यूँ तोड़ न मुद्दत की शनासाई इधर आ
यूँ तोड़ न मुद्दत की शनासाई इधर आ
आ जा मिरी रूठी हुई तन्हाई इधर आ
मुझ को भी ये लम्हों का सफ़र चाट रहा है
मिल बाँट के रो लें ऐ मिरे भाई इधर आ
ऐ सैल-ए-रवान-ए-अबदी...
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