इतिहास गवाह है कि दो प्यार करने वालों को जमाने ने बहुत कोसा...बहुत यातनाएं दी...मानो उन्होंने प्यार करके बहुत बड़ा गुनाह किया हो...चाहे हीर-रांझा हो, चाहे लैला-मजनू हो, चाहे सलीम-अनारकली हो...समाज से इन्हें अपमान के अलावा कुछ नहीं मिला। आज भी दो प्यार करनेवालों की ऑनर किलिंग के नाम पर सरे आम हत्या की जाती है। ऐसे में जब सिध्दार्थ शुक्ला की मौत के बाद सिध्दार्थ और शहनाज गिल के घरवालों ने सिध्दार्थ और शहनाज के प्यार को इज्जत दी उसे देख कर दिल को थोड़ा सुकून मिला है। इन्होंने ये साबित किया है कि धीरे धीरे ही सही हमारा समाज प्यार की कद्र करना सीख रहा है।
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बिग बॉस 13 के विजेता और अभिनेता सिध्दार्थ शुक्ला के (2 सितंबर 2021) अचानक चले जाने के बाद जब उनके फैन्स ही इस सदमे को बरदास्त नहीं कर पा रहे है, तो जाहिर है कि उनके परिवार पर तो दुखों का पहाड़ ही टूट पड़ा है। उनके दर्द का अंदाज लगाना भी नामुमकिन है। सिध्दार्थ की माँ रीता शुक्ला ने पति के निधन के बाद अकेले अपने बच्चों की परवरिश की। उन्हें अपने बेटे पर नाज है। सिध्दार्थ भी अपने माँ के बिना एक दिन भी नहीं रहते थे। माँ के बाद सिध्दार्थ के जीवन में सबसे खास नाम था 'शहनाज' गिल का! लोगों ने भी इस जोड़ी को बहुत प्यार दिया। दोनों का नाम जुडकर sidnaaz हो गया। लेकिन ये जोड़ी बनने से पहले ही टूट गई। सिड के बिना नाज अकेली रह गई।
सिध्दार्थ और शहनाज गिल की दिसंबर में शादी होने वाली थी। आज भी हमारे समाज में यदि शादी से पहले लड़के की मौत हो जाये तो ज्यादातर लोग लड़की को ही दोष देते है...उसे ही 'अपशकुनी' कहते है...खासकर लड़के के परिवार वाले तो उसे 'डायन' तक कह देते है। कहते है कि ये डायन हमारे बेटे को खा गई! लेकिन इस मामले में सिध्दार्थ की माँ ने जो उदारता दिखाई, इंसानियत की मिसाल कायम की वो काबिले तारीफ है। एक ओर तो इस माँ ने कांपते हाथों से अपने बेटे का अंतिम संस्कार किया तो दूसरी ओर उन्होंने अपने बेटे के प्यार शहनाज को वो अधिकार दिया जो हमारा समाज सोच भी नहीं सकता! उन्होंने अपने बेटे के प्यार की अहमियत समझी।
इस साहसी माँ ने अपने बेटे के अंतिम संस्कार की रस्मों में अपनी होने वाली बहू को शामिल किया! दोस्तों, ये बहुत बड़ी बात है। अपने बेटे की शादी से पहले मौत होने पर उसकी होने वाली पत्नी को अंतिम संस्कार की होने वाली पूजा में शामिल करने के लिए बहुत बड़ा कलेजा चाहिए। हमारे समाज में प्यार करने वालों को इतना सम्मान कहां दिया जाता है? ऐसे बहुत कम लोग होते है, जिनके रिश्ते दुनिया के लिए मिसाल बनते है।
शहनाज गिल के पिता और भाई ने भी मिसाल कायम की। सिध्दार्थ के निधन के बाद शहनाज के पिता संतोख सिंह अपने बेटे को लेकर अपनी बेटी से मिलने तत्काल मुंबई पहूंचे और फिर उसे लेकर सिध्दार्थ के घर गए। सिध्दार्थ और शहनाज दोनों के ही परिवार वालों ने सिध्दार्थ और शहनाज के प्यार को समझकर, उनके प्यार की कद्र करके दुनिया के सामने एक मिसाल कायम की है। मतलब धीरे-धीरे ही सही हमारा समाज दो प्यार करने वालों की कद्र कर रहा है!!
मैं ज्योति देहलीवाल व्यक्तिश: सिध्दार्थ की माँ के हौसले को और उनकी इंसानियत की भावना को सलाम करती हूं! आशा है उनसे प्रेरणा लेकर समाज में बेटे की मौत होने पर बहू को या होने वाली बहू को प्रताडित नहीं किया जाएगा।
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