Get Even More Visitors To Your Blog, Upgrade To A Business Listing >>

लघुकथा- बेबस और निरीह जानवर


"कल 
तुम लोग सब बेबस और निरीह जानवर का चित्र बना कर लाना।" पांचवी कक्षा के ड्राइंग के अध्यापक ने अपने छात्रों से कहा। 

दूसरे दिन सभी बच्चे अपनी अपनी कल्पना नुसार चित्र बना कर लाये। एक बच्चे ने मुर्गे का चित्र बनाया था जिसे कोई काट रहा था, तो एक ने चूहे का चित्र बनाया था जिस पर बिल्ली झपटने ही वाली थी। मोहन, जो कक्षा में हमेशा प्रथम आता था उसका चित्र देख कर अध्यापक उस पर आगबबूला हो गए। 

"मोहन, ये तुमने कैसा चित्र बनाया? मैं ने बेबस और निरीह जानवर का चित्र बनाने कहा था। क्या तुम्हें इंसान और जानवर का भेद भी नहीं मालूम?" 

वास्तव में मोहन ने एक बुजुर्ग महिला का चित्र बनाया था। 
"मैं ने वो ही तो बनाया है!" मोहन ने गर्दन नीची कर धीरे से कहा। 

"क्या मतलब है तुम्हारा?" 

"सर, ये मेरी दादी माँ का चित्र है। मेरे दादाजी के देहांत के बाद मेरे मम्मी-पापा ने उन्हें दाने दाने को मोहताज कर दिया है। मैं ने इसके पहले किसी को भी इतना बेबस और निरीह नहीं देखा। इसलिए..." 

Keywords: short story in hindi, emotional story in hindi, helpless animals, 

Share the post

लघुकथा- बेबस और निरीह जानवर

×

Subscribe to आपकी सहेली ज्योति देहलीवाल

Get updates delivered right to your inbox!

Thank you for your subscription

×