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परवरिश: क्या करूँ? मेरा बच्चा तो कुछ खाता ही नहीं!


"मेरा बच्चा तो कुछ खाता ही नहीं, मैंने उस के पसंद की हर चीज बना कर देख ली!" 
"बच्चा जब जो चीज बोलता है मैं बना कर देती हूं!" 
"मेरा हर दिन का सबसे बड़ा टास्क होता है बच्चे को खाना खिलाना!" 

ऐसे वाक्य छोटे बच्चे की माताओं से हम हरदम सुनते है। दुनिया के ज्यादातर माता-पिता की सबसे बड़ी समस्या भी यहीं है। क्या आप भी बच्चे की खाना न खाने की समस्या से परेशान है? यदि हां, तो आइए जानते है इस कठिनतम सवाल का सरलतम जवाब... 

चांदी की चम्मच, सोने की थाल- 
शायद आप सोच रहे होंगे कि चांदी की चम्मच, सोने की थाल का और बच्चे के खाना न खाने का क्या संबंध है? बिल्कुल है। क्या आपने कभी गरीब माँ-बाप के बच्चे को खाना खाने के लिए नखरे करते हुए या गरीब माँ को बच्चे को खाना खिलाने के लिए उसके पीछे-पीछे भागते हुए देखा है? नहीं न! जब हर चीज बिना मांगे मिल जाएगी, ऊपर से माँ बच्चे की मनुहार करने हर समय तैयार रहेगी, तो बच्चा खाना खाने के लिए नखरे तो करेगा ही न। कल्पना कीजिए कि यदि कोई रात-दिन आप पर खाना खाने के लिए दबाव बनाये...आपका मन नहीं हो तो भी डांट कर खिलाए...जबरदस्ती आपके मुंह में ठूंस दे...तो आपको कैसा लगेगा? क्या आपको खाने से नफरत सी नहीं होगी? इसलिए खाने के लिए बच्चे पर अनावश्यक दबाव न डाले। बच्चे को भूख लगे इसलिए उस से मेहनत कराये मतलब उसे भागदौड़ करने दे और खेलने दे। भूख लगेगी तो बच्चा अपने आप खा लेगा। 

बच्चा जब और जो बोले वो ही बना कर न दे- 
बच्चे ने खाना अच्छे से खाना चाहिए यह सोच कर बच्चा जब और जो बोलेगा वो बना कर न दे। जैसे यदि आज आप ने नाश्ते में पोहा बनाया है और बच्चा ऐन नाश्ते के वक्त बोल रहा है कि उसे पोहा नहीं उपमा खाना है तो उसे प्यार से समझाइए कि एक ही वक्त में अलग-अलग तरह का नाश्ता बनाना मुमकिन नहीं होता। नाश्ता बनाने में मेहनत और वक्त दोनों लगता है। तुम्हें अभी उपमा खाना है। दादी माँ को पकौड़े और तुम्हारी दीदी को ढोकला! अब बताओ क्या एक ही वक्त इतनी सारी चीजें बन सकती है? नहीं न। मैं कल तुम्हारे लिए उपमा जरूर बनाऊंगी, आज तुम पोहा खा लो। दूसरे दिन बिना भूले उसके लिए उपमा जरूर बनाये। इससे यह बात उसकी समझ में आ जाएगी कि मम्मी एक समय में बहुत सारी चीजें नहीं बना सकती तो वो जो बना है वह खाना सीख जाएगा। हां, जब बच्चा पहले से अपनी पसंद बता दे और बनाना संभव है तो वो चीज बना कर जरूर दीजिए। 

बच्चे को फास्ट फूड कम दे- 
बड़े बच्चे बाहर फास्ट फूड खा लेते है या खाना खाने के थोड़ी सी देर पहले ही कुछ स्नैक्स खा लेते है जिससे उनकी भूख कम हो जाती है। इसलिए खाना खाने के कम से कम आधी घंटा पहले बच्चे को कुछ खाने के लिए न दे। आप कहोगे कि यदि बच्चे ने मांगा है और हम नहीं देंगे तो वो गुस्सा होकर खाना भी नहीं खाएगा। मैं आपसे पूछना चाहती हूं कि यदि कल को आपका बच्चा कहेगा कि वो गंदा पानी पीना चाहता है तो क्या आप उसे गंदा पानी पीने दोगे? नहीं न। यदि आप बच्चे को गंदा पानी पीने से रोक सकते हो तो आप बच्चे को फास्ट फूड खाने से भी रोक सकते हो। घर पर बच्चे को पोषक तत्वों के साथ फास्ट फूड बना कर दे सकते है। जैसे कि पिज्जा बेस की जगह रोटी या ब्राउन ब्रेड का उपयोग करके उस में ज्यादा मात्रा में सब्जियां डाल सकते है। 

थोड़ा सा अपना प्यार कम कर दे- 
बच्चा फास्ट फूड खाना पसंद करता है इसलिए उसे वो ही खाने न दे। आपका ज्यादा प्यार उसे बीमारियां, मोटापा और डायबिटीज दे सकता है। बच्चे से प्यार करना मतलब उसकी हर मांग पूरी करना नहीं होता। सही-गलत या अच्छा-बुरा क्या है ये बच्चे को समझाने की जिम्मेदारी आपकी है। मेरी बहन का बेटा 5-6 साल का ही था जब मेरी बहन की मौत हो गई थी। वो मिर्ची बिल्कुल भी नहीं खाता था। मेरी बहन उसके लिए हर चीज बिना मिर्ची की बनाती थी। बहन की मौत के लगभग दो महीने बाद जब वो मेरे यहां आया तो मैं उसके लिए बिना मिर्च की सब्जी निकालने लगी तब उसने मुझसे जो कहा वो आज भी कई बार ऐसे के ऐसे मेरे दिमाग में गूंजता है! उसने कहा था,''मावसी जी, अब मैं तो सिर्फ़ अचार के साथ भी रोटी खा लेता हूं!" सोचिए, जो बच्चा कल तक मिर्च को हाथ भी नहीं लगाता था वो दो ही महीने में अचार भी खाने लगा! क्यों? क्योंकि उसके नखरे सहन करने वाली उसकी माँ अब इस दुनिया में नहीं थी!! ये बात अच्छे से समझ लीजिए कि बच्चा नखरे इसलिए करता है क्योंकि उसके नखरे सहन करने वाला कोई रहता है! मेरा कहने का तात्पर्य यह कदापि नहीं है कि हमें बच्चे की पसंद नापसंद का ख्याल नहीं रखना चाहिए। यदि माता-पिता ही बच्चे की पसंद का ख्याल नहीं रखेंगे तो कौन रखेगा? लेकिन अति लाड़-प्यार बच्चे के लिए नुकसानदायक होता है यह बात हमें समझनी होगी। 

मेरा बच्चा तो कुछ खाता ही नहीं ऐसा प्रचार न करें- 
मैं ने कई पैरेंट्स को देखा है कि वे हर किसी से अपने बच्चे के सामने ही कहते है कि मेरा बच्चा तो कुछ खाता ही नहीं। अपनी माँ से यह बात सुनकर बच्चे के अवचेतन मन में यह बात बैठ जाती है कि मैं बराबर खाना नहीं खाता। मैं ऐसा ही हूं। आगे से खाना खाने के लिए वो और ज्यादा नखरे दिखाने लगता है। लेकिन यदि आप बच्चे के सामने किसी से भी ये कहेंगे कि अब मेरा बच्चा अमुक चीज खाना सीख रहा है...वो खाना खाते वक्त ज्यादा नखरे नहीं करता...तो उसके अवचेतन मन में यह बात बैठ जाएगी कि मैं खाना खाना सीख रहा हूं। और सचमुच वो अच्छे से खाना खाना सीखने लगेगा। 

परिवार के साथ भोजन करें- 
आप जब भी खाना खाये बच्चे की थाली अलग से परोस ले। बच्चे को साथ में खाना खाने कहे। अपने परिवार को, माता-पिता को खाना खाते देख कर उनके व्यवहार की नकल करके बच्चा भी खाना खाने के लिए प्रेरित होगा। 

थाली में भोजन की मात्रा कम रखें- 
जब भी बच्चे के लिए थाली में भोजन परोसे तो उसकी मात्रा कम रखें। ज्यादा मात्रा में भोजन देखकर बच्चे की खाना खाने की इच्छा ही खत्म हो जाती है। जब बच्चा कम मात्रा में भोजन देखता है तो उसे लगता है कि उसे तो बस इतना सा ही खाना खाना है और ऐसा सोचकर वो खाना खाने के लिए प्रेरित होता है। बाद में प्रेम से आप उसे थोड़ा सा खाना और दे सकती है। 

विभिन्नता रखें- 
बच्चे जल्दी ही किसी भी एक चीज से बोर हो जाते है। यहीं बात उनके खाने पर भी लागू होती है। इसलिए बच्चों को अलग-अलग तरह की और अलग-अलग रंगों की चीजे खाने के लिए दे। ऐसा करने से बच्चों की खाने में रुची बढ़ेगी। 

जबरदस्ती न करें- 
बच्चों की खाना न खाने की समस्या से परेशान होकर अक्सर माताएं उन्हें जबरदस्ती खिलाने की कोशिश करती है। लेकिन इससे बच्चे की खाना खाने में दिलचस्पी ही एकदम कम हो जाती है और वो खाने के नाम से मुंह बनाने लगते है। 

खाना लेकर बच्चे के पीछे-पीछे न भागे- 
खाना लेकर बच्चे के पीछे-पीछे न भागे क्योंकि चलते हुए या दौड़ते हुए खाना खाना बच्चे की सेहत के लिए नुकसानदायक रहता है। और इससे बच्चे को एहसास होता है कि उनके खाना न खाने से आप प्रभावित होते है। इससे उनका इगो सैटिजफाइड होता है। सोचिए, यदि आपको खाना खिलाने के लिए कोई आपकी मान मनुहार करेगा तो आपको अंदर ही अंदर कितनी खुशी का एहसास होगा? आपके अहंकार को संतुष्टि मिलेगी। यहीं बच्चे के साथ भी होता है। उसे एहसास होता है कि वो खास है उसकी खुशामद करना मम्मी का काम है! ऐसी सोच के कारण वो आपको ज्यादा तंग करेगा। इसलिए खाना लेकर बच्चे के पीछे-पीछे न भागे। उसे एक जगह बैठ कर खिलाए। 

मोबाइल या टीवी दिखा कर खाना न खिलाए
कुछ अभिभावक बच्चा खाना जल्दी खा ले इसलिए उनको मोबाइल का लालच देते है। लेकिन इस तरह से बच्चों को मोबाइल की आदत पड़ जाती है। मोबाइल का लालच न दें बल्कि उन्हें समझाएं कि होमवर्क करना, खाना खाना उनके लिए ही बेहतर है। खुद भी बच्चे के सामने बैठकर खाना खाएं और उस समय फोन न चलाएं। उसके सामने किताब पढ़ें, इससे बच्चे को भी पता चलेगा कि ये सब खुद करना जरूरी है और ये सब करने के दौरान फोन की बात ही नहीं आएगी। 

बच्चे की तारीफ़ करें- 
यदि बच्चा समय से और पूरा खाना खत्म करता है तो बच्चे की तारीफ़ अवश्य करें। इससे वो पूरा खाना खाने के लिए प्रेरित होगा। लेकिन पूरा खाना खाने के लिए उसे किसी तरह का कोई लालच न दे। 

यदि इन उपायों के बावजूद आपका बच्चा कुछ नहीं खाता है तो किसी बालरोग विशेषज्ञ की सलाह लीजिए। हो सकता है कि बच्चे के शरीर में कुछ पोषक तत्वों की जैसे आयरन आदि की कमी हो सकती है जिसके कारण बच्चा खाना न खा रहा हो। 

सुचना-
दोस्तों, यह मेरी 700 वी पोस्ट है। आशा है कि आप लोगों का प्यार और स्नेह इसी तरह मुझे मिलता रहेगा...

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