इन परदों के विषय में,
कभी सोचा है तुमने?
याद है मुझे,
जब ये नए थे.
शानदार रंग,
खूब भारी बनावट,
कि हवा टस से मस न कर सके.
उस समय ये हमें,
धुप से बचाते,
लोगों की चुभती नज़रों से छिपाते,
कमरे की शोभा बढ़ाते.
बड़ा गर्व हुआ करता था हमें,
उस समय
अपने इन परदों पर.
पड़ोसियों पर शान मारते,
गाहे-बी-गाहे अपने दोस्तों से,
इनका ज़िक्र किया करते थे हम.
आज कैसे भद्दे लगते हैं.
रंग उड़ चुका है,
कईं जगह पैबंद भी लग गए हैं.
कमज़ोर इतने,
की धुप छन कर अंदर आ ही जाती है.
पड़ोसियों को भी परदों के पीछे से
झांकते देखा है हमने.
ज़रा-सी हवा में
काँप जाते हैं.
अब ये कमरों की शोभा नहीं बढ़ाते,
बस एक कोने में
पर्दापट्टी में सिमटे रहते हैं.
कोई मेहमान आ जाए,
तो हम भी शर्मिंदा-से
इधर-उधर देखने लगते हैं,
और ये भी मानो शमर्सार हों,
स्वयं में ही
और सिमट जाते हैं.
कईं बार सोचा,
अब नए परदे लगा ही लें.
मगर फिर इनका क्या करेंगे?
घर में ही
झाड़ने-पोंछने के काम ले लें.
या फिर,
किसी वृद्धाश्रम में
दान कर आएं.
वहां अपने जैसे ही
और परदों के बीच
भद्दे भी नहीं लगेंगे.
और नहीं तो,
किसी अनाथाश्रम में
छोड़ आते हैं इन्हें.
जहाँ अपनी रही-सही क्षमतानुसार
अनाथ बच्चों को
धुप से बचा लिया करेंगे.
इस प्रकार,
इन्हें मिल जाएगा
बच्चों का साथ,
और उन अनाथ बच्चों को
धुप से बचाने वाले
ये बूढ़े परदे।
कभी सोचा है तुमने?
याद है मुझे,
जब ये नए थे.
शानदार रंग,
खूब भारी बनावट,
कि हवा टस से मस न कर सके.
उस समय ये हमें,
धुप से बचाते,
लोगों की चुभती नज़रों से छिपाते,
कमरे की शोभा बढ़ाते.
बड़ा गर्व हुआ करता था हमें,
उस समय
अपने इन परदों पर.
पड़ोसियों पर शान मारते,
गाहे-बी-गाहे अपने दोस्तों से,
इनका ज़िक्र किया करते थे हम.
आज कैसे भद्दे लगते हैं.
रंग उड़ चुका है,
कईं जगह पैबंद भी लग गए हैं.
कमज़ोर इतने,
की धुप छन कर अंदर आ ही जाती है.
पड़ोसियों को भी परदों के पीछे से
झांकते देखा है हमने.
ज़रा-सी हवा में
काँप जाते हैं.
अब ये कमरों की शोभा नहीं बढ़ाते,
बस एक कोने में
पर्दापट्टी में सिमटे रहते हैं.
कोई मेहमान आ जाए,
तो हम भी शर्मिंदा-से
इधर-उधर देखने लगते हैं,
और ये भी मानो शमर्सार हों,
स्वयं में ही
और सिमट जाते हैं.
कईं बार सोचा,
अब नए परदे लगा ही लें.
मगर फिर इनका क्या करेंगे?
घर में ही
झाड़ने-पोंछने के काम ले लें.
या फिर,
किसी वृद्धाश्रम में
दान कर आएं.
वहां अपने जैसे ही
और परदों के बीच
भद्दे भी नहीं लगेंगे.
और नहीं तो,
किसी अनाथाश्रम में
छोड़ आते हैं इन्हें.
जहाँ अपनी रही-सही क्षमतानुसार
अनाथ बच्चों को
धुप से बचा लिया करेंगे.
इस प्रकार,
इन्हें मिल जाएगा
बच्चों का साथ,
और उन अनाथ बच्चों को
धुप से बचाने वाले
ये बूढ़े परदे।