रिश्ते कपड़े नहीं जो काम चल जाए
निशान रह जाते हैं रफू के बाद
मिट्टी बंज़र हो जाए तो कंटीले झाड़ उग आते हैं
मरहम लगाने की नौबत से पहले
बहुत कुछ रिस जाता है
हालांकि दवा एक ही है
वक़्त की कच्ची सुतली से जख्म की तुरपाई
जिसे सहेजना होता है तलवार की धार पे चल कर
संभालना होता है कांपते विश्वास को
निकालना होता है शरीर में उतरे पीलिये को
रात के घने अन्धकार से
सूरज की पहली किरण का पनपना आसान नही होता
ज़मीन कितनी भी अच्छी हो
जंगली गुलाब का खिलना भी कई बार
आसान नहीं होता ...
This post first appeared on सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ मेरे ..., please read the originial post: here