Mattancherry Palace – मत्तनचेरी पैलेस एक पुर्तगाली महल है, जो विशेषतः डच पैलेस के नाम से जाना जाता है। यह महल भारतीय राज्य केरला के कोच्ची के मत्तनचेरी में बना हुआ है। कोच्ची के राजाओ के समय के भित्ति चित्रण और वास्तुशिल्प आज भी हमें यहाँ देखने मिलते है।
मत्तनचेरी पैलेस का इतिहास – Mattancherry Palace History
इस महल का निर्माण पुर्तगालियो ने करवाया और भेट स्वरुप कोच्ची के राजा को दिया। इसके बाद 1663 में डच ने महल में कुछ सुधार और बदलाव भी किए और इसके बाद से इस महल को डच पैलेस के नाम से जाना जाने लगा।
कोच्ची के राजाओ ने भी महल में बहुत से सुधार किए। आज यह कोच्ची के राजाओ और भारत के बेहतरीन पौराणिक भित्ति चित्रों की चित्र गैलरी है। पुर्तगालियो ने जब कोच्ची के मंदिर को लूटा, तब बाद में राजा को मनाने के उद्देश्य से उन्होंने यह महल राजा को भेट स्वरुप दिया था।
1948 में कप्पड़ में वास्को दी गामा का स्वागत कोच्ची के शासको ने किया था। उन्हें फैक्ट्री बनाने का विशेष अधिकार भी दिया गया। इसके बाद पुर्तगालियो ने पुनः ज़मोरियन के आक्रमणों को खदेड़ना शुरू किया और कोच्ची के राजा इसके बाद वास्तविक रूप से पुर्तगालियो के जागीरदार बन चुके थे।
कुछ समय बाद पुर्तगालियो का स्थान डच ने ले लिया और 1663 में उन्होंने मत्तनचेरी पर भी कब्ज़ा कर लिया। परिणामस्वरूप हैदर अली ने जगह पर कब्ज़ा कर लिया और बाद में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने महल पर अपना कब्ज़ा जमा लिया।
मत्तनचेरी पैलेस की संरचना – Mattancherry Palace Architecture
यह महल चतुर्भुज संरचना में नालुकेट्टू स्टाइल में बना हुआ है, जो केरला की पारंपरिक आर्किटेक्चर स्टाइल है और साथ ही महल के बीच में एक आँगन भी बनाया गया है। महल के आँगन में “पज्हयांनुर भगवती” को समर्पित एक मंदिर भी है, जो कोच्ची के शाही परिवारों की रक्षात्मक देवी है।
साथ ही महल के दोनों तरह दो मंदिर है, जिनमे से एक भगवान कृष्णा और दूसरा भगवान शिव को समर्पित है। महल के कुछ भाग को यूरोपियन प्रभाव के आधार पर बनाया गया है। महल का डाइनिंग हॉल की दीवारों पर लकड़ी की नक्काशियाँ की गयी है और पीतल के कप से अलंकृत भी किया गया है।
कोच्ची के राजा के 1864 के बाद के चित्रों को भी राज्याभिषेक हॉल में प्रदर्शित किया गया है। इन चित्रों को स्थानिक कलाकारों ने पश्चिमी स्टाइल में बनाया है। हॉल की छत को लकड़ी की नक्काशियो से अलंकृत किया गया है।
महल की दूसरी प्रदर्शनीयो में हांथी के दाँत, हौद, शाही छत्री, राजसियो द्वारा उपयोग किये गये शाही वस्त्र, सिक्के, स्टेम्प और कलाकृतियाँ शामिल है।
1951 में मत्तनचेरी महल की मरम्मत की गयी और इसे केंद्रीय संरक्षित स्मारक घोषित किया गया। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया ने पहले से ही दूसरी बार महल की मरम्मत करवा रखी है। मरम्मत के दौरान महल में बहुत सी एतिहासिक वस्तुओ को पुनर्स्थापित किया गया और महल से जुड़े पौराणिक तथ्यों को पुनः प्रदर्शित किया गया।
यह महल किसी मास्टरपीस से कम नही, जहाँ हमें कोलोनियल और केरला के आर्किटेक्चर का अद्भुत उदाहरण देखने मिलता है। 2007 में शुरू हुआ मरम्मत का कार्य 2009 में जाकर पूरा हुआ।
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