भारत के चौथे राष्ट्रपति वराहगिरि वेंकटगिरि की जीवनी | V. V. Giri Biography, Family, Children, Wikipedia, Education, Death in Hindi
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वराहगिरि वेंकटगिरि भारतीय राजनेता और लेखक थे. उन्होंने देश के तीसरे उपराष्ट्रपति तथा चौथे राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभाला था. वेंकटगिरि ने देश के तमाम कमजोर तथा दलित लोगों को सहानुभूति देने का कार्य किया. उन्होंने अपने कार्यकाल में पीड़ितों की मांग पूरी करने के लिए कई प्रयास किये. कई बार उन्हें सफलता भी प्राप्त हुई थी. देश की राजनीति एवं उन्नति में वराहगिरि वेंकटगिरि का महत्वपूर्ण योगदान रहा है.
प्रारम्भिक जीवन
वराहगिरि वेंकटगिरि का जन्म 10 अगस्त 1894 को मद्रास प्रेसीडेंसी के ब्रह्मपुर में हुआ, जो अब उड़ीसा राज्य का हिस्सा है. उनके पिता का नाम जोगिह पन्तुलु था, जो वकालत करते थे. उनके पिताजी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य भी थे. धार्मिक परिवार में पले-बड़े वेंकटगिरि ने अपनी प्राथमिक शिक्षा ब्रह्मपुर से ग्रहण की. उसके बाद वे लॉ की पढाई करने डबलिन यूनिवर्सिटी चले गए, परन्तु आइरिश नेशनल मूवमेंट में शामिल होने के वजह से 1916 में आयरलैंड से निष्कासित कर दिया गया. इसके बाद भारत लौट कर मद्रास में वकालत शुरू की.
राजनैतिक जीवन
भारत लौटने के बाद वेंकटगिरि ने श्रम आंदोलनों में सक्रिय सहभाग लिया. उन्होंने मद्रास और नागपुर का रेलवे मजदूर ट्रेड यूनियन गठित की जो आगे चलकर अखिल भारतीय रेल कर्मचारी संघ के नाम से जाना जाने लगा. वर्ष 1927 के जिनेवा में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय मजदूर कांफ्रेंस में उन्होंने भारत की और से हिस्सा लिया था. 1937 से 1947 के बीच वे मद्रास सरकार के श्रम, उद्योग, सहकारिता और वाणिज्य विभागों में मंत्री रहे. वर्ष 1947 से 1951 के दौरान वे सीलोन में भारत के उच्चायुक्त के रूप में नियुक्त रहे.
वेंकटगिरि की समाजवादी राजनैतिक विचारधारा मजदूरों पर केंद्रित थी. उन्होंने उत्तरप्रदेश, केरल, और मैसूर में राज्यपाल के रूप में सेवा की. वर्ष 1967 में उनका चुनाव भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए किया गया. वर्ष 1969 में ज़ाकिर हुसैन की मृत्यु के बाद राष्ट्रपति चुनाव किये गए. कांग्रेस ने राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए नीलिमा संजीव रेड्डी को चुना और वराहगिरि वेंकटगिरि ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा. कांग्रेस उम्मीदवार नीलिमा संजीव रेड्डी को हराकर वराहगिरि वेंकटगिरि राष्ट्रपति चुनाव जीत गए. भारत के इतिहास में यह स्तिथि पहली बार निर्माण हुई थी. राष्ट्रपति का पद हासिल करने के बाद वराहगिरि वेंकटगिरि के सन्मान में भारतीय डाक एवं तार विभाग ने 25 पैसे का डाक टिकट भी जारी किया था.
रचनाएँ
वराहगिरि वेंकटगिरि उत्कृष्ट राजनेता के साथ साथ उत्कृष्ट लेखक भी थे. उनकी कुछ विशेष रचनाएँ लेबर प्रोब्लेम्स इन इंडियन इंडस्ट्री (1972) और माय लाइफ एंड टाइम्स (1976) हैं.
मृत्यु
85 वर्ष की उम्र में 23 जून 1980 को चेन्नई में वराहगिरि वेंकटगिरि को दिल का दौरा पड़ा और इसके चलते उनका निधन हो गया.
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