तुम रूठो तो एक बार प्रिये तुम रूठो तो एक बार प्रिये मै कर लूँगा मनुहार प्रिये अनुभव कर लू मै भी तो कभी होती उस में पीड़ा कैसी? तुम रूठो तो एक बार प्रिये दो नैन तुम्हारे कजरारे है प्यार सदा ही छलकाते भोली चितवन से मुस्कुराते शरमा के कभी है झुक जाते क्रोहित नयनो की दृष्टि का दो मुझ को कभी उपहार प्रिये मै कर लूँगा मनुहार प्रिये आई हो जीवन में जब से दुख रिश्ते नाते तोड़ चले आँचल की तुम्हारी छाँव तले