किसीकी माँ होती, किसीकी दोस्त,
किसीको प्यार से डाट रही होती, किसी के डाट खातिर कंधे पे रो रही होती।
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– चिन्मय पाठक
किसीकी माँ होती, किसीकी दोस्त,
किसीको प्यार से डाट रही होती, किसी के डाट खातिर कंधे पे रो रही होती।
– चिन्मय पाठक
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