हिण्डोला - फ़िराक़ गोरखपुरी
दयार-ए-हिन्द था गहवारा याद है हमदम
बहुत ज़माना हुआ किस के किस के बचपन का
इसी ज़मीन पे खेला है 'राम' का बचपन
इसी ज़मीन पे उन नन्हे नन्हे हाथों ने
किसी समय में धनुष-बान को...
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