दोस्तों,आज मैं एक ऐसे विषय पर...सेनेटरी पैड और मेंस्ट्रुअल कप पर बात करना चाहती हूं जिस पर सहसा कोई बात नहीं करता है। क्योंकि ये विषय सिर्फ़ महिलाओं की सेहत से जुड़ा हुआ नहीं है तो ये संपुर्ण मानव जाती, संपुर्ण प्राणि जगत और पूरी धरती से जुड़ा है। आप कहेंगे कि माहवारी तो महिलाओं को ही आती है तो फ़िर सेनेटरी पैड या मैंस्ट्रुअल कप का संपुर्ण मानव जाती या धरती से क्या संबंध है? बहुत गहरा संबंध है दोस्तो! क्योंकि धरती पर हर एक चीज दूसरे चीज से जुड़ी हुई होती है। वास्तव में हम अपने दैनंदिन जीवन में इतने व्यस्त है कि इस ओर हमारा ख्याल ही नहीं जाता! क्या आपने कभी सोचा है कि जो पैड आप कूड़े में फेंक देते है उनका क्या होता है? जब ये पैड कूड़े के साथ जलाये जाते है तो वायु प्रदूषण होता है। जब ये पैड जमीन में गाड़ दिए जाते है तो इनको डिकम्पोज होने में 500-800 साल लगते है क्योंकि इनमें प्लास्टिक भी होता है और इससे जमीन में के पानी का स्त्रोत भी दूषित होता है। कई बार पैड सीवर सिस्टम को भी ब्लॉक कर देते है! अब आपके ख्याल में आ गया न कि महावारी के पैड का संबंध सिर्फ महिलाओं से संबंधित न होकर वो पूरी धरती से संबंधित है!!
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आज हमारे देश में ज्यादातर महिलाएं सेनेटरी पैड का ही इस्तेमाल करती है। 90% महिलाओं को तो मेंस्ट्रुअल कप के बारे में जानकारी तक नहीं है! विशेषज्ञों के अनुसार आज तक महिलाओं की बेहतरी के लिए जितने भी उत्पाद बने है उनमें मेंस्ट्रुअल कप सबसे बेहतर उत्पाद है। एक महिला को अपने जीवनकाल में लगभग 35 साल तक माहवारी आती है। एक महीने का सिर्फ 100 रुपये खर्चा पकड़े तो बारा महीने के 1200 रुपये और 35 साल के 42,000 रूपये खर्चा होता है। इस तरह एक महिला सेनेटरी पैड पर कम से कम 42000-60000 रुपए खर्च करती है और पैड से कम से कम 150 किलो कचरा निर्मित होता है! इतना खर्चीला और कचरा निर्मित करने वाला होने के बावजूद भी आज महिलाओं की पहली पसंद पैड ही क्यों है? इसका कारण है जागरूकता का अभाव! महिलाओं को लगता है कि सेनेटरी पैड उनकी सेहत के लिए पूरी तरह सुरक्षित है। लेकिन वास्तविकता इसके बिल्कुल उलट है!!
मेंस्ट्रुअल कप क्या है? (What is a menstrual cup?)
मेंस्ट्रुअल कप मेडिकल ग्रेड सिलिकॉन या लेटेक्स से निर्मित कप के आकार का एक उपकरण है जिसका इस्तेमाल पीरियड्स के दौरान किया जाता है। इसे योनि में लगाया जाता है जिससे माहवारी के दौरान निकलने वाले खून को इस कप में इकट्ठा किया जा सके। ये योनि के दिवार से सील बना कर खून को इकट्ठा करता है। बच्चों की निप्पल में सिलिकॉन लगा होता है। जिस तरह निप्पल बच्चे के मुँह में जाने के बाद भी बच्चे को कोई नुकसान नहीं होता ठीक उसी तरह ये कप सिलिकॉन का बना होने से महिलाओं को भी कोई नुकसान नहीं होता।
माहवारी में सेनेटरी पैड की तुलना में मेंस्ट्रुअल कप बेहतर क्यों है?
• क्या आप जानते है कि सेनेटरी पैड में कितने तरह के केमिकल्स और प्लास्टिक्स है? ऐसे पैड जिनमें लंबे समय तक सोखने की क्षमता रहती है, उनमें डाइऑक्सिन का उपयोग किया जाता है। डाइऑक्सिन के कारण पैल्विक सूजन की बीमारी, प्रतिरक्षा प्रणाली की क्षति, प्रजनन क्षमता की कमी और सर्वाइकल कैंसर या ओवेरियन कैंसर भी हो सकता है। जबकि मेंस्ट्रुअल कप केमिकल फ्री होने से उनसे महिलाओं की सेहत को कोई नुकसान नहीं होता है।
• पैड की वजह से रैशेज और खुजली होती है जबकि मेंस्ट्रुअल कप से रैशेज और खुजली नहीं होती।
• एक पैड का उपयोग सिर्फ एक ही बार किया जाता है जबकि एक मेंस्ट्रुअल कप का उपयोग 10 साल तक कर सकते है। जिससे बहुत सारा पैसा बचाया जा सकता है।
• पीरियड्स में निकलने वाला ब्लड हवा के संपर्क में आने से बदबू पैदा करता है। मेंस्ट्रुअल कप बाहर निकलने से पहले ही ब्लड को अपने अंदर ले लेता है, जिसकी वजह से किसी तरह की महक या बदबू बाहर नहीं आ पाती।
• जो महिलाएं बहुत एक्टिव है जैसे कि एथलीट या तैराक आदि है उनके लिए पैड सुविधाजनक नहीं है। कप सभी महिलाओं के लिए सुविधाजनक है। ओलम्पिक खेलों में महिला तैराक माहवारी के समय कप का ही इस्तेमाल करती है।
• एक मेंस्ट्रुअल कप एक बार में 30 एमएल तक की कैपेसिटी रखता है। जबकि औसतन एक महिला को पूरी पीरियड साइकिल में टोटल 30 से 40 एमएल तक का प्रवाह ही आता है। इसलिए कप का ओवरफ्लो होने का डर नहीं रहता।
• शादी-ब्याह या अन्य समारोह में जाने पर पैड कहां फेंके इस बात का टेंशन नहीं रहता।
मतलब मेंस्ट्रुअल कप इको फ्रेंडली होने के साथ साथ महिलाओं की सेहत के दृष्टिकोण से भी बहुत ही बेहतर है।
मेंस्ट्रुअल कप के साइज का चुनाव कैसे करे?
ये कप तीन साइज में आते है। छोटा, मध्यम और बड़ा। छोटा साइज उन लड़कियों के लिए है जिनके अभी अभी पीरियड्स आना शुरू हुए है। मध्यम साइज उन महिलाओं के लिए है जिन्हें अभी बच्चे नहीं हुये है और बड़ा साइज का कप उन महिलाओं के लिए है जिन्हें बच्चे हो गए है। साइज के अलावा मेंस्ट्रुअल कप दो तरह के होते है सॉफ्ट और हार्ड। जो महिलाएं ज्यादा एक्टिव है मतलब एथलीट या तैराक आदि है उनके लिए हार्ड कप और साधारण महिलाओं के लिए सॉफ्ट कप अच्छा रहेगा।
मेंस्ट्रुअल कप का इस्तेमाल कैसे करे?
• सबसे पहले अपने हाथों को साबुन से धोकर साफ़ कर लीजिए। ताकि हाथों से किसी तरह का संक्रमण न हो।
• अपने आप को एकदम रिलैक्स करें।
• अपने हाथों को अच्छी तरह से धोने के बाद, फिर कप को फोल्ड करके आधा कर लें। या फिर C या U शेप में रिम ऊपर की तरफ करके पकड़ें। आप कप को punch down या 7 के शेप में भी फोल्ड कर सकते है। अब उकडू बैठकर कप को वेजाइना में रीढ़ की हड्डी की दिशा में डाले। बाद में उंगलियां बाहर निकाले। अंदर जाते ही कप खूल जायेगा। यदि आपको महसूस होता है कि कप नहीं खुला है तो कप को उंगली से धक्का देकर खोल लीजिए।
• कप को डालने के बाद, इसे थोड़ा घुमाएं ताकि कप वेजाइना के अंदर एक एयरटाइट सील बना लें। यह रिसाव को रोकता है। सही तरीके से फिट होने के बाद इससे लीकेज का डर नहीं रहता है।
• शुरुआत में इसे योनि के अंदर फिट करने में थोड़ी समस्या आ सकती है, लेकिन एक बार इस्तेमाल करने के बाद अगली बार से यह प्रक्रिया एकदम आसान लगने लगती है।
• अपने फ्लो के आधार पर आप मेंस्ट्रुअल कप 6 से 12 घंटे तक पहन सकते हैं। लेकिन 12 घंटे के बाद एक बार आपको कप निकालना चाहिए। क्योंकि ज्यादा भर जाने की स्थिति में इसके लीक होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
• कप को निकालने के लिए अपने हाथ धोएं। अपनी तर्जनी उंगली और अंगुठे को वेजाइना के अंदर डाले और कप को नीचे की तरफ़ से पकड़कर थोड़ा सा दबाये। ऐसा करने से कप की सील खूल जायेगी। धीरे से कप को बाहर निकालकर उसे टॉयलेट में खाली करके अच्छी तरह पानी से धो लीजिए। कप को कभी भी स्टेम को पकड़ कर बाहर न निकाले। यदि आपको अंदर कप की स्टेम नहीं मिल रही है तो थोड़ा सा प्रेशर लगाये। प्रेशर लगाने से स्टेम नीचे आ जायेगी। इसी कप का आप दोबारा ही नहीं तो दस साल तक उपयोग कर सकती है।
• मेंस्ट्रुअल कप लगाने की कोशिश उन्हीं दिनों में करे जब आपके पीरियड्स चल रहे हो।
• हो सकता है पहले या दूसरे पीरियड्स में आपको कप को इंसर्ट करने में परेशानी महसूस हो लेकिन प्रैक्टिस से ये संभव हो जाता है। एक बार आपको इंसर्ट करना आ गया कि आपको खुद को ही ये बहुत सुविधाजनक महसूस होगा।
• पहली बार कप का उपयोग करने से पहले कप को स्टेरलाइज करना जरूरी है। इसके लिए एक बर्तन में उबलता पानी लेकर उसमें कप को डुबोकर रखे। एक पीरियड खत्म होने पर कप को अच्छे से धो पोंछकर कप के साथ जो ज्युट की बैग आती है उसमें रख दीजिए। यह बर्तन उठाकर अलग रख दीजिए। यहीं बर्तन आप हर मासिक धर्म के समय उपयोग में ला सकती है। मतलब आप पानी किसी दूसरे बर्तन में उबाल कर इस बर्तन में डाल लें।
• पेशाब करने के लिए मेंस्ट्रुअल कप को निकालने की जरूरत नहीं है।
दोस्तों, मैं चाहती हूं कि इस अनोखे उत्पाद के बारे में सभी महिलाओं को जानकारी हो। ताकि इससे हम हमारे क्षेत्र को प्लास्टिक फ्री कर सके। और सभी महिलाएं स्वस्थ्य रहे। "No rash no trash'' मतलब कप का उपयोग करने से न ही महिलाओं को रैशेज की परेशानी होगी और न ही धरती पर कचरे का ढेर लगेगा।
यदि मेरा यह लेख पढ़ कर सिर्फ़ एक महिला ने भी कप का उपयोग करना शूरू किया तो उसे यह इतना अच्छा लगेगा कि वो दूसरे दस लोगों को बतायेगी। ये दस लोग और दस-दस लोगों को बतायेंगे और इस तरह हम महिलाओं की जिंदगी सरल बनेगी...महिलाओं को रैशेज और खुजली नहीं होगी...महिलाएं स्वस्थ्य रहेगी...हमारी धरती माँ को कचरे से आजादी मिलेगी!!
सूचना-
आज भी छोटे शहरों में दवाई की दुकान में ये कप नहीं मिलते है। आप इसे ऑनलाइन मंगा सकते है। ये 450 से 600 रुपए तक अच्छी क़्वालिटी के मिल जाते है। मतलब दस साल के लिए आपका पीरियड्स पर खर्चा सिर्फ़ 600 रुपए ही होगा। Stonesoup, Boondh Rutu cup and Nari yaari ये उन कंपनियों के नाम है जिन से आप अच्छी क्वॉलिटी के कप मंगा सकते है।
निवेदन-
यदि आप मेंस्ट्रुअल कप का उपयोग नहीं करना चाहती है तो कम से कम पर्यावरण की सुरक्षा हेतु या सबसे अहम खुद के स्वास्थ्य हेतु सेनेटरी पैड का इस्तेमाल न करके ऑर्गेनिक क्लॉथ पैड का उपयोग करिये। ये पैड रुई और जूट या बांस से बने होते हैं। उपयोग किए गए पैड को धोकर फ़िर से इस्तेमाल किया जा सकता हैं। ये पैड पर्यावरण और आपके स्वास्थ्य को नुकसान नहीं पहुंचाते।
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