Get Even More Visitors To Your Blog, Upgrade To A Business Listing >>

काबुलीवाला - रबीन्द्रनाथ ठाकुर

काबुलीवाला - रबीन्द्रनाथ ठाकुर

काबुलीवाला - रबीन्द्रनाथ ठाकुर मेरी पांच वर्ष की छोटी लड़की मिनी से पल भर भी बात किए बिना नहीं रहा जाता। दुनिया में आने के बाद भाषा सीखने में उसने सिर्फ एक ही वर्ष लगाया होगा। उसके बाद से जितनी देर तक सो नहीं पाती है, उस समय का एक पल भी वह चुप्पी में नहीं खोती। उसकी माता बहुधा डांट-फटकारकर उसकी चलती हुई जबान बन्द कर देती है; किन्तु मुझसे ऐसा नहीं होता, मिनी का मौन मुझे ऐसा अस्वाभाविक-सा प्रतीत



This post first appeared on Jakhira Poetry Collection, please read the originial post: here

Share the post

काबुलीवाला - रबीन्द्रनाथ ठाकुर

×

Subscribe to Jakhira Poetry Collection

Get updates delivered right to your inbox!

Thank you for your subscription

×