Related Articles
दूसरे दिन सभी बच्चे अपनी अपनी कल्पना नुसार चित्र बना कर लाये। एक बच्चे ने मुर्गे का चित्र बनाया था जिसे कोई काट रहा था, तो एक ने चूहे का चित्र बनाया था जिस पर बिल्ली झपटने ही वाली थी। मोहन, जो कक्षा में हमेशा प्रथम आता था उसका चित्र देख कर अध्यापक उस पर आगबबूला हो गए।
"मोहन, ये तुमने कैसा चित्र बनाया? मैं ने बेबस और निरीह जानवर का चित्र बनाने कहा था। क्या तुम्हें इंसान और जानवर का भेद भी नहीं मालूम?"
वास्तव में मोहन ने एक बुजुर्ग महिला का चित्र बनाया था।
"मैं ने वो ही तो बनाया है!" मोहन ने गर्दन नीची कर धीरे से कहा।
"क्या मतलब है तुम्हारा?"
"सर, ये मेरी दादी माँ का चित्र है। मेरे दादाजी के देहांत के बाद मेरे मम्मी-पापा ने उन्हें दाने दाने को मोहताज कर दिया है। मैं ने इसके पहले किसी को भी इतना बेबस और निरीह नहीं देखा। इसलिए..."
This post first appeared on आपकी सहेली जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ देहलीवाल, please read the originial post: here