम
  20. रेनेह फॉल्स

मध्य प्रदेश के प्रमुख पवित्र धार्मिक स्थल – Holy Religious Places in Madhya Pradesh

यहाँ आप मध्य प्रदेश राज्य के अंतर्गत आनेवाले प्रमुख धार्मिक स्थलों के बारे में जानकारी हासिल कर पायेंगे, जिनका विवरण निम्नलिखित तौर पर दिया हुआ है, जैसे के;

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