कहते हैं दर्पण कभी झूठ नहीं बोलता। वह वही अक्स दिखाता है जो सच है। खूबसूरत हो या बदसूरत, आईना आपका प्रतिबिंब है। और अक्स - चाहे जीवन की स्याह रात का हो या हृदय के गहरे सागर में छिपे सीप का, नारी की ख़ामोश पीड़ा का हो या फू़लों के गुलाबी एहसास का, या फिर किसी बालक की किलकारी का.... हर अक्स हमें कुछ कहता है।