ये कहानी है सम्राट और उनके मंत्री की एक दिन सम्राट अशोक घुमने निकले रस्ते मै उन्हें एक साधू दिखे बो अपने रथ से उतरे और और साधू को सर झुका के उनका आदर किया पास ही मै खड़ा मंत्री पूरी घटना को अच्छी तरह देख रहा था साधू के जाने के बाद मंत्री बोलता है की महाराज आप को एसा नहीं करना चाहिए था कहा आप और कहा तो साधू आप को उनके सामने सर नहीं झुकाना चाहिए था
उस समय सम्राट अशोक ने उस से कुछ नहीं कहा अगले दिन सम्राट ने उन्हें एक थैला (बैग) देते हुए मंत्री को देते हुए बोला की मंत्री आप इसे लेकर जाओ और हम ने इस मै जो सामग्री रखी है उसे आज शाम तक बेच कर आओ
सम्राट अशोक और मंत्री-best hindi motivational story
मंत्री महल से बहार निकला और उस थैले को खोलकर देखने लगा उस ने उसमे चार सर देखे घोड़े का व बकरे का सर था और उसमे एक भैसे का और एक इंशान का सर था शाम होते होते उसने तीन सर तो बेच दिया लेकिन अभी भी इंशान का सर बाकि था कोई उसे खरी दने को राजी नहीं था
बोलने लगे की अगर ये सर हम ने ख़रीदा तो हमारे उपर हत्या का मुकदमा हो जाये गा और लोग तरह तरह की बात करने लगे मंत्री को समझ मै आ गया था की ये सर किसी कम का नहीं है ये घमंड किसी कम का नहीं है अब मंत्री सोच मै पड गया की महल वापस जा नहीं सकता महाराज ने बोला है की खाली थैला लेकर आना
सम्राट अशोक और मंत्री-best hindi motivational story
अंत मै मंत्री ने फसला किया की जो होगा देखा जायेगा और महाराज के पास पंहुचा और बोला महाराज मुझे माफ़ करे मै जान चूका हु की ये सर किसी कम का नहीं है ये घमंड किसी कम का नहीं है
वे वजह का घमंड अपने अन्दर मत पालिए सभी के साथ प्यार से रहिये
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