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शेर बोली पर हैं मिसरे बेचता हूँ ...

टोपियें, हथियार, झण्डे बेचता हूँ.
चौंक पे हर बार झगड़े बेचता हूँ.

 

इस तरफ हो उस तरफ ... की फर्क यारा,
हर किसी को मैं तमंचे बेचता हूँ.

 

सच खबर ... अफवाह झूठी ... या मसाला, 
थोक में हरबार ख़बरें बेचता हूँ.

 

चाँदनी पे वर्क चाँदी का चढ़ा कर,
एक सौदागर हूँ सपने बेचता हूँ.
 
पक्ष वाले ... सुन विपक्षी ... तू भी ले जा, 
आइनों के साथ मुखड़े बेचता हूँ.

 

खींच कर बारूद की सीमा ज़मीं पर,
खून से लथपथ में नक़्शे बेचता हूँ.

 

दी सिफत लिखने की पर फिर भूख क्यों दी,
शेर बोली पर हैं मिसरे बेचता हूँ.



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