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अप्रैल फूल डे की शुरूआत कैसे हुई?

 अप्रैल फूल डे की शुरूआत कैसे हुई? *

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 ```आज अप्रैल फूल दिवस है, इसलिए आप संभवतः अपने मित्रों, सहकर्मियों को अपनी ओर खींचने के लिए अधिक दिमागी ताकत का इस्तेमाल कर रहे होंगे। अप्रैल फूल को मूर्ख दिवस भी कहा जाता है। इस दिन लोग अपने मित्रों और सगे-सम्बन्धियों को मूर्ख बनाकर खुश होते हैं।


अप्रैल फूल डे केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मनाया जाता है। कुछ देशों में 1 अप्रैल को छुट्टी होती है। लेकिन भारत सहित कुछ देशों में अप्रैल फूल के दिन कोई छुट्टी नहीं होती है। इस दिन में हर तरह का मजाक करने की छूट होती है और जिनके साथ मजाक होता है वह बुरा भी नहीं मानते हैं।

वर्ष के चौथे महीने के पहले दिन को हमारे बीच अधिक आनंद लेने का अवसर कैसे मिला? इसका उत्तर वास्तव में कोई नहीं जानता है। अप्रैल फूल दिवस का सम्भवतः पहला उल्लेख 18 वीं शताब्दी में हुआ। 1708 में ब्रिटिश अपोलो पत्रिका में एक संवाददाता ने लिखा- यह प्रथा यूरोप के कुछ हिस्सों में पहले से ही अच्छी तरह से स्थापित थी। वहां के लोग इसकी उत्पत्ति को लंबे समय से खोए हुए इतिहास के रूप में मानते थे।

मूर्ख दिवस मनाए जाने को लेकर कई रोचक अवधारणाएं प्रचलित हैं।

इनमें सबसे अधिक प्रचलित अवधारणा के मुताबिक प्राचीनकाल में रोमन लोग अप्रैल में अपने नए वर्ष की शुरुआत करते थे, तो वहीं मध्यकालीन यूरोप में 25 मार्च को नववर्ष के उपलक्ष्य में एक उत्सव भी मनाया जाता था। लेकिन 1852 में पोप ग्रेगरी अष्ठम ने ग्रेगेरियन कैलेंडर (वर्तमान में मान्य कैलेंडर) की घोषणा की, जिसके आधार पर जनवरी से नए वर्ष की शुरुआत की गई। फ्रांस द्वारा इस कैलेंडर को सबसे पहले स्वीकार किया गया था।

जनश्रुति के आधार पर यूरोप के कई लोगों ने जहां इस कैलेंडर को स्वीकार नहीं किया था तो वहीं कई लोगों को इसके बारे में जानकारी ही नहीं थी। जिसके चलते नए कैलेंडर के आधार पर नववर्ष मनाने वाले लोग पुराने तरीके से अप्रैल में नववर्ष मनाने वाले लोगों को मूर्ख मनाने लगे और तभी से अप्रैल फूल या मूर्ख दिवस का प्रचलन बढ़ता चला गया।

लेकिन यह स्पष्ट है कि वसंत में चालें खेलना और प्रैंक खींचना एक बहुत समृद्ध इतिहास है जितना आप इस तरह की मूर्खतापूर्ण काम के लिए उम्मीद कर सकते हैं।



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