योग में वर्णित उत्तानपादासन का अभ्यास पेट की समस्याओं के लिए विशेष लाभकारी है। इस आसन का अभ्यास करते समय, पैरों को ऊपर उठाया जाता है ,जो पेट और पेट के आतंरिक अंगों पर प्रभाव डालता है। कुछ लोग इस आसन का अभ्यास एब्स बनाने के लिए भी करते है। अगर आप घर पर ही एक्सरसाइज करते है ,तो इस आसन के नियमित अभ्यास से आप आसानी से एब्स बना सकते है। इस आसन का अभ्यास शरीर में एक खिंचाव पैदा करता है, जो मांसपेशियों की ताकद को बढ़ाता है।
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Uttanpadasana Yoga | उत्तानपादासन योग
- उत्तानपादासन का अभ्यास करने के लिए जमीन पर चटाई बिछाकर पीठ के बल सीधे लेट जाए।
- दोनों हाथों को अपनी बगल में फर्श से सटाकर रखे।
- दोनों पैरों को एक साथ जोड़ दे। धीरे धीरे श्वास लेते हुए ,दोनों पैरों को एकसाथ ऊपर की और उठाये। आसानी के लिए वजन को अपने दोनों हथेलियों में बाट दे ,और हथेलियों पर दबाव डाले।
- दोनों पैरों को 50 से 60 डिग्री तक ही ऊपर उठाये। अपने पेट के खिंचाव को महसूस करे ,और जीतनी देर रुक सकते है ,उतनी देर रुकने का प्रयास करे।
- श्वास को बाहर छोड़ते हुए पैरों को निचे लाये और पुनः अपनी सामान्य अवस्था में आ जाए। इसी क्रिया को ५ से ६ बार करे।
Health Benefits Of Uttanpadasana | उत्तानपादासन के स्वास्थ लाभ
- उत्तानपादासन के अभ्यास से नाभि पर एक खिचाव बनता है ,जो नाभि से जुडी धमनियों को स्वच्छ करने में सहायता करता है।
- ये जठराग्नि को प्रज्वलित कर अनावश्यक चर्बी को गला देता है ,जिससे वजन काम करने में सहायता मिलती है।
- पेट की आंतरिक मांसपेशियों की मालिश कर उन्हें मजबूत बनाता है।
- अम्लता ,भूक न लगना ,मंदाग्नि ,कब्ज ,वायुविकार ,गठिया ,हृदयरोगों में सहायक है।
- मोटापे को दूर कर पेट को टोन करता है।
- इस आसन के नियमित अभ्यास से पीठ ,जाँघे ,कूल्हे की मांसपेशिया मजबूत बनती है।
- यह मधुमेह रोगियों के लिए उपयुक्त आसन है।
- कूल्हों और जाँघों की मांसपेशियों को खोलने में मदद करता है।
- प्रजनन प्रणाली और मूत्र प्रणाली के दोषों से आराम दिलाता है।
- श्वसन विकार ,दमा ,खांसी ,अस्थमा ,को दूर करता है।
Uttanpadasana Precautions | उत्तानपादासन में सावधानी
- निम्नलिखित समस्याओं से ग्रसित होने पर इस आसन का अभ्यास ना करे।
- उच्च रक्तचाप की समस्या होनेपर इस आसन का अभ्यास ना करे
- पेट की सर्जरी या पेट संबंधित किसी गंभीर बिमारी से पीड़ित होनेपर भी इसे ना करने की सलाह दी जाती है।
- स्लिप डिस्क से ग्रसित होनेपर भी इस आसन से बचना चाहिए।
- ये आसन गर्भवती स्त्रियों के लिए नहीं है।
- स्त्रियों को मासिक धर्म (माहवारी) के समय इसका अभ्यास करने से बचना चाहिए।
Things You Need To Know | ध्यान रखने योग्य बातें
- बाकी योगासनों की तरह ही उत्तानपादासन का अभ्यास करने से पहले आपका पेट खाली होना आवश्यक है।
- इसलिए सुबह सूर्योदय के समय इस आसन का अभ्यास करना उपयुक्त रहता है।
- पर अगर आप शाम के समय भी इस आसन का अभ्यास करना चाहते है ,तो अभ्यास और भोजन में कम से कम ५ से ६ घंटे का अंतर् रखे।
"Uttanpadasana Yoga" ४ से ५ दिनों के नियमित अभ्यास से ही सरल लगने लगता है। शुरुवात में आप पैरों को ऊपर उठाते समय दीवार या अपने किसी साथी का सहारा ले सकते है। इससे जल्द ही आप उत्तानपादासन में आप महारथ हासिल कर पाएंगे।
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