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क्या आपको भी लगता है कि ससुराल वाले आपको बेटी की तरह नहीं रखते?

क्या
आप एक नवविवाहिता है या आपकी शादी को पांच-सात साल ही हुए है? 
क्या आपको लगता है कि शादी से पहले ससुराल वालों ने आपसे कहा था कि वे आपको बेटी बना कर रखेंगे लेकिन वे लोग आप में और आपकी नणंद में बहुत फर्क करते है? क्या आपको भी लगता है कि ससुराल वाले आपको बेटी की तरह नहीं रखते? यदि हां, तो एक बार यह लेख पढ़ कर अपने आप में कुछ विचार कीजिए...मंथन कीजिए...थोड़ा सा ठंडे दिमाग से सोचिए...फ़िर निष्कर्ष निकालिए कि ससुराल वालों की गलती कितनी है और आपकी अपनी सोच या आपकी अपनी अपेक्षाएं कितनी गलत है! 

मैं पुराने जमाने की बात नहीं कर रहीं हूं। पुराने जमाने में तो ज्यादातर परिवारों में बहू का दर्जा नौकरानी से भी बदतर था। यदि मैं ऐसा कहूं कि बेटे की शादी ही इसलिए की जाती थी कि मुफ्त की नौकरानी मिले...तो भी अतिशयोक्ति नहीं होगी!! लेकिन आज के जमाने में लड़कियां पढ़ी लिखी होने से वे ससुराल वालों के अत्याचारों के आगे घुटने नहीं टेकती और ससुराल वाले भी बहू को इंसान का दर्जा (कुछ परिवार अपवाद हो सकते है!) देने लगे है। 

फ़िर भी आज कई महिलाओं को शिकायत रहती है कि ससुराल में उन्हें बेटी की तरह नहीं रखा जाता। आइए, जानते है बेटी की तरह नहीं रखा जाता का क्या मतलब है... बेटी की तरह नहीं रखा जाता का मतलब समझने के लिए हमें पहले यह समझना होगा कि जब आप मायके में थी तो आप क्या करती थी या आपके साथ घर वाले कैसा बर्ताव करते थे? और अब ससुराल में आप कैसे रह रही है? 

• यदि आपकी मम्मी या भाभी भी यहीं सोचती कि... 
मायके में आप सुबह देरी से उठती थी। आपकी मम्मी या भाभी नाश्ता बनाती। आप आराम से नाश्ता करके आपकी इच्छानुसार घर के छोटे-मोटे काम करती। यदि इच्छा न हुई तो न करती। आप पर कामों की कोई जिम्मेदारी नहीं थी। मन किया तो काम किया, मन नहीं है तो काम नहीं किया! जरा सोचिए, यदि आपकी मम्मी या भाभी भी यहीं सोचती कि हम ससुराल में बेटी की तरह रहेंगे...तो क्या आपको यह आराम मिलता? शादी के बाद आपके उपर भी माँ या भाभी की तरह जिम्मेदारी आती है। इसलिए आपको भी घर के सभी काम माँ और भाभी की तरह जिम्मेदारी से करने होंगे। जैसे आपकी माँ या भाभी ससुराल में बेटी की तरह नहीं रह रहीं है, ठीक उसी तरह अपनी ससुराल में आप बेटी नहीं है...यह बात आपको स्विकार करनी होगी। 

• भाभी आप आराम करों...मम्मी सब काम कर लेंगी!! 
आप हमेशा यहीं चाहती है न कि जहां तक संभव हो भाभी ज्यादा से ज्यादा काम करे और मम्मी को थोड़ा सा आराम मिले! यदि आप मायके जाएं और आपकी भाभी देर तक सोती रहे...मम्मी दिन भर किचन में लगी रहे...तो क्या आप अपने उस भाभी की तारीफ़ करेंगी? क्या आपको अपनी मम्मी पर गर्व होगा कि उन्होंने अपनी बहू को बेटी की तरह रखा है? नहीं न! क्या आपने कभी अपनी भाभी से कहा कि भाभी आप आराम करो...मम्मी सब काम कर लेंगी! नहीं न!! तो फ़िर जरा सोचिए, जैसे आपको लगता है कि आपकी भाभी ने ससुराल में ज्यादा काम करना चाहिए ठीक वैसे ही आपकी नणंद को भी लगता है कि आपने अपनी ससुराल में ज्यादा काम करना चाहिए। फ़िर ये शिकायत क्यों कि मुझे ससुराल वाले बेटी की तरह नहीं रखते...मुझे ससुराल में ज्यादा काम करना पड़ता है! 

• हमारी फैमिली का ही काम करुंगी 
कई लड़कियां/महिलाएं कहती है कि वे सिर्फ़ अपनी फैमिली का ही काम करेगी। कुछ महिलाओं की डिक्शनरी के हिसाब में अपनी फैमिली में सिर्फ़ उनके पति और बच्चे ही आते है। तो कुछ महिलाओं की डिक्शनरी के हिसाब से अपनी फैमिली का मतलब पति और बच्चों के साथ साथ सास ससुर भी आ जाते है। लेकिन कई महिलाओं को देवर, जेठ और नणंद के काम करना मतलब पहाड़ खोदने जैसा लगता है। जरा सोचिए...आप मायके गई और आपकी भाभी बोले कि वो आपके लिए खाना नहीं बनायेगी या काम की अधिकता की वजह से वो दिन भर मुंह फुला कर काम करेगी तो आपको कैसा लगेगा? इसलिए यदि आपको लगता है कि आपकी भाभी आपके साथ हंसी खुशी से रहे...दौड़ दौड़ कर काम करे...आपको नए नए व्यंजन बना कर खिलाए...तो आपको भी अपनी नणंद के आने पर उसके साथ हंसी खुशी रहना पड़ेगा...आप ये नहीं कह सकती कि वो इस घर की बेटी है तो मैं भी तो बेटी ही हूं...तो मैं ज्यादा काम क्यों करूं? 

• मैं भी जींस टॉप पहनूंगी 
आजकल ज्यादातर घरों में बहुओं को भी बेटी की तरह कपड़े पहनने की आजादी है। लेकिन जरा सोचिए कि आपके मायके के बड़े बुजुर्ग रिश्तेदारों के सामने या खास त्यौहारों पर भी आपकी भाभी जींस टॉप पहने तो क्या आपको अच्छा लगेगा? आप यहीं कहेगी न कि भाभी एक दो दिन तो बड़े बुजुर्ग रिश्तेदारों के सामने या खास त्यौहारों पर साड़ी पहन सकती है। यदि आप भाभी के लिए ऐसा सोच सकती है तो खुद भी तो बड़े बुजुर्ग रिश्तेदारों के सामने या खास त्यौहारों पर साड़ी पहन सकती है। ऐसे वक्त भी जींस टॉप पहनने की जिद क्यों? 

• सात फेरे लेते ही जिम्मेदारियां आ जाती है 
शादी से पहले लड़कियों को बच्ची कह कर, उसकी नादानियों को, उसकी गलतियों को माँ बाप नजरअंदाज करते है। लेकिन जैसे ही सात फेरे होते है कोई भी लड़की, लड़की से महिला बन जाती है। महिला बनते ही उसके उपर कुछ जिम्मेदारियां आ जाती है। इन जिम्मेदारियों का निर्वहन हर महिला को करना ही पड़ता है। चाहे वह हंस कर करें या मुंह बना कर करें। जो महिलाएं अपनी जिम्मेदारियों का हंस कर निर्वहन करती है, उन्हें उपर दी हुई छोटी छोटी शिकायते नहीं होती कि उन्हें ससुराल में बेटी की तरह नहीं रखा जाता। 

क्या आपकी मम्मी ने कभी शिकायत की कि उन्हें जल्दी उठ कर घर के सभी काम करने पड़ते है? वो तो तपती बुखार में भी सबके लिए खाना बनाती है! क्या आपने कभी अपनी मम्मी या भाभी को ससुराल में मायके की तरह महसूस कराया? यदि नहीं, तो आप कैसे उम्मीद कर सकती है कि आपको ससुराल में मायके की तरह महसूस हो? 

वास्तव में कुछ लड़कियां शादी से पहले मायके में खुब ऐश करती है। ससुराल में जब बहुत सारी जिम्मेदारियां आ जाती है, तो उन जिम्मेदारियों से घबरा जाती है। मैं ऐसी लड़कियों से कहना चाहती हूं कि हर जगह का अपना महत्व होता है...हर रिश्ते की अपनी जिम्मेदारियां होती है...यदि आप एक बहू, पत्नी और भाभी के रूप में अपनी जिम्मेदारियां ठीक से समझ लेगी...उपर दी हुई बातों पर गौर करेगी...तो शायद आपको ये शिकायत कभी नहीं होगी कि ससुराल वाले आपको बेटी की तरह नहीं रखते? 

डिसक्लेमर 
मेरा कहने ये तात्पर्य बिल्कुल नहीं है कि सभी ससुराल वाले बिल्कुल सुलझे हुए विचारों के रहते है और लड़किया ही एडजस्ट नहीं करती। मैं यहां पर सिर्फ़ उन परिवारों के बात कर रहीं हूं जो बहू को बहू का दर्जा, एक इंसान का दर्जा देते है...फ़िर भी बहू की अपेक्षाएं कुछ ज्यादा ही रहने से वो अंदर ही अंदर नाखुश रहती है। 

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