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मराठी साहित्य – कवितेचा उत्सव ☆ आई धावत ये … ☆ सौ.ज्योत्स्ना तानवडे ☆

सौ.ज्योत्स्ना तानवडे

 कवितेचा उत्सव 

☆ आई धावत ये … ☆ सौ.ज्योत्स्ना तानवडे ☆ 

!!  श्री  !!

तूची माता तूची त्राता | देवी अंबाबाई |

तुझ्या दर्शना आलो आई | धावत ये लवलाही |

आई धावत ये लवलाही ||

☆ 

तुझी ओढ मना अनिवार | दर्शनासी झालो अधीर |

ऐकुनी माझी ही साद | आई सत्वरी दे प्रतिसाद |

सर्व समर्पित तुझ्या ठायी | धावत ये लवलाही |

आई धावत ये लवलाही ||

☆ 

हाके सरसी धावत येसी | भक्तवत्सले अंबाबाई |

लेकरांसी दुखवीत नाही |अगाध माया तुझी ग आई|

किती तुला मी विनवू आई | धावत ये लवलाही |

आई धावत ये लवलाही ||

☆ 

संकटांचा पडला घाला | जीव किती हा घाबरला |

दुःखविमोचिनी तू गे आई | तुझ्याविना जगी त्राता नाही |

एकची आस उरली | धावत ये लवलाही |

आई धावत ये लवलाही || 

☆ 

© सौ.ज्योत्स्ना तानवडे

वारजे, पुणे.५८

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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