खुली हैं खिड़कियाँ, पर बंद हैं दरवाज़े।खामोश हैं गाँव-शहर, पर आ रहीं आवाज़ें।बंद हैं मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे और गिरिजाघर।घरों पर ही चल रही इबादत, झुक रहे सर।है हर चेहरा ढका हुआ, है बंद मिलना जुलना।बंद...
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