श्री राकेश कुमार
(श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।” आज प्रस्तुत है नवीन आलेख की शृंखला – “ परदेश ” की अगली कड़ी।)
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☆ आलेख ☆ परदेश – भाग – 20 – अंधविश्वास मान्यताएं ☆ श्री राकेश कुमार ☆
विदेशों में हमारे देश के बारे में अंधविश्वास/ मान्यताएं आदि से ही परिचय दिया जाता था। पश्चिम देश हमारे देश को अनपढ़ और पिछड़ा हुआ के परिचय से ही जानते थे। विगत कुछ सप्ताहों के प्रवास के समय हमें विदेशियों की भी ऐसी ही कुछ जानकारियां प्राप्त हुई, जैसे कि तेरह अंक को यहां अच्छा नहीं मानते हैं। इसलिए अनेक होटलों में तेरह नंबर का कमरा नहीं होता हैं। कुछ ऊंचे भवनों में भी बारह के बाद चौदहवीं मंजिल रहती हैं।
साथ का फोटो स्वर्गीय जॉन हारवर्ड का है। उनके द्वारा ही हारवर्ड विश्वविद्यालय की स्थापना अमेरिका स्थित बोस्टन शहर में की गई थी।
इनकी मूर्ति में बाएं पैर का जूता सोने जैसा चमक रहा हैं।
भ्रमण के समय गाइड ने जानकारी दी कि इस विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने हेतु अधिकतर विद्यार्थी उनके चमकने वाले जूते को अपने हाथ से साफ करने के पश्चात नम्रता पूर्वक प्रवेश के लिए प्रार्थना करते हैं।
इस विश्वविद्यालय में प्रवेश अत्यंत कठिन है, क्योंकि पूरी दुनिया में इसकी स्थिति हमेशा प्रथम तीन में ही रहती है। वैसे बोस्टन शहर में ही एक और भी प्रसिद्ध विश्वविद्यालय MIT (मैसेच्यूट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) भी है। हमारे देश के श्री रतन टाटा और श्री आनंद महिंद्रा भी इसके सफल छात्र रहे हैं। जिन पर हमें नाज़ हैं।
वैसे बॉलीवुड महानायक के पुत्र और सुश्री श्रद्धा कपूर भी बोस्टन शहर के किसी अन्य महाविद्यालय में अध्ययन अधूरा छोड़ कर फिल्मी दुनिया में रोज़ी रोटी कमाने चले गए थे।
मान्यताएं हमेशा प्रेरणा और धनात्मक सोच की परिचायक रहती हैं।
© श्री राकेश कुमार
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