नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवंबर की रात विमुद्रीकरण के ऐलान के बाद से रियल एस्टेट से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े निवेशकों और डेवलपर्स के बीच अटकलों और कयासों का बाजार गर्म है. जहां पिछले तीन साल से रियल एस्टेट का बाजार पहले ही गिरावट के ट्रेंडिंग ज़ोन में था, वहीं नोटबंदी के बाद इसे तगड़ा झटका लगा है.
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500 और 1000 रुपए के नोट बैन होने से पहले के ही परिदृश्य पर बात करें तो निवेशकों खऱीददारों को डेवलेपर्स द्वारा आकर्षित करने के लिए तमाम सुविधाओं जैसे कि पार्किंग स्लॉट फ्री, डिस्काउंट्स, सहूलियत भरे पेमेंट ऑप्शन्स दिए जा रहे थे लेकिन जानकार मानते हैं कि अब इन आकर्षक प्रस्तावों से काम नहीं चलेगा और प्रॉपर्टी सेगमेंट में रफ्तार के लिए रियल एस्टेट डेवलेपर्स को कीमतों में कटौती करनी ही होगी.
इन कारकों पर निर्भर करता है आपका फैसला…
ऐसे में सवाल यह उठता है कि यदि आप मकान खरीदने का मन बना रहे हैं तो आपको क्या करना चाहिए. एक्सपर्ट मानते हैं कि कुछ समय इतंजार करिए. वित्तीय सलाह देने वाली फर्म एसेट मैनेजर्स के मैनेजिंग पार्टनर सूर्या भाटिया का कहना है कि यह प्रॉपर्टी के रेट अभी और गिरेंगे. न सिर्फ प्रॉपर्टी रेट कम होंगे बल्कि बैंकों द्वारा मकान खरीदने के लिए दिए जाने वाले लोन पर ब्याज दरें भी कम हो सकती हैं. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की और से पेश की गई मौद्रिक नीति की समीक्षा के दौरान रेट कट का ऐलान किया जा सकता है. सूर्या भाटिया के मुताबिक, यदि मकान खरीदने या फिर बेचने की कोई जल्दी नहीं है और इतंजार कर सकते हैं तो अधिक से अधिक एक साल तक भी इंतजार किया जा सकता है.
हालांकि यदि किसी कारणवश जल्द से जल्द मकान बेचना चाहते हैं तो यह एकदम सही समय है कि मकान बेच लें क्योंकि आने वाले समय में प्रॉपर्टी की कीमतें और अधिक कम होंगी. ऐसे में निवेशक को इन पर रिटर्न अभी के मुकाबले कम मिलने की संभावना जाहिर तौर पर कम है. सूर्या भाटिया के मुताबिक, हालांकि यह बताना अभी मुश्किल है कि अगले तीन महीनों में रियल एस्टेट प्राइस में कितना असर पड़ सकता है लेकिन यह तय है कि प्राइस कम होंगे.
गिरावट का सबसे अधिक असर मुंबई और उसके बाद बेंगलुरु और गुड़गांव पर…
प्रोपइक्विटी के अनुसार, मकान कीमतों में गिरावट का सबसे अधिक असर मुंबई और उसके बाद बेंगलुरु और गुड़गांव पर होगा. जो मकान आम लोगों की पहुंच से बाहर हो चले थे, उनके लिए विमुद्रीकरण के बाद अच्छा मौका मिला है. पिछले दिनों स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की सीएमडी अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा कि यदि डिपॉजिट रेट घटेंगे तो कर्ज लेने वाले लोगों को भी इसका फायदा मिलेगा क्योंकि लेंडिंग रेट्स भी घटेंगे. किफायती मकान खरीदने के इच्छुक लोगों के लिए रेट कट में कटौती के बाद यह पॉजिटिव मौका होगा. हालांकि बाजार के जानकार यह मानते हैं कि कीमतों को लेकर कोई भी स्पष्ट भविष्यवाणी करना, अभी बहुत जल्दबाजी होगी.
रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़े लोगों को लगता है कि यह उथल पुथल 6 महीने से लेकर 1 साल से अधिक नहीं चलेगी. वहीं खरीददारों को उम्मीद भी है कि प्रॉपर्टी की कीमतें कम होंगी. एक आकलन के मुताबिक, विमुद्रीकरण के बाद से सौदे थम हैं और 20 फीसदी दाम भी घटे हैं.
प्रोपइक्विटी का मानना है कि नोटबंदी के चलते आने वाले 6-12 महीने में 42 प्रमुख शहरों में में मकानों की कीमत 30 प्रतिशत तक घट सकती हैं. फर्म का कहना है कि इससे 2008 के बाद डेवलपरों द्वारा बेची गईं और वे आवासीय संपत्ति जोकि अनबिकी हैं, उनका बाजार मूल्य 8 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक घट जाएगा. कंपनी ने अपने बयान में पिछले दिनों कहा था,‘भारतीय जमीन जायदाद क्षेत्र पर नोटबंदी के असर के कारण अवासीय संपत्तियों का बाजार मूल्य अगले 6-12 महीने में 8,02,874 करोड़ रुपये घट जाएगा.’
खास बातें
- कालेधन पर लगाम के लिए नोटबंदी के ऐलान का तगड़ा असर रियल एस्टेट में
- लेकिन खरीददारों के लिए यह नफे का सौदा क्योंकि कीमतें और गिरेंगी
- ऐसे में एक्सपर्ट्स की क्या राय है, वह इस लेख में पढ़ें
Source: NDTVINDIA
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